0 परसाई जयंती पर लेखन और विषय विविधता पर जनमंच रायपुर में संगोष्ठी का आयोजन

रायपुर। परसाई जयंती के अवसर पर हरिशंकर परसाई का लेखन और विषय विविधता पर जनमंच रायपुर में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध साहित्यकार-व्यंग्यकार गिरीश पंकज, वरिष्ठ रंगकर्मी मिनहाज असद, छत्तीसगढ़ फिल्म एंड विजुअल आर्ट सोसायटी के अध्यक्ष और रंगकर्मी सुभाष मिश्रा ने परसाई जी की लेखन विविधता पर अपनी बात रखी।
संगोष्ठी में कहा गया कि प्रेमचंद के बाद परसाई ही हिंदी पाठकों के सबसे संपन्न लेखक थे। उनके निबंध, कहानी और लघु कथाओं पर सबसे अधिक मंचन और नाट्य प्रस्तुति हुई, ऐसा किसी और लेखक के साथ नहीं हुआ। परसाई ने समाज, राजनीति के क्षेत्र में आए अंतर्विरोध को समझा और जीवन दृष्टि यथार्थ कालक्रम समसामयिक घटनाओं और प्रवृत्तियों पर को अपनी रचनाओं के माध्यम से व्यंग्य किया।

गिरीश पंकज ने अपने वक्तव्य में कहा कि उन्हें परसाई से व्यंग्य दृष्टि प्राप्त हुई है। परसाई ने जितने विषयों पर लिखा है शायद ही किसी अन्य लेखक ने लिखा हो। मिनहाज असद ने कहा कि मैंने सबसे पहले परसाई की रचना इंस्पेक्टर, मातादीन चांद पर से अपनी नाट्य यात्रा प्रारंभ की और लगातार परसाई को पढ़ता गया। परसाई की रचनाओं में जो दर्शकों और पाठकों को बांधने की ताकत है वही ताकत किसी डायरेक्टर और लेखक के पास होनी चाहिए, तभी वह बेहतर कर सकता है।

संगोष्ठी के पूर्व हेमंत यादव ने सबसे पहले परसाई जी की रचना चूहा और मैं का नाट्य पाठ किया। इसके बाद महेश्वर ध्रुव ने तिवारी जी की आत्मकथा का नाट्य पाठ किया। जिसका निर्देशन श्रीमती रचना मिश्रा द्वारा किया गया। गोष्ठी के पश्चात इप्टा भिलाई की ओर से परसाई की रचना जैसे उनके दिन फिरे का मंचन किया गया। जिसका निर्देशन चारू श्रीवास्तव ने किया।

भ्रष्टाचार, विसंगतियों और मिथ्याचार पर प्रकाश डालती जैसे उनके दिन फिरे
जैसे उनके दिन फिरे यह कहानी एक राजा और उसके चार बेटों के बारे में है। इस कहानी में परसाई जी ने व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार, विसंगतियों और मिथ्याचार पर प्रकाश डाला है। उन्होंने दिखाया है कि कैसे सत्ता के लालच में लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं और कैसे व्यवस्था का दुरुपयोग किया जाता है।

इस अवसर पर डॉ. योगेन्द्र्र चौबे, अर्पिता बेडेकर सहित भिलाई इप्टा से जुड़े राजेश श्रीवास्तव, मणिमय मुखर्जी उपस्थित थे। नाटक में राजा की भूमिका अमित चौहान, रानी-खुशी सोनी, मंत्री-रोहित रेड्डी, राजकुमार 1-आदित्य, राजकुमार 2-नरेंद्र पटनारे, राजकुमार 3-कनिष्क, राजकुमार 4-राजीव, सेठ-अमिताभ, राजा 2- मधु, सैनिक- नमन विश्वकर्मा, सेवादार-1 – आदर्श, सेवादार-2 -नीरज, निर्देशक-चारू श्रीवास्तव हैं। इसमें सहयोग चित्रांश श्रीवास्तव, सुचिता मुखर्जी, राजेश श्रीवास्तव, मणिमय मुखर्जी, भारत भूषण परगनिहा, रोशन घड़ेकर, संदीप गोखले ने किया।

आज 23 अगस्त को शाम 7.00 बजे ”परसाई के नौ रंग”
रोटी, चौबे जी की कथा, जाति, उपदेश, सुशीला, होनहार, अनुशासन, अश्लील पुस्तकें, वैष्णव कथा (परसाई की रचनाओं का कोलॉज ) की प्रस्तुति होगी। जिसका निर्देशन, नाट्य रूपांतरण श्रीमती रचना मिश्रा द्वारा किया जाएगा।