छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने 11 से 13 सितंबर तक कर्नाटक की राजधानी बेंगलूरु में आयोजित राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र के 11वें सम्मेलन में भाग लिया। सम्मेलन का विषय था – ‘संवाद और चर्चा-जन विश्वास का आधार, जन आकांक्षाओं की पूर्ति का माध्यम है’, जिस पर उन्होंने अपने विचार साझा किए। इस अवसर पर विधानसभा सचिव दिनेश शर्मा भी उपस्थित थे।

डॉ. रमन सिंह ने कहा कि संसद और विधानसभाएं लोकतंत्र की रीढ़ हैं। ये केवल कानून बनाने वाली संस्थाएँ नहीं, बल्कि जनता के विश्वास और आकांक्षाओं को दिशा देने वाले मंच हैं। लोकतंत्र तभी फलता-फूलता है जब विधायी संस्थाओं में खुले मन से संवाद और तर्कपूर्ण चर्चा हो। बिना संवाद के लोकतंत्र की आत्मा कमजोर हो जाती है और जनता का भरोसा भी डगमगाने लगता है।
उन्होंने आगे कहा कि विधायी संस्थाओं में होने वाली बहसें केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि राष्ट्र के भविष्य की दिशा तय करने वाली बौद्धिक प्रक्रिया है। कानून और नीतियाँ समाज के सभी वर्गों की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई जानी चाहिए। किसान, युवाओं और महिलाओं से जुड़े मुद्दे जब सदन में उठते हैं, तभी सरकार को सही दिशा मिलती है और समस्याओं के समाधान की राह बनती है।
डॉ. रमन सिंह ने यह भी कहा कि कई बार संसद केवल राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बन जाती है, जिससे गंभीर मुद्दे अनसुने रह जाते हैं। ऊर्जा संकट, साइबर सुरक्षा, पर्यावरण और स्वास्थ्य जैसे तकनीकी विषयों पर गहन चर्चा का अभाव लोकतंत्र के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि “अध्यक्ष लोकतंत्र के प्रहरी हैं। उनकी निष्पक्षता, विवेक और दृढ़ता ही संवाद और चर्चा को जीवंत बनाए रखती है और जनता का विश्वास मजबूत करती है।”
सम्मेलन में डॉ. रमन सिंह ने लोकतांत्रिक संस्थाओं की भूमिका, संवाद की आवश्यकता और जनता के विश्वास को बनाए रखने के लिए विधायी मंचों की महत्ता पर विशेष बल दिया।