बड़ी कार्रवाई… महिला प्रधान आरक्षक सेवा से पृथक… नौकरी दिलाने के नाम पर पैसा लेने का था आरोप

. बता दें महिला प्रधान आरक्षक क्र. 942 मोनिका सोनी उर्फ मोनिका गुप्ता पर आरोप लगा था कि उन्होने अजय कुमार साहू की पुत्री पलक साहू को नौकरी दिलाने के नाम पर पैसे ले लिए थे. इस बात की शिकायत अजय साहू ने पुलिस में की थी. शिकायत पर 28 अक्टूबर 2024 को विभागीय जांच प्रारंभ हुई.

इसके लिए अतिरिक्त  पुलिस अधीक्षक पद्मश्री तंवर  को जांच अधिकारी और निरीक्षक श्रद्धा पाठक को प्रस्तुतकर्ता अधिकारी बनाया गया था. 15.07.25 को जांच अधिकारी ने विस्तृत रिपोर्ट सौंपी . इसके बाद 16.07.25 को महिला प्रधान आरक्षक को उनका पक्ष रखने के लिए समय दिया गया.

लेकिन उन्होने तय समय मे अपने पक्ष पर आवेदन न देकर 19.07.25 को जांच उपपत्ति की प्रति दी. इसके बाद विभाग ने उनको एक और मौका दिया. लेकिन महिला प्रधान आरक्षक मोनिका सोनी उर्फ मोनिका गुप्ता ने इस बार कोई अपने बचाव में कोई अभ्यावेदन पेश नही किया.

कार्य के  प्रति लापरवाही और अनुसाशासनहीनता बरतने की वजह से महिला प्रधान आरक्षक क्र. 942 मोनिका सोनी उर्फ मोनिका गुप्ता को  विभाग ने छत्तीसगढ़ पुलिस नियमावली के प्रावधानों के तहत “सेवा से बर्खास्त” कर दिया.  

जारी आदेश में उल्लेख है कि मोनिका सोनी का यह कृत्य पुलिस बल की गरिमा और शुचिता के विपरीत है, जिससे विभाग की छवि धूमिल हुई है। ऐसे में उन्हें शासन की सेवा में बनाए रखना उचित नहीं है। विभाग ने उन्हें छत्तीसगढ़ पुलिस नियमावली के प्रावधानों के तहत “सेवा से बर्खास्त की सजा दी है।

इसके साथ ही उनकी निलंबन अवधि 22 अगस्त 2024 से 5 जून 2025 तक की अवधि को सेवा में गणना के लिए निलंबन माना गया है। आदेश की प्रति पुलिस महानिरीक्षक दुर्ग रेंज सहित संबंधित अधिकारियों को भेजी गई है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि इस आदेश के विरुद्ध मोनिका सोनी 30 दिनों के भीतर पुलिस महानिरीक्षक को अपील कर सकती हैं।

एसएसपी विजय अग्रवाल ने बताया कि जांच अधिकारी की रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि मोनिका सोनी के खिलाफ लगे आरोप प्रमाणित हैं। मोनिका को 19 जुलाई 2025 को आरोपपत्र की प्रति प्रदान की गई थी,

लेकिन उन्होंने निर्धारित समय में अपना पक्ष प्रस्तुत नहीं किया। इसके बाद 28 जुलाई 2025 को अंतिम स्मरण पत्र भी जारी किया गया, जिसका भी कोई जवाब नहीं दिया गया। एक महिला एडिशनल एसपी एवं  महिला टी आई   को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था

पुलिस विभाग के लिए अयोग्य माना

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन और साक्ष्यों के आधार पर यह सिद्ध हुआ कि मोनिका सोनी ने अपने पद का गंभीर दुरुपयोग करते हुए अवैध वसूली की। इस कृत्य को कदाचार और अनुशासनहीनता की श्रेणी में रखते हुए उनके आचरण को पुलिस विभाग के लिए अयोग्य माना गया।

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