रायपुर : अंतरराष्ट्रीय हास्य कवि पद्मश्री डा. सुरेंद्र दुबे की स्मृति में सद्भावना साहित्य संस्थान के तत्वावधान में रविवार को सिविल लाइंस स्थित वृंदावन हाल में काव्य पुष्पांजलि समर्पण काव्य संध्या का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के अध्यक्ष योगेश शर्मा योगी ने की। विशेष अतिथि साहित्यकार प्रदीप जोशी और वरिष्ठ कवयित्री गोपा शर्मा रहे। संचालन लक्ष्मीनारायण लाहोटी ने किया।
कवियों ने डा. सुरेंद्र दुबे के व्यक्तित्व, कृतित्व और ख्याति को भावनात्मक रूप से याद किया और विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। आयोजन में डा. दुबे की हास्य कविताओं का उल्लेख किया गया। कार्यक्रम में ‘ब्लैक डायमंड, टाइगर अभी जिंदा है, कका निपट गे’ डायलाग छाए रहे। सभी ने कहा कि डा. दुबे छत्तीसगढ़ की शान थे। उन्होंने विश्व में छत्तीसगढ़ को पहचान दिलाई।
कार्यक्रम में आरव शुक्ला और रामचन्द्र श्रीवास्तव को सद्भावना श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान से सम्मानित किया गया। इसके बाद गोष्ठी शुरू हुई, जिसमें कवि-कवयित्रियों ने अपनी श्रेष्ठ रचनाएं पढ़ीं। योगेश शर्मा योगी ने सद्भावना और भाईचारे पर रचना पढ़ी और सुरेंद्र दुबे को याद किया। कहा कि दुबे इस कविता को बहुत पसंद करते थे। प्रस्तुत हैं कुछ काव्य पंक्तियां-
कवि रामचन्द्र श्रीवास्तव ने काव्यपाठ का प्रारंभ करते हुए पढ़ा-
कंटकों का ध्यान ना कर, लक्ष्य का संधान कर।
स्वयं पर विश्वास कर, तू सत्य का आह्वान कर।।
कार्य कर परहित के तू, ना स्वयं पर अभिमान कर।
स्वयं पर विश्वास कर तू, सत्य का आह्वान कर।।
वरिष्ठ कवि छविलाल सोनी ने पढ़ा-
न तू भूल सका, न भुला पाया,
वह कौन है जिसको तू याद करे,
खुद प्रश्न भी तू , उत्तर भी तू ही,
आखिर किसको फरियाद करे ।
कवयित्री पल्लवी झा रूमा ने बढ़ा-
भाषा-शैली सुंदर रख तुम, मधुर वचन कहना,
संस्कारों को धारण करके, पहनो गुण गहना।
बेटी से तुम बहू बनो तो मर्यादित रहना,
लोक -लाज को सम्मुख रखकर, अविरल तुम बहना।
युवा कवि आरव शुक्ला ने पढ़ा-
किशन की आंख से बहने लगी गंगा,
सुदामा के चरण में देख के कांटे
मैं सच्ची बात क्या करने लगा तुमको,
मेरे अल्फाजभी लगने लगे कांटे।
आरडी अहिरवार ने पढ़ा-
मुमकिन है गुजर जाऊं दुबारा मैं यहां से,
शायद ही करूं कोई इशारा मैं यहां से।
फ़ितरत ने तुम्हारी मुझे अहसास कराया,
हर बार उठाऊंगा ख़सारा मैं यहां से।
दिनेश राठौर ने पढ़ा-
सितम ढाता है बारिश का महीना क्यों मेरे दिल पर,
मेरी मजबूरियों के राज ये सब खोल देता है ।
छुपाऊं किस तरह मैं दोस्तों से मुफलिसी अपनी,
अगर बारिश हुई तो घर का छप्पर बोल देता है।
इनके अलावा सुषमा पटेल, गोपा शर्मा, राजेंद्र रायपुरी, अनिल राय भारत, दिनेश राठौर, रुनाली चक्रवर्ती,
सुरेंद्र रावल, अमित दीवान, विवेक भट्ट, हर्ष व्यास ने भी अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।