विधायक रेणुका सिंह का सख्त बयान: ‘डीएफओ कश्यप से सरकार की छवि को खतरा’

विधायक के इस सख्त बयान ने स्पष्ट कर दिया है कि डीएफओ के खिलाफ नाराजगी केवल नगर पालिका तक सीमित नहीं है, बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी उनके खिलाफ गहरी असहमति है। विधायक के बयान के तुरंत बाद, धरना दे रहे नगर पालिका अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सभी 22 पार्षदों ने आंदोलन समाप्त कर दिया,

लेकिन उनकी मांग स्पष्ट है—डीएफओ मनीष कश्यप के खिलाफ शीघ्र प्रशासनिक कार्रवाई हो। यह आंदोलन केवल कार्रवाई के आश्वासन पर समाप्त किया गया है। अब पूरा मामला वन मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के पाले में चला गया है।

सभी की नजर इस पर टिकी है कि सरकार इस विवादित अधिकारी के खिलाफ क्या निर्णय लेती है। यह प्रकरण प्रशासनिक व्यवस्था और जनप्रतिनिधियों के सम्मान से जुड़ा हुआ है, जिससे सरकार की छवि भी दांव पर लग चुकी है।

डीएफओ मनीष कश्यप के खिलाफ उठे इस विवाद ने न केवल स्थानीय प्रशासन को प्रभावित किया है, बल्कि यह राजनीतिक स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और क्या यह विवाद अंततः किसी सकारात्मक बदलाव का कारण बनेगा। जनप्रतिनिधियों की मांग और जनता की अपेक्षाएं इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

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