:राजेश राज गुप्ता:
बैकुण्ठपुर – आपातकाल की 50वीं बरसी पर भाजपाईयों ने मानस भवन में काला दिवस मनाया। इस अवसर पर अतिथियों ने भारत माता, डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी एवं पं.दीनदयाल उपाध्याय जी के छाया चित्र पर द्वीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
कार्यक्रम में भरतपुर-सोनहत विधायक रेणुका सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि, देश में आपातकाल लगाने की घोषणा तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 की देर रात आकाशवाणी पर एक प्रसारण में की थी, इससे कुछ घंटों पहले, सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा सदस्य के रूप में इंदिरा गांधी के निर्वाचन को अमान्य घोषित करने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सशर्त रोक लगा दी थी, सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा गांधी से कहा था कि, वह संसदीय कार्यवाही से दूर रहें।

हालांकि, उन्होने कुछ और ही सोच रखा था यह आपातकाल देश में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक की 21 महीने की अवधि के लिए आपातकाल लागू था, तत्कालीन राष्ट्रपति फखरूदीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत देश में आपातकाल की घोषणा की थी, संविधान के अनुच्छेद 352 के अनुसार, राष्ट्रपति देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खरतरा चाहे वह युद्ध या बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह से होने पर आपातकाल की घोषणा।
जिलाध्यक्ष देवेन्द्र तिवारी ने कहा कि, आज 25 जून है, जो लोग इस देश के संविधान की गरिमा के प्रति समर्पित है, जो लोग भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं पर निष्ठा रखते है, उनके लिए 25 जून ना भूलने वाला दिवस है, 25 जून को भारत के लोकतंत्र पर जो काला धब्बा लगा था, उसके 50 वर्ष हो रहे है,
भारत के नई पीढ़ी इस बात को कभी नहीं भूलेगी कि, उस समय कैसे देश के संविधान को पूरी तरह नकार दिया गया था। देश को जेल खाना बना दिया गया था और लोकतंत्र की हत्या कर दी गई।

पूर्व जिलाध्यक्ष कृष्णबिहारी जायसावल ने कहा कि, 25 जून को देश में आपातकाल के 50 साल पूरे हो रहे हैं, बीजेपी आपातकाल की 50वीं बरसी को ’संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मना रही है। उन्होने कहा कि, कार्यक्रम का मकसद है कि नई पीढ़ी को आपातकाल के काले अध्याय से अवगत करा सकें और उन्हें बताया जाए कि कैसे आम लोगों के अधिकार छीन लिए गए थे।
कार्यक्रम में प्रदर्शनी के माध्यम से भी आपातकाल के काले अध्याय को दिखाने का प्रयास किया जा रहा है।
मीसाबंदी प्रेमनारायण तर्किहार ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उस समय एक साधारण कार्यकर्ता हुआ करते थे और उनके जैसे लाखो समर्पित स्वयं सेवको ने रातो रात रेलों में पर्चे बांटे, संदेश पहुंचाए और कांग्रेस की सच्चाई हर गांव और गली तक पहंुचाई। कांग्रेस की तानाशाही का विरोध केवल राजनीतिक नहीं था, यह भारत की आत्मा की रक्षा का आंदोलन था जिसमें राष्ट्रवादियों ने जान की बाजी लगाई।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से जिलाध्यक्ष देवेन्द्र तिवारी, पूर्व जिलाध्यक्ष कृष्णबिहारी जायसवाल, पूर्व जिला उपाध्यक्ष शैलेष्ज्ञ शिवहरे, जिला उपाध्यक्ष राजेश सिंह, बसंत राय, अशोक जायसवाल, चुन्नी पैकरा, रविशंकर राजवाड़े, अनिल साहू, जिला महामंत्री पंकज गुप्ता, कपिल जायसवाल, नगर पालिका अध्यक्ष अरूण जायसवाल, नगर पंचायत अध्यक्ष गायत्री सिंह, नगर पंचायत उपाध्यक्ष गौरव अग्रवाल, जनपद अध्यक्ष आशादेवी सोनपाकर, जिला मंत्री शिव कुमारी सोनपाकर,
सुनिता कर्रें, ईश्वर राजवाड़े, कार्यक्रम संयोजक शारदा गुप्ता, प्रदीप तिवारी, कृष्णावती यादव, जिला कोषाध्यक्ष रामकृष्ण शर्मा, सह कोषाध्यक्ष राजेन्द्र चक्रधारी, जिला कार्यालय मंत्री मंजू जिवनानी, जिला मीडिया प्रभारी तीरथ राजवाड़े, सह प्रभारी गणेश यादव, वर्षा साहू, सोशल मीडिया प्रभारी जगनारायण साहू, राकेश गुप्ता, मंडल अध्यक्ष मैनेजर राजवाड़े, सुरेश सिरदार, मुन्नाराम चक्रधारी, सचिन मलिक, रीता यादव, रमन गुप्ता, रवि त्रिपाठी, संजय चिकनजूरी, सुभाष साहू, राकेश पैकरा, रामलखन यादव, सच्चिदानंद द्विवेदी, दिनेश यादव, राजाराम राजवाड़े, मनोज साहू, धर्मवती राजवाड़े, संगीता गुप्ता, रमेश तिवारी, हितेश सिंह सहित पार्टी कार्यकर्तागण उपस्थित रहें।