राजधानी रायपुर में साहित्य प्रेमियों के लिए 2 दिवसीय ‘हिंद युग्म उत्सव 2025’ आयोजित होने जा रहा है.
इस आयोजन के माध्यम से छत्तीसगढ़ पहली बार इस अनोखे उत्सव का साक्षी बनेगा।
आगामी 20 और 21 सितम्बर को रायपुर के पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में
कहानियाँ, कविताएँ, संगीत और कला का संगम होगा।
यह आयोजन कई मायनों में बहुत ख़ास है। जिसमें कई बड़े नामचीन साहित्यकारों को लोग सुनेंगे। साथ ही मानव कौल, राहगीर, फैजल मलिक(पंचायत फेम), परितोष त्रिपाठी, नीलोत्पल मृणाल जैसे बहुत से लेखकों को करीब से जानने और सुनने का मौका मिलेगा।
‘हिंद युग्म उत्सव 2025’ वर्तमान समय के अतिप्रसिद्ध और महान साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को केंद्र में रखकर आयोजित हो रहा है।

जिसमें शुक्ल जी की लिखी कविताओं की नाट्य प्रस्तुतियां होंगी, साथ ही उन पर केंद्रित डॉक्यूमेंट्री का भी प्रदर्शन होगा। इसके अलावा इस आयोजन में शामिल हो रहे साहित्यप्रेमियों को किताबों की दुनिया, इसके नए ट्रेंड पर परिचर्चाएँ, लेखकों से मुलाक़ात, सिने-अभिनेताओं और सिनेमा-विशेषज्ञों से बातचीत एवं मुलाक़ात, हिन्दवी के ‘कैंपस-कविता’ कार्यक्रम का विशेष आयोजन, ओपन माइक ‘छत्तीसगढ़ : मंच खुला है’ का डेडीकेटेड मंच, जहाँ 200 से अधिक नई प्रतिभाएँ अपनी प्रस्तुतियाँ देंगी,
संगीतमय शाम, स्टैंड-अप कॉमेडी, बच्चों एवं बड़ों के लिए टेराकोटा, पेंटिंग इत्यादि की कार्यशालाएँ, देशभर के सभी महत्वपूर्ण प्रकाशकों की किताबों की प्रदर्शनियाँ, बिक्री के स्टॉल, AI (आर्टिफ़िशियल इंटिजेंस) पर विशेष-सत्र एवं प्रस्तुति, नई किताबों का लोकार्पण, आने वाली किताबों को कवर-रिलीज, स्टोरीटेलिंग, लाइव-सिंगिंग का विशेष सत्र जैसे कई महत्वपूर्ण स्लॉट निर्धारित किए गए हैं जिसमें शामिल होने का मौका मिलेगा।
इस आयोजन में छत्तीसगढ़ की संस्कृति की झलक भी देखने को मिलेगी, जहां छत्तीसगढ़ राज्य के लोकनृत्य, लोकगायन, लोक-कलाओं का प्रदर्शन, छत्तीसगढ़ राज्य की लोक कलाकृतियों के कलाकारों द्वारा बनी पेंटिंग, मूर्ति, क्राफ्ट इत्यादि का प्रदर्शन, छत्तीसगढ़ राज्य के लोक व्यंजनों के स्टॉल, हैंडलूम एवं हैंडीक्राफ्ट के स्टॉल भी लगाए जाएंगे।
गौरतलब है कि हिंद युग्म उत्सव देश का एक मात्र घुमंतू साहित्य उत्सव है, जो हर वर्ष देश के अलग-अलग शहरों में आयोजित होता है। इस उत्सव का चौथा संस्करण छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 20 और 21 सितंबर 2025 को होने जा रहा है।
इससे पहले इसके तीन संस्करण क्रमशः बाड़मेर, वाराणसी और भोपाल में आयोजित हो चुके हैं। इस उत्सव में देश के कोने-कोने से लेखक, साहित्यकार, विचारक, विषय-विशेषज्ञ, कलाकार, अभिनेता, सिनेमा से जुड़े विशेषज्ञ और संस्कृतिकर्मी किसी एक शहर में जमा होते हैं और लेखन, कला, साहित्य और किताबों की दुनिया पर चर्चा होती है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। किताबों का उत्सव मनाया जाता है। किताबों और साहित्य की दुनिया के नए ट्रेंड्स, नए माध्यम और इनसे संबंधित व्यवसायों के लिए खुलते नए रास्तों पर बातचीत होती है।