CG News: सक्ती में शिक्षकों के स्थानांतरण से शिक्षा व्यवस्था प्रभावित, छात्रों ने किया विरोध…

सक्ती। सक्ती जिले में संचालित विद्यालयों में शिक्षा प्रणाली में कसावट लाने ट्रांसफर नीति के तहत शिक्षकों का स्थानातंरण किया जा रहा है, वहीं आदेश जारी होते ही संबंधित स्कूलों के विद्यार्थी लामबंद होने लगे हैं और इसका पुरजोर विरोध किए जाने की घटनाएं सामने आ रही हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो सक्ती जिले में अब एक नई पंरपरा का उदय होने लगा है, जिसमें शासन-प्रशासन की ट्रांसफर नीति फेल होती दिख रही है, वहीं स्कूल में अध्ययनरत बच्चों ने अब पढ़ाई छोड़ हड़ताल धरना प्रदर्शन का रास्ता अख्तियार कर लिया है। नतीजतन स्कूलों में तालाबंदी का दौर चल पड़ा है और शासन-प्रशासन को भी उदयमान हो रहे इस नई परंपरा को मौन स्वीकृति देने मेें अपनी भलाई नजर आ रही है। लेकिन सवाल यह है कि क्या शिक्षातंत्र को दुरूस्त करने, शिक्षा प्रणाली में कसावट लाने शासन प्रशासन द्वारा शिक्षकों के लिए जो स्थानांतरण प्रक्रिया अपनाई जा रही है, उस पर धरना-प्रदर्शन करके विराम लगाना उचित है? विश्लेषकों का मानना है कि स्कूल प्रबंधन और वहां पदस्थ शिक्षकों के इशारों पर ही बच्चों को पढ़ाई की दिशा से भटकाकर, उनके भविष्य के अंधकारमय होने की भय दिखाकर उन्हें आंदोलन धरना प्रदर्शन की राह में धकेल दिया गया है।

पहला मामला सक्ती जिले के स्वामी आत्मानंद कन्या स्कूल हसौद का है, जहां दो शिक्षकों का ट्रांसफर आदेश जारी होने के बाद छात्राओं ने ज्ञापन सौंपकर कलेक्टर एवं जिला शिक्षा अधिकारी से तत्काल शिक्षकों के स्थानांतरण पर रोक लगाने की मांग की थी, अन्यथा धरना प्रदर्शन किए जाने की बात कही थी। मामले को तत्काल संज्ञान में लेते हुए जिला शिक्षा अधिकारी ने अरूण कुमार जायसवाल, व्याख्याता भूगोल शास. उच्च. माध्य. शाला हसौद एवं धजाराम लहरे, व्याख्याता जीव विज्ञान शास. उच्च. माध्य. शाला कन्या हसौद का स्थानांतरण तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया। संबंधित शिक्षकों को उनके मूल संस्था में कार्यभार ग्रहण कर अध्यापन कार्य सतत् जारी रखने आदेशित किया गया।
दूसरा मामला शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय किकिरदा का है, जहां प्रभारी प्राचार्य प्रकाश रात्रे और विज्ञान सहायक रोहित साहू को यथावत रखने की मांग को लेकर छात्र-छात्राओं ने सुबह 10 बजे से ही स्कूल गेट में ताला जड़कर प्रदर्शन शुरू कर दिया और 2 घंटे तक छात्र-छात्राएं डटे रहे, वहीं मीडिया में इसकी खबर चलने पर प्रशासन हरकत में आया और सक्ती डीईओ ने तत्काल आदेश जारी कर प्रभारी प्राचार्य,शिक्षक को यथावत रखने बच्चों की मांगें मान ली।

इस संबंध में पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष एवं अग्रवाल सभा अध्यक्ष श्यामसुंदर अग्रवाल का कहना है कि सक्ती जिले में एक नई और गलत परंपरा का उदय होने लगा है। शिक्षकों का स्थानांतरण एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसका समय-समय पर होना आवश्यक भी है, तभी शिक्षकों की प्रतिभा और उनके ज्ञान की आभा हर स्कूल के बच्चों तक पहुंच सकेगी। स्कूलों में समायोजन के अभाव में या विद्यालयों में शिक्षकों का अनुपात काफी खराब होने के साथ-साथ स्थानांतरण और सेवानिवृत्त होने से कई स्कूलों में शिक्षकों की संख्या कम हो जाती है लेकिन छात्र संख्या पहले जैसे होने से पठन-पाठन प्रभावित होने लगता है। इसके चलते भी स्थानांतरण आवश्यक है।

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श्री श्यामसुंदर अग्रवाल ने आगे कहा कि कई सारे विद्यालयों में छात्रों के अनुपात में पदस्थापित शिक्षकों की संख्या अत्यधिक है। इसी प्रकार कई ऐसे भी विद्यालय है जहाँ बच्चों की संख्या अधिक है परन्तु उस अनुपात में शिक्षक उपलब्ध नहीं है। इन्हीं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए स्थानांतरण किए जाने का आदेश जारी किया जाता है, लेकिन शासन की स्थानांतरण नीति को पटखनी देते हुए जिस तरह विद्यार्थियों को आंदोलन की राह पर धकेल दिया गया है, उसने जिले में एक नई और गलत परंपरा को जन्म दिया है, जिससे अब इन बच्चों के भविष्य के अंधकारमय होने का खतरा मंडराने लगा है।

पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष श्यामसुंदर अग्रवाल ने इसके पीछे राजनीतिक षड्यंत्र होनेे से इंकार करते हुए कहा कि स्कूल प्रबंधन द्वारा यदि अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए बच्चों को उकसाया जाता है तो वह भी बिल्कुल गलत और निंदनीय है। इससे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा। यदि यही हाल रहा तो शासन प्रशासन की स्थानांतरण नीति फेल हो जाएगी और सारा कंट्रोल उन लोगों के हाथों में चला जाएगा जो इन मासूम बच्चों को आंदोलन के लिए उकसाते हैं और भविष्य के अंधकारमय होने का भय दिखाकर स्कूल मे तालाबंदी किए जाने को विवश करते हैं। बच्चे इस दिवा स्वप्न में ही डूबे रहते हैं कि अमुक शिक्षक ही उनका भविष्य संवार सकता है और शासन प्रशासन की ट्रांसफर नीति से उनका भरोसा उठ जाता है। शिक्षकों के स्थानांतरण से जहां शिक्षक एक से दूसरे स्कूलों में पहुंचकर बच्चों तक ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं वहीं अलग-अलग शिक्षकों के संपर्क में आकर बच्चे ब्रिलिएंट भी बनते हैं।

श्री अग्रवाल ने बताया कि कलेक्टर श्री तोपनो ने अपनी पदस्थापना के साथ ही लगातार स्कूलों का निरीक्षण करते हुए जिले में शिक्षा तंत्र को मजबूत करने की दिशा में ठोस प्रयास शुरू कर दिया था। कई लापरवाह शिक्षकों और विद्यालयों को नोटिस भी दी गई। जिले में अच्छे शिक्षकों को चिन्हांकित करके ट्रंासफर नीति के तहत उनका स्थानांतरण आदेश जारी किया गया था, ताकि वे अपने ज्ञान का प्रकाशपुंज दूरवर्ती ग्रामीण अंचलों में संचालित विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों तक पहुंचा सके, लेकिन धरना प्रदर्शन की आड़ में शासन की नीति को फेल करने की जो साजिश रची जा रही है, उसे ध्यान में रखते हुए शासन प्रशासन को ठोस कदम उठाने होंगे, अन्यथा विद्यालयों में मासूम बच्चे हाथों में झण्डे बैनर थामकर धरना प्रदर्शन करते देखे जाएंगे और सक्ती जिले के स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधरने के बजाय बदतर होता चला जाएगा।

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