रायपुर। छत्तीसगढ़ में ‘छत्तीसगढ़ अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन’ के बैनर तले आज करीब 5 लाख कर्मचारियों ने एकजुट होकर कलमबंद और कामबंद आंदोलन शुरू कर दिया। इस आंदोलन के तहत सभी सरकारी कार्यालयों का बहिष्कार किया गया है। कर्मचारी अपनी 11 सूत्रीय मांगों को लेकर राज्य सरकार से जवाब चाहते हैं और चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र समाधान नहीं निकला, तो यह आंदोलन अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदल जाएगा।

फेडरेशन अध्यक्ष कमल वर्मा ने कहा कि मंत्रालय और संचालनालय में प्रदर्शन के बाद अब आंदोलन का केंद्र बुढ़ातालाब बना है। उन्होंने सरकार से तत्काल मांगों पर निर्णय लेने की अपील की।
कर्मचारियों की मुख्य मांगें:
- केंद्र सरकार के समान 2% महंगाई भत्ता देय तिथि से लागू किया जाए।
- जुलाई 2019 से लंबित महंगाई भत्ते का एरियर GPF में समायोजित किया जाए।
- पिंगुआ कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।
- समयमान वेतनमान 8, 16, 24 और 30 वर्ष की सेवा पर मिले।
- कैशलेस चिकित्सा सुविधा और अनुकंपा नियुक्ति में 10% सीलिंग खत्म हो।
- सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष की जाए।
- संविदा और दैनिक वेतनभोगियों का नियमितीकरण किया जाए।

फेडरेशन ने साफ किया है कि यदि सरकार ने ठोस निर्णय नहीं लिया, तो यह आंदोलन और उग्र होगा, जिससे प्रदेशभर के सरकारी कार्य ठप पड़ सकते हैं।