सक्ती :- छत्तीसगढ़ प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ के बैनर तले संविदा स्वास्थ्यकर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे. जिले के लगभग 200 सौ कर्मचारी एवं प्रदेशभर के 16,000 हजार से ज्यादा एनएचएम कर्मचारी इस आंदोलन में शामिल होंगे.
प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अमित कुमार मिरी, जिलाध्यक्ष डॉ यशपाल चौधरी, कार्यकारी जिलाअध्यक्ष डॉ विजय कुमार लहरे ने कहा कि सरकार की बेरुखी और अड़ियल रवैये से आक्रोशित होकर इस बार कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय लिया है. 15 अगस्त तक सरकार की ओर से हमारी 10 सूत्रीय मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लिया गया हैं, जिसके चलते अब 18 अगस्त 2025 से प्रदेशभर के 16,000 से अधिक कर्मचारी कामबंद, कलमबंद हड़ताल करेंगे।
उनके हड़ताल से विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई (SNCU) , फिजियोथेरेपी विभाग, स्पर्श क्लीनिक (मानसिक रोग विभाग),जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र(DEIC)समेत सभी आपातकालीन सेवा बंद रहेगा.
राजनीतिक समर्थन और अब की अनदेखी:
संघ के जिलाध्यक्ष डॉ.यशपाल चौधरी ने बताया कि मौजूदा सरकार के कई वरिष्ठ नेता –
जैसे विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उपमुख्यमंत्री अरुण साव, विजय शर्मा, वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी, वन मंत्री केदार कश्यप एवं अन्य – बड़े नेताओं ने पूर्व में एनएचएम कर्मचारियों के मंचों पर आकर खुले समर्थन का आश्वासन देते रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के चुनावी घोषणा पत्र 2023 में “मोदी की गारंटी” में भी नियमितीकरण का वादा किया गया हैं।
लेकिन इस सरकार के विगत 20 माह में 160 से अधिक बार ज्ञापन व आवेदन देने के बाद भी कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया।
श्रीमती रुक्मणी चौहान ब्लॉक अध्यक्ष डभरा, अजय कवर ब्लॉक अध्यक्ष जैजैपुर, सतीश कुमार ब्लॉक अध्यक्ष मालखरौदा, राजकुमार ब्लॉक अध्यक्ष सक्ती ने बताया कि जिले के सभी एनएचएम कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे.
एनएचएम कर्मचारियों की 10 प्रमुख मांगे :
- संविलियन/स्थायीकरण
- पब्लिक हेल्थ कैडर की स्थापना
- ग्रेड पे का निर्धारण
- कार्य मूल्यांकन प्रणाली में पारदर्शिता
- लंबित 27% वेतन वृद्धि
- नियमित भर्ती में एनएचएम कर्मचारियों के लिए आरक्षण
- अनुकम्पा नियुक्ति
- मेडिकल व अन्य अवकाश की सुविधा
- स्थानांतरण नीति
- न्यूनतम ₹10 लाख का कैशलेस चिकित्सा बीमा
20 वर्षों की सेवा के बाद भी उपेक्षा:
एनएचएम कर्मचारी पिछले 20 वर्षों से प्रदेश के सुदूर अंचलों से लेकर प्रमुख शासकीय संस्थानों तक स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ बने हुए हैं।
कोविड-19 जैसी महामारी में भी इनकी भूमिका अतुलनीय रही है।
इसके बावजूद आज भी इन्हें मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा गया है, जबकि अन्य राज्यों में इसी मिशन के कर्मचारियों को बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं।