रामनारायण गौतम
Traditional festival of Chhattisgarh : छतीसगढ़ का पारंपरिक त्योहार भोजली जो मित्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है
Traditional festival of Chhattisgarh : सक्ती । सारा गांव में छतीसगढ़ के पारंपरिक त्योहार भोजली जो मित्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार अच्छी बारिश और अच्छी फसल के लिए शगुन का स्वरूप है। नगर पंचायत सारागांव मे महिलाएं ने भोजली को अपने सिरों में रखकर शोभा यात्रा के रूप में तालाब में विसर्जन करने गाजे बाजे के साथ नि
कले तालाब के पास एकत्रित होकर सभी भोजलीयों का अतिथियों द्वारा निरीक्षण कर प्रथम द्वितीय तृतीय पुरस्कार के रूप में महिलाओं को अतिथियों के द्वारा पुरस्कार वितरण किया गया भोजली त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया गया।
जिसमें ग्राम के युवतियों द्वारा बड़े ही उत्साह से 7 दिवस तक भोजली की सेवा के बाद भोजली विसर्जन का कार्यक्रम सारागांव चौक में रखा गया। जिसमें महिलाएं बच्चों के उत्साहवर्धन के लिए पुरस्कार रखा गया।
जिसमें प्रथम पुरुस्कार कलावती सूर्यवंशी दिव्या सूर्यवंशी दूसरा पुरस्कार हेमलता सूर्यवंशी प्रमिला सिदार तीसरा पुरस्कार सरस्वती सिदार गीता बाई सूर्यवंशी चौथा पुरस्कार नीरा सूर्यवंशी खुशी कहरा को दिया गया ।
फिर सिर पर भोजली को रखकर विसर्जन यात्रा निकाली गयी। जिसमें पूरे ग्राम वासी द्वारा भोजली गीत गाकर डीजे बाजे के साथ गांव के गली मुहल्ले होते हुए तालाब में विसर्जित किया गया । सहसराम कर्ष ने बताया 7 दिन पहले भोजली की बुआई की जाती है।
Traditional festival of Chhattisgarh : हर रोज शाम को भोजली गीत के साथ पूजा-अर्चना कर राखी के दूसरे दिन विसर्जित किया जाता है । भोजली त्योहार मित्रता का त्यौहार है भोजली विसर्जन आल्हा ऊदल के समय से यह परंपरा चलते आ रही है भोजली विसर्जन देखने बड़ी संख्या में नगर के महिला पुरुष आसपास के ग्रामीण जन उपस्थित थे