मानसून सत्र में NHM कर्मियों का बड़ा आंदोलन संभव, सरकार की चुप्पी से बढ़ा आक्रोश

:रामनारायण गौतम:

सक्ती: छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के संविदा स्वास्थ्यकर्मियों का सब्र अब जवाब देने लगा है। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी वर्षों पुरानी और न्यायोचित मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया, तो आगामी विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।

 

 दो माह से सरकार की चुप्पी, कर्मचारियों में गहरा असंतोष

मई 2025 में NHM कर्मचारी संघ के प्रतिनिधिमंडल ने स्वास्थ्य सचिव श्री अमित कटारिया और मिशन संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला से मुलाकात कर नियमितीकरण, ग्रेड पे, मेडिकल अवकाश, और स्थानांतरण नीति जैसी मांगों पर चर्चा की थी। अधिकारियों ने एक माह में सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया था। लेकिन दो माह बीत जाने के बावजूद सरकार की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की गई है, जिससे कर्मचारियों में भारी नाराज़गी है।

 जिलों से आंदोलन की सिफारिश, संघ तैयार

NHM कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित मिरी ने जानकारी दी कि सभी जिलों से आंदोलन में भाग लेने की सहमति मिल चुकी है। जिलाध्यक्षों ने अनिश्चितकालीन आंदोलन की अनुशंसा भी की है।

संघ के प्रवक्ता श्री पूरन दास ने सरकार की निष्क्रियता पर नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा,

“NHM संविदा कर्मियों का धैर्य अब जवाब दे चुका है। शासन की वादाखिलाफी और उदासीनता, ‘सुशासन’ के दावों को खोखला साबित कर रही है।”

 विषम परिस्थितियों में सेवा, फिर भी उपेक्षा

बीते दो दशकों से ग्रेड पे, मेडिकल अवकाश और स्थायीत्व से वंचित रहकर ये संविदा कर्मी जनस्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ बने हुए हैं। इनके प्रयासों से छत्तीसगढ़ को स्वास्थ्य सेवाओं में कई राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार भी मिले हैं, लेकिन उनकी उपेक्षा सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है।

 मानसून में आंदोलन का असर जनस्वास्थ्य पर

बारिश के मौसम में डायरिया, डेंगू, मलेरिया, उल्टी, सर्पदंश जैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ता है। ऐसे समय में यदि हजारों NHM कर्मचारी आंदोलन पर जाते हैं, तो इसका सीधा असर ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं और जनजीवन पर पड़ेगा। इसकी पूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।

 सरकार से संवेदनशील निर्णय की अपील

NHM कर्मचारी संघ ने सरकार से पुनः अपील की है कि संविदा कर्मियों की मांगों को गंभीरता और संवेदनशीलता से लेकर तत्काल निर्णय लिया जाए। इससे न सिर्फ कर्मचारियों का मनोबल बना रहेगा, बल्कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था भी प्रभावित होने से बचेगी।