छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी 18 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। उनकी 10 सूत्री मांगों पर अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ है।

शनिवार को प्रेसवार्ता में एनएचएम कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित मिरी ने कहा कि –
“विधानसभा चुनाव 2023 में भारतीय जनता पार्टी ने घोषणा पत्र में कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करने का वादा किया था। लेकिन सरकार बनने के 20 माह बाद और 160 से अधिक ज्ञापन देने के बावजूद अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई। इस उपेक्षा के कारण 16 हजार एनएचएम कर्मचारी आंदोलन करने को मजबूर हुए हैं।”
✍️ कर्मचारियों की 10 सूत्री प्रमुख मांगें
- संविलियन व नौकरी की सुरक्षा
- पब्लिक हेल्थ कैडर की स्थापना
- ग्रेड पे निर्धारण
- कार्य मूल्यांकन पद्धति में सुधार
- लंबित 27% वेतन वृद्धि
- नियमित भर्ती में सीटों का आरक्षण
- अनुकंपा नियुक्ति
- मेडिकल व अन्य अवकाश की सुविधा
- स्थानांतरण नीति
- न्यूनतम 10 लाख का चिकित्सा बीमा
संघ की आपत्ति
डॉ. मिरी ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल बार-बार यह कह रहे हैं कि कुछ मांगों के लिए केंद्र की अनुमति जरूरी है, लेकिन यह गलत जानकारी है। उन्होंने RTI से मिली सूचना और केंद्र सरकार के पत्र का हवाला देते हुए दावा किया कि नियमितीकरण और अन्य सुविधाएं देने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की ही है।
संघ का आरोप है कि –
- ट्रांसफर नीति और सीआर व्यवस्था के नाम पर केवल कमेटियाँ बनाई जा रही हैं, जिनकी कोई समय सीमा तय नहीं।
- 10 लाख कैशलेस बीमा और 27% वेतन वृद्धि पर कोई सर्कुलर जारी नहीं हुआ।
- दुर्घटना या बीमारी में अवकाश की व्यवस्था भी व्यावहारिक नहीं है।
हड़ताल से प्रभावित सेवाएँ
आंदोलन की वजह से टीकाकरण, टीबी-मलेरिया जांच, प्रसव कार्य, पोषण पुनर्वास केंद्र, नवजात शिशु स्वास्थ्य सेवा समेत कई महत्वपूर्ण कार्य बाधित हो गए हैं। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

सामूहिक इस्तीफा और विरोध
- आंदोलन तेज करने के लिए प्रदेश व जिला स्तरीय 29 पदाधिकारियों को सेवा से पृथक कर दिया गया।
- इसके विरोध में 4 सितंबर को सभी कर्मचारियों ने जिला स्तर पर सामूहिक इस्तीफा सौंपा।
- कर्मचारी संघ का कहना है कि सरकार संवाद से समाधान निकाले, अन्यथा आंदोलन और तेज होगा।
संघ की अपील
डॉ. मिरी ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से वीडियो संदेश जारी कर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। उनका कहना है कि –
“संवाद की कमी से जनता की परेशानी बढ़ रही है। सरकार अगर गंभीर है तो जल्द बातचीत कर समाधान निकाले।”
👉 अब सवाल यह है कि क्या सरकार आंदोलनरत कर्मचारियों से बातचीत कर कोई ठोस रास्ता निकालेगी या हड़ताल और लंबी खिंचेगी?