रायपुर। छत्तीसगढ़ के अंतरराष्ट्रीय पैरा-आर्मरेसलर श्रीमंत झा ने राज्य सरकार से न्याय की मांग करते हुए कहा है कि उन्हें सिर्फ पदक नहीं, बल्कि पहचान और सम्मान भी चाहिए। वर्षों की मेहनत और कई अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियों के बावजूद वे अब तक राज्य के सर्वोच्च खेल सम्मान – शहीद राजीव पांडे खेल पुरस्कार – से वंचित हैं।

हाल ही में श्रीमंत ने दिल्ली में आयोजित पैरा एशियन आर्मरेसलिंग चैंपियनशिप 2025 में भारत के लिए कांस्य पदक जीता। इससे पहले भी उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल अपने नाम किए, लेकिन हर बार राज्य पुरस्कार के लिए आवेदन करने के बावजूद उन्हें चयन सूची में जगह नहीं मिली।
श्रीमंत झा ने कहा, “क्या एक दिव्यांग खिलाड़ी की मेहनत और उपलब्धियां राज्य पुरस्कार के योग्य नहीं हैं? दूसरे राज्यों ने गैर-मान्यता प्राप्त खेलों के खिलाड़ियों को सम्मान दिया है, तो छत्तीसगढ़ में हम जैसे खिलाड़ियों को क्यों अनदेखा किया जाता है?” उन्होंने मध्यप्रदेश के मनीष कुमार, कर्नाटक के श्रीनिवास गौड़ा, केरल के जोबी मैथ्यू और मेघालय की मार्गरेट पाठाव जैसे खिलाड़ियों का उदाहरण दिया, जिन्हें उनके राज्यों ने सर्वोच्च सम्मान दिया, भले ही उनके खेल राज्य खेल सूची में न हों।
मैकेनिकल इंजीनियर श्रीमंत झा न सिर्फ एक सफल खिलाड़ी हैं, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा भी हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और खेल मंत्री से अपील की कि दिव्यांग खिलाड़ियों को भी सम्मान और पहचान का हक मिलना चाहिए। उनका कहना है, अगर उन्हें यह पुरस्कार मिलता है तो यह पूरे प्रदेश के दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए आत्मसम्मान और प्रेरणा का प्रतीक होगा।