रायपुर। जहां कहीं भी मानव अधिकारों का उल्लंघन होता , वहाँ लोग मानव अधिकार आयोग के पास इस उम्मीद से जाते हैं कि उन्हें तत्काल निशुल्क न्याय और राहत प्रदान करेगा । आयोग अस्पतालों , जेल , पुलिस थानों और बाक़ी ऐसी संस्थानों का आकस्मिक निरीक्षण कर कार्रवाई और शासन को प्रभावी अनुशंसा करने सक्षम है , जो संथा मानव अधिकारों का संरक्षण करती हो , यदि ऐसे मानव अधिकार आयोग का रायपुर स्थित मुख्यालय खुद ही अस्पताल की गंदी और कचरे के ढेर से जुझ रहा हो तो वो किससे गुहार करे ।
रायपुर के डी के हॉस्पिटल परिसर से लगे Dks सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का कचरा लंबे समय से उसके पीछे बने मानव अधिकार आयोग के सामने सड़क पर इकट्ठा हो रहा है । जब आयोग के संज्ञान कानों तक इसकी दुर्गंध पहुँची तो आयोग के वरिष्ठ अधिकारी ने सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल की अधीक्षका डॉ मैडम को फ़ोन लगाकर कचरा हटवाने कहा जब उनकी ओर से रूखा सा जवाब मिला तो उन्होंने इस संबंध में रिपोर्ट दर्ज करने की बात कही । डॉ शिप्रा मैडम ने चका सा जवाब देते हुए कहा जो करना है , कर लो ।
मानव अधिकार आयोग के मुख्यद्वार के पास जो मेडिकल कचरे का ढेर लग रहा है। यह कोई मामूली कचरा नहीं, बल्कि राज्य के नामी सुपर स्पेशलिटी डीकेएस अस्पताल का खतरनाक मेडिकल कचरा है, जो धड़ल्ले से आयोग के दरवाजे पर फेंका जा रहा है।
मेकाहारा बनने के पूर्व इसी भवन से मेडिकल कॉलब संचालित होता था । दानवीर दाऊ कल्याण सिंह द्वारा दी गई दान की भूमि पर बना डीकेएस अस्पताल, जो कभी छत्तीसगढ़ की शान माना जाता था, आज अपनी लापरवाही के कारण सुर्खियों में है। अस्पताल की प्रभारी डीन डॉ. शिप्रा और उनके सहयोगी डॉक्टर , पैरा मेडिकल। स्टाफ़ नहीं जानता है कि क्या
बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट नियम, 2016 के तहत, अस्पतालों को कचरे को अलग करना, उसका सुरक्षित निपटान करना अनिवार्य है। मेडिकल वेस्ट का यह कचरा कितना खतरनाक हो सकता है। यहां सड़क पर पड़ी सुई, सीरिंज, खून से सने बैंडेज, बची हुई दवाईयां और न जाने क्या-क्या, ये सब बहुत ख़तरनाक हैं इनसे महामारी फैलने की आशंका है ।
दूसरों के अधिकारों को संरक्षित करने की जवाबदेही जिस आयोग के पास है , जहां के अध्यक्ष पूर्व DGP हैं जहां पर जजों की पदस्थापना है ऐसे मानव अधिकार आयोग को आज सफ़ाई के लिए यहाँ वहाँ देखना पड़ रहा है । सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल की अधीक्षका डॉ क्षिप्रा इस संबंध में कुछ सुनने को तैयार नहीं हैं । यह स्वास्थ्य विभाग के वर्क कल्चर को बताता है ।वैसे भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बहुत ढीठ हैं भले ही कुछ लोग रेडियेंट मामले में जेल में हों पर बहुत सारे लोग अंबानी बदतमीज़ी , बददिमाग़ी और करोड़ों का व्यापा न्यारा करने के बाद अपने व्यवहार में कोई सुधार नहीं लाना चाहते ।