CG NEWS: भाजपा पार्षद के बगावती तेवर – महापौर को सौंपा ज्ञापन, अपनी ही सरकार पर उठाए सवाल

जगदलपुर नगर निगम में भाजपा के पूर्ण नियंत्रण के बावजूद अब अंदरूनी मतभेद सतह पर आने लगे हैं। दलपत सागर वार्ड के वरिष्ठ भाजपा पार्षद नरसिंह राव ने अपनी ही सरकार के खिलाफ नाराजगी जताते हुए महापौर संजय पांडे को ज्ञापन सौंपा है। इस कदम ने न केवल नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि भाजपा के भीतर गहराते असंतोष की ओर भी इशारा किया है।

❗ वार्ड की समस्याओं को लेकर नाराज़ पार्षद

पार्षद नरसिंह राव ने कहा कि चित्रकोट रोड और बिनाका मॉल के सामने हर वर्ष बारिश के दौरान भयंकर जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि घरों तक पानी घुस जाता है, जिससे खासकर गायत्री नगर के लोग बुरी तरह प्रभावित होते हैं।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि शहर की 80% पुलियाएं अतिक्रमण के कारण पूरी तरह जाम हैं, जिससे जल निकासी बाधित हो रही है। उनके अनुसार, यह समस्या केवल “छोटे-मोटे उपायों” से हल नहीं होने वाली, बल्कि इसके लिए नगर निगम को PWD के साथ मिलकर मास्टर प्लान तैयार करना होगा।

“अगर सब कुछ अच्छा चल रहा है, तो फिर हम सड़कों पर क्यों हैं?” — नरसिंह राव, पार्षद


😐 महापौर का चौंकाने वाला जवाब

जब इस मामले पर महापौर संजय पांडे से सवाल किया गया, तो उन्होंने पहले तो ज्ञापन मिलने की बात को ही नकार दिया। बाद में उन्होंने कहा कि निगम में किसी भी पार्टी के पार्षद के साथ भेदभाव नहीं किया जा रहा है।

महापौर ने दावा किया कि इस बार नगर निगम को जितना फंड प्राप्त हुआ है, उतना पहले कभी नहीं मिला। उन्होंने यह भी बताया कि शहर में चौड़ी सड़कों और बड़ी नालियों के निर्माण की कार्ययोजना पर काम चल रहा है।


🤔 सवाल उठता है — विरोध आखिर क्यों?

पार्षद और महापौर के बयानों में स्पष्ट विरोधाभास सामने आया है। यदि फंड की कोई कमी नहीं है और कार्ययोजनाएं पहले से मौजूद हैं, तो फिर वार्डों में अब तक जलभराव, अतिक्रमण और अव्यवस्था क्यों बनी हुई है?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि भाजपा शासित नगर निगम में ही भाजपा पार्षद को विरोध का रास्ता क्यों अपनाना पड़ा? क्या यह केवल वार्ड की समस्याओं का मामला है या फिर पार्टी के भीतर किसी गहरे असंतोष की अभिव्यक्ति?


🔍 निष्कर्ष

यह घटना सिर्फ नगर निगम की प्रशासनिक असफलता की ओर इशारा नहीं करती, बल्कि यह दर्शाती है कि भाजपा के भीतर भी मतभेद और नाराजगी अब खुलकर सामने आने लगे हैं। आगामी निकाय चुनावों से पहले इस तरह की घटनाएं पार्टी के लिए चिंताजनक संकेत हो सकती हैं।

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