Chhattisgarh में वोट चोरी पर मचा सियासी घमासान: बीजेपी-कांग्रेस आमने-सामने, नेताओं की तीखी बयानबाजी

रायपुर। देशभर में वोट चोरी को लेकर छिड़े राजनीतिक संग्राम की गूंज अब छत्तीसगढ़ तक पहुंच गई है। कांग्रेस द्वारा राज्य के सभी जिलाध्यक्षों को मतदाता सूची की जांच के निर्देश दिए जाने के बाद सियासी बवाल तेज हो गया है। बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं और एक-दूसरे पर तीखे आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं।

अरुण साव का हमला – “पेटी चोर अब वोट चोरी की बात कर रहे”

राज्य के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कांग्रेस पर सीधा हमला करते हुए कहा कि “जो पार्टी बैलेट पेपर की पेटी चुराती रही है, वह आज वोट चोरी का आरोप लगा रही है। यह लोकतंत्र का अपमान है और दुर्भाग्यपूर्ण भी।” उन्होंने कांग्रेस के इस कदम को हार की हताशा करार दिया।

दीपक बैज की प्रतिक्रिया – “छुटभैया नेता दे रहे जवाब”

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने पलटवार करते हुए कहा कि जब कांग्रेस ने ईवीएम और वोटर लिस्ट में गड़बड़ी की बात उठाई है, तो इसका जवाब प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को देना चाहिए था, लेकिन बीजेपी की ओर से “छुटभैया नेता” जवाब दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह विषय गंभीर है और देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करता है।

रामविचार नेताम का गंभीर आरोप – “कांग्रेस ने रोहिंग्याओं को भी जोड़ा वोटर लिस्ट में”

वहीं, राज्य सरकार में मंत्री रामविचार नेताम ने कांग्रेस पर और भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी ने जानबूझकर बीजेपी समर्थकों के नाम मतदाता सूची से हटवाए हैं, और इसके बदले रोहिंग्या जैसे अवैध प्रवासियों के नाम जोड़े गए हैं।

उन्होंने कहा, “कामेश्वरनगर, धौली, कुसमराई, झारा, समरवा, त्रिशूली जैसे गांवों में बीजेपी के लोगों का नाम कांग्रेस ने वोटर लिस्ट से हटवाया है। यह लोकतंत्र की हत्या जैसा कृत्य है।”


🔍कांग्रेस का मिशन वोटर लिस्ट जांच

कांग्रेस ने राज्यभर में मतदाता सूचियों की चार बिंदुओं पर जांच के निर्देश दिए हैं। पार्टी को संदेह है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में मतदाता सूची में गड़बड़ी की गई, जिससे चुनावी परिणाम प्रभावित हुए।


राजनीतिक विश्लेषण

विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले समय में यह मुद्दा और भी बड़ा रूप ले सकता है। खासकर 2026 में संभावित नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों से पहले बीजेपी और कांग्रेस दोनों इसे बड़ा चुनावी हथियार बना सकते हैं।

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