एनबीआरआई ने मंदिरों के फूलों से बनाया केमिकल-फ्री सिंदूर, कमल से तैयार किए अनोखे पेय

लखनऊ, 15 सितंबर 2025: नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनबीआरआई) ने पर्यावरण संरक्षण और अपशिष्ट प्रबंधन की दिशा में अभिनव कदम उठाया है। एनबीआरआई की बिजनेस डेवलपमेंट डिपार्टमेंट की सीनियर टेक्निकल ऑफिसर स्वाति शर्मा ने बताया कि विभाग ने मंदिरों से निकलने वाले अपशिष्ट फूलों को रिसाइकिल कर केमिकल-फ्री सिंदूर विकसित किया है।

केमिकल-फ्री सिंदूर: पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित

पारंपरिक सिंदूर में लेड और अन्य हानिकारक धातुओं की मौजूदगी त्वचा और पर्यावरण के लिए नुकसानदेह होती है। एनबीआरआई की नई तकनीक से तैयार सिंदूर में जीरो केमिकल, प्राकृतिक रंग और सुरक्षित बाइंडिंग एजेंट का उपयोग किया गया है। यह शोध अपशिष्ट प्रबंधन के साथ-साथ स्वास्थ्य सुरक्षा को बढ़ावा देने वाला कदम है।

कमल से बने रिफ्रेशिंग पेय

एनबीआरआई ने कमल के फूलों और जड़ों से दो अनोखे पेय पदार्थ भी विकसित किए हैं। पहला है लोटस ड्रिंक, जो कमल की पंखुड़ियों से तैयार किया गया है। यह पेय उच्च एंटीऑक्सीडेंट गुणों से युक्त है, जो शरीर से टॉक्सिन्स निकालने और हाइड्रेशन बढ़ाने में मदद करता है। दूसरा उत्पाद कमल की राइजोम (जड़) और शहद से बना ड्रिंक है, जिसमें किण्वन प्रक्रिया से चार प्रतिशत प्राकृतिक अल्कोहलिक कंटेंट मौजूद है। इसमें पॉलिफेनॉल और फ्लेवोनाइड्स जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स हृदय स्वास्थ्य और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। ये दोनों उत्पाद जल्द ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में उपलब्ध होंगे।

स्टार्टअप कॉन्क्लेव में इनोवेशन की झलक

लखनऊ में आयोजित स्टार्टअप कॉन्क्लेव में एनबीआरआई के इनोवेशन के साथ-साथ अन्य नवाचारों ने ध्यान खींचा। विश्वेषण हाउस एंड अरोमैटिक प्राइवेट लिमिटेड के कृष्ण गोपाल ने बताया कि उनकी कंपनी सस्टेनेबल एग्रीकल्चर मॉडल पर काम कर रही है। कंपनी हल्दी की खेती को बढ़ावा दे रही है और हल्दी की पत्तियों से तेल निकालकर विविध उत्पाद बना रही है। हाल ही में कंपनी ने फलों और सब्जियों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने वाला एक उत्पाद विकसित किया है, जो परिवहन और भंडारण में सहायक होगा। इससे किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त होगा।

पर्यावरण और किसानों के लिए लाभकारी कदम

एनबीआरआई और स्टार्टअप्स के ये प्रयास पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं। अपशिष्ट फूलों का उपयोग और सस्टेनेबल खेती के मॉडल न केवल पर्यावरण को लाभ पहुंचाएंगे, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देंगे।

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