Unidentified body: शिशुपाल पर्वत में मिली अज्ञात शव का की अभी तक कोई शिनाख्त नही हो पाई

शिशुपाल पर्वत में मिली अज्ञात शव का की अभी तक कोई शिनाख्त नही हो पाई
  • वन विभाग पर्यटकों से शुल्क तो लेता है पर साधन , सुविधा व सुरक्षा से परहेज करता है 
  • वन अधिकारी को सूचना देने के बाद भी घटनास्थल पर कोई नही पहुंचा 

दिलीप गुप्ता
सरायपाली :- सरायपाली के प्रसिद्ध शिशुपाल पर्वत की तलहटी पर दो दिनों पूर्व एक युवती की सड़ी गली हालत में शव मिला था । सिंघोड़ा पुलिस को कोटवार व जनपद सदस्य द्वारा सूचना दिए जाने के तत्काल बाद टीआई उत्तम तिवारी द्वारा पुलिस बल के साथ घटनास्थल रावण होकर ग्रामीणों के सहयोग से काफी मुश्किलों के बाद शव को बाहर निकल जा सका । किंतु वन विभाग के अन्तर्गतवाने वाले इस शिशुपाल पर्वत पर घटी घटना की सूचना दिए जाने के बाद वन विभाग से घटनास्थल तक कोई नही पहुंचा । यह सिधे सीधे गंभीर मामलों में लापरवाही बरते जाने का मामला है । पुलिस द्वारा जब शव को बाहर निकाला जा रहा था उस समय कान में पहनने वाली एक बाली भी प्राप्त हुई है । पुलिस द्वारा कपड़ो व बाली के आधार पर शव के पहचान का प्रयास किया जा रहा है ।

शिशुपाल पर्वत को पर्यटन स्थल घोषित तो कराने का प्रयास तो किया जा रहा है । किंतु पर्यटन क्षेत्र होने के बावजूद वन विभाग द्वारा अभी तक इसके विकास के लिए कोई योजना नही बनाई गई है । अभी सब कुछ राम व वन विभाग के भरोसे चल रहा है ।
इस संबंध में कुछ पर्यटकों , ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों ने बताया कि पिछले कुछ महीनों से वन विभाग द्वारा शिशुपाल घूमने आ रहे पर्यटको से प्रति व्यक्ति 20 रुपये लिया जा रहा है । यह शुल्क कथित वन समिति के सदस्यों के द्वारा लिया जाना बताया । इस क्षेत्र के पूर्व सरपंच , कोटवार व जनपद सदस्य ने बताया कि समिति में संबंधित ग्राम के कुछ युवकों को रखा गया है । सदस्यों ने उन्हें बताया था कि यह पैसा समिति के खाते में जमा होती है । पर इस प्राप्त राशि का उपयोग कहाँ व कैसे व किस मद में किया जाता है यह संबंधित अधिकारी नही बताते । इसी तरह जो भी पर्यटक अपने वाहनों में शिशुपाल घूमने आते हैं उन्हें अपनी वाहनों को नीचे रखना पड़ता है इसका भुगतान मोटरसाइकिल का 20 व कार का 50 रुपये पार्किंग शुल्क ग्रामीण युवकों द्वारा लिया जाता है म इस तरह पर्यटकों को शुल्क के नाम से दोहरी मार पड़ रही है । शुल्क नही देने पर बहस भी होती है ।

वन विभाग को चाहिए कि जब शिशुपाल पर्यटन स्थल उनके अन्तर्गत आता है व प्रति व्यक्ति 20 रूपते शुल्क लिया जा रहा है तो पर्यटकों को पार्किंग सुविधा भी मिलनी चाहिये । पर ऐसा नही हो रहा है । इसके साथ ही वन विभाग का यह दायित्व है कि वह शुल्क लेने के बाद भी व वैसे भी जब यह पर्यटन स्थल वन विभाग के अधीन है व प्रतिवर्ष सैकड़ों की संख्या में पर्यटक आते हैं तो विभागिय तौर पर पर्यटकों की सुरक्षा , साधन व सुविधा उपलब्ध कराए जाने की जिम्मेदारी व जवाबदारी भी वन विभाग की होती है । पर शिशुपाल पर्वत में पर्यटकों की सुरक्षा , सुविधा व साधन वन विभाग उपलब्ध नही दिला पा रहा है ।

पर्वत के सबसे ऊपरी हिस्से में काफी बड़ा मैदान है जहां सभी पर्यटक घूमते है व मजा लेते हैं जिनमे महिलाएं व बच्चे भी होते हैं । यहां की ऊंचाई 1200 फिट बताई जा रही है यहां सुरक्षा के कोई इंतजाम नही होने के कारण बरसात में फिसलने व थोड़ी भी चूक होने से सीधे 1200 फिट गहराई में व्यक्ति गिरता है गिरने के बाद उसके बचने की कोई संभावना नही होती । सबसे खासियत बात यह है कि उस गिरे हुवे व्यक्ति के शव को ढूंढकर निकालना बहुत मुश्किल काम होता है ।

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