MLA Chaturi Nand: विधायक चातुरी नंद ने विधानसभा में उठाया धान परिवहन में देरी के मुद्दा

  •  जिले के 182 केंद्रों में 2.79 लाख मीट्रिक टन धान जाम
  •  600 करोड़ रूपये से अधिक का धान का अब तक नहीं हुआ उठाव

सरायपाली : क्षेत्रीय विधायक चातुरी नंद ने महासमुंद जिले के 182 धान खरीदी केंद्रों में 2.79 लाख मीट्रिक टन धान का एक माह बाद भी उठाव नहीं होने के मुद्दे को विधानसभा में ध्यानाकर्षण के माध्यम से उठाया।

विधायक चातुरी नंद ने अपने सदन में अपने ध्यानाकर्षण सूचना के जरिए दिए व्यक्तव्य में कहा कि महासमुंद जिले में इस वर्ष 182 धान खरीदी केन्द्रों में 11 लाख 4 हजार मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है। खरीदी के बाद अब तक 8 लाख 15 हजार मीट्रिक टन धान का ही उठाव हुआ है शेष पड़े 2.79 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान ट्रांसपोर्टर और मिलरों की लापरवाही से खरीदी केन्द्रों में पड़े हुए है। जिस ट्रांसपोर्टर को धान परिवहन का ठेका मिला है उन्होंने अपना काम पेटी में स्थानीय ट्रांसपोर्टरों को सौंप दिया है जिससे धान परिवहन बाधित हुई है। धान खरीदी केन्द्रों में तेज धूप के कारण एक ओर बारदाने सड़ रहे है तो दूसरी ओर केप कवर फट रहे है जिससे करोड़ों रूपये की धान का नुकसान हो रहा है। धान खरीदी के बाद समय पर धान का उठाव नहीं होने से धान बाहर ही पड़े हुए है जिसे चूहे खा रहे है और धूप में पड़े पड़े सूख रहे है। जनप्रतिनिधियों द्वारा मौखिक रूप से बार बार बोलने के बावजूद धान के उठाव में तेजी नहीं लाई गई है जिससे आज खरीदी केन्द्रों में करोड़ों रुपए के धान पड़े हुए है।

उन्होंने अपने ध्यानाकर्षण में यह भी कहा कि धान खरीदी के 20 दिन से अधिक समय बीतने के बावजूद अब तक धान का उठाव नहीं होना शासन प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है। जिला प्रशासन की सुस्त रवैया और उदासीन रवैया के कारण ट्रांसपोर्टर, मिलर और समिति प्रबंधक की लापरवाही से करोड़ों का नुकसान शासन को हो रहा है। ऐसी ही स्थिति पूरे प्रदेश में है। धान खरीदी के बावजूद शासन प्रशासन के धान उठाव में तेजी नहीं लाने से प्रदेशभर में अरबों रुपयों का नुकसान शासन को हो रहा है।

विदित हो कि जिले में धान खरीदी के एक माह से अधिक समय बीतने के बावजूद खरीदी केन्द्रों से धान का उठाव नहीं होने से धान खरीदी केन्द्रों में जाम है जो धूप में पड़े पड़े सूख रहे है और खराब भी हो रहे है। प्रबंधकों को धान का उठाव नहीं होने से चिंता सता रही है। वहीं जल्द उठाव नहीं होगा तो शासन को करोड़ों रूपये का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।