कोरिया :- सूचना के अधिकार अधिनियम का मजाक बना कर रखे हैं। निचले स्तर के अधिकारी सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत लगे आवेदन पर प्रथम चरण पर कार्यवाही न के बराबर ही होती है। जब तक की आवेदक प्रथम अपील के लिए न जाए । अब तो हद ही हो गई है। प्रथम अपीलीय अधिकारी के भी आदेश की भी अव्हेलना करते नजर आ रहे है। जन सूचना अधिकारी के मन से कही न कही अपीलीय अधिकारी के आदेश को दरकिनार कर अपीलार्थी को चाही गई जानकारी न देना इस बात की गवाही देता है। कि अपीलीय अधिकारी का निर्णय उनके लिए कोई मायने नही रखता । जरासल मामला कोरिया जिले के सोनहत जनपद पंचायत के जन सूचना अधिकारी से जुड़ा है। आवेदक ने आरटीआई पोर्टल के माध्यम से सोनहत जन सूचना अधिकारी कार्यालय जनपद पंचायत सोनहत को अलग अलग आवेदन कर विभिन्न ग्राम पंचायतों के 14वें वित्त राशि के खर्च से संबंधित जानकारी चाही थी।
मगर समयावधि अंतर्गत जन सूचना अधिकारी ने आवेदक को ना पत्राचार किया और न ही पोर्टल में आवेदन संबंधित कार्यवाही अपडेट की 30 दिवस बीत जाने के बाद आवेदक ने अपील अधिकारी जिला पंचायत सीईओ को प्रथम अपील और मामले की सुनवाई के लिए आवेदन किया। अपील आवेदन पर प्रथम अपील अधिकारी ने सुनवाई करते हुए जन सूचना अधिकारी को आदेशित किया कि 7 दिवस के भीतर अपीलार्थी को चाही गई जानकारी निःशुल्क उपलब्ध कराई जाए । साँथ ही ये वार्न किया गया कि भविष्य में आरटीआई के तहत प्राप्त आवेदनों का समय सीमा के अंदर निराकरण करें। अन्यथा अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रस्तावित की जाएगी। आदेश के बाद भी जन सूचना अधिकारी जनपद सीईओ सोनहत आज तक अपीलार्थी को चाही गई जानकारी उपलब्ध नही करा सके है। जो अपील अधिकारी जिला पंचायत सीईओ के आदेश का खुला उलंघन है। हालांकि अब देखना होगा है कि आदेश परिपालन के उलघंन में जनपद सीईओ सोनहत के खिलाफ क्या कार्यवाही की जाएगी और अपीलार्थी को कब तक चाही गई जानकारी उपलब्ध करा पाते है।