अनिता गर्ग
तमनार / विकासखंड लैलूंगा तहसील तमनार के सर्व आदिवासी समाज ने छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजातियों के लिए 32% आरक्षण को याथावत करने महामहिम राष्ट्रपति राज्यपाल प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार तमनार अनुज कुमार पटेल को ज्ञापन सौंपा गया।
सर्व आदिवासी समाज तमनार के कुशल मार्गदर्शन में शिवपाल भगत, गुलाबी सिदार, डूला मणि राठिया, संपत्ति सिदार जानकी राठिया के नेतृत्व में महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष विद्यावती सिदार, पूर्व विधायक ह्रदयराम राठिया, पूर्व विधायक सुनीति राठिया, भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत, वन्माली सिदार सहित करीबन हजारों की संख्या में बच्चे युवा महिला पुरुष
जनप्रतिनिधि गण ने आरक्षण कटौती का विरोध करते हुए 7 नवंबर सोमवार को जनपद कार्यालय से बरभाठा चौक बस स्टैंड थाना से होते हुए तहसील कार्यालय तक रैली निकालकर ज्ञापन सौंपा गया।
सर्व आदिवासी समाज ने ज्ञापन में कहा है, कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले से आदिवासी समाज का 32% आरक्षण कम होकर 20% हो गया है इस फैसले से प्रदेश में शिक्षण मेडिकल इंजीनियरिंग उच्च शिक्षा व नई भर्तियों में आदिवासियों को
बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा राज्य बनने के साथ 2001 से आदिवासियों को 32% आरक्षण मिला था परंतु नहीं मिला केंद्र के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के द्वारा जारी 2005 जुलाई के निर्देश जनसंख्या अनुरूप आदिवासी 32% ऐसी 12% और ओबीसी के लिए 6% सिवड़ी पदों के लिए जारी किया गया था
छत्तीसगढ़ शासन को बारंबार निवेदन आवेदन और आंदोलन के बाद आरक्षण अध्यादेश 2012 के अनुसार आदिवासियों को 12% एससी 12% और ओबीसी के लिए 14% दिया गया अध्यादेश को लेकर हाईकोर्ट में अपील की गई छत्तीसगढ़
सरकार द्वारा इस दिशा में एक-एक दिन का भी विलंब करने पर नीत एवं जी साथ कई सारे शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश तथा नौकरियों के लिए साक्षात्कार का दिनांक तय हो चुके भर्ती परीक्षाओं में अनुसूचित जनजाति समुदाय के लाभार्थियों को
तत्काल भारी और अपने नुकसान होगा मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए सरकार द्वारा दुरुस्ती नोटशीट एवं रिकॉर्ड के साथ तत्काल संशोधित अधिनियम अध्यादेश जारी किया जाना चाहिए जिसमें राज्य के अनुसूचित जनजातियों को जनसंख्या के
अनुपात एवं पिछड़ेपन को ध्यान में रखकर 12% आरक्षण का प्रावधान हो या तब तक माननीय सर्वोच्च न्यायालय से स्टे आर्डर लिया जावे सरकार द्वारा दुरुस्त नोटशीट एवं रिकॉर्ड के साथ तत्काल संशोधन अधिनियम अध्यादेश जारी किया जाए,
जिसमें राज्य के अनुसूचित जनजातियों को जनसंख्या के अनुपात एवं पिछड़ेपन को ध्यान में रखकर यथावत 12% आरक्षण का प्रावधान किया जाए।