:राजकुमार मल:
भाटापारा- निगरानी बढ़ाएं। जरूरी कीटनाशक का छिड़काव मानक मात्रा में शीघ्र करें क्योंकि धान की फसल में
“पेनिकल माईक” नामक कीट प्रवेश कर चुका है। इसकी वजह से दाने बदरंग होने लगे हैं। यह स्थिति बदरा के रूप में सामने आ सकती है।

परिपक्वता अवधि में पहुंचने लगी है धान की फसल लेकिन पत्तियों पर आंख जैसे धब्बे नजर आने लगे हैं। संकेत है पेनिकल माईट नामक कीट के प्रवेश का। लापरवाही, कमजोर उत्पादन जैसी स्थिति ला सकती है इसलिए कृषि वैज्ञानिकों ने नियंत्रण के लिए समय को देखते हुए एडवाइजरी जारी करते हुए फौरन जरूरी कीटनाशक का छिड़काव करने की सलाह दी है।
जानें पेनिकल माईट को
पेनिकल माईट ऐसा कीट है, जो पोषक तत्व को खींचता है। इससे बालियों में दाने नहीं बनते। 1913 में इसे पहली बार पहचाना गया। अनुसंधान में पाया गया कि यह कीट शुष्क भूमि में तेजी से फैलता है। स्टेनोटार्सोनेमस स्पिंकी के नाम से वैज्ञानिकों के बीच पहचाना जाने वाला यह कीट तेजी से फैलता है। बदरा रोगजनित यह कीट 1 से 2 साल तक जीवित रहता है और पैरा या पैरा खाद के जरिए पहुंचता है।

ऐसे पहचानें
प्रवेश के बाद पेनिकल माईट पत्तियों पर पहले हमला करता है। पत्तियों पर आंख जैसा छोटा धब्बा दिखाई देता है। इसके भीतर का भाग भूरा और बाहर का भाग गहरा भूरा होता है। कुछ समय बाद यह सब मिलकर एक बड़ा धब्बा बना लेते हैं। पौधा पीला होने लगता है। असर उस पोषक तत्व की कमी के रूप में नजर आती है, जिसकी मदद से बालियों में दाने बनते हैं।
यह भी है संकेत
पत्तियों के बाद इसका हमला गांठ और बालियों पर होता है। गांठ पर हमले का संकेत, उसके टूटने या धब्बे से मिलता है। बालियों पर यह कीट उस समय निशाना साधता है, जब पुष्प गुच्छ लगने की अवस्था होती है। संकेत पुष्प के सफेद होने एवं तने में कालापन से मिलता है। इस अवस्था में बालियां तो लगतीं हैं लेकिन दाने नहीं बनते क्योंकि यह कीट, दाने के लिए जरूरी पोषक तत्व खींच लेता है। बाद में यह बदरा के रूप में सामने आता है।

करें इन दवाओं का छिड़काव
जारी एडवाइजरी के अनुसार ट्राईसाइक्लोजोल या प्रोपीकोनाजोल का मानक मात्रा में छिड़काव करें। यह दवाईयां नहीं मिलने की स्थिति में इथियाॅन का छिड़काव करने की सलाह दी जा रही है। मानक मात्रा में छिड़काव के बाद निरंतर निगरानी की सलाह कृषि वैज्ञानिकों ने दी है।
पेनिकल माईट ऐसा कीट है जो बालियों तक जाने वाले पोषक तत्व को रोकता है। इसकी वजह से ही बालियों में दाने नहीं बनते। इसलिए ही बदरा की शिकायत आती है। समय रहते जरूरी कीटनाशक का छिड़काव करें।
डॉ (श्रीमती) अर्चना केरकेट्टा, सह-प्राध्यापक (कीट विज्ञान) बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर