आएंगे, तिलक के गणेश… प्रतिस्पर्धी महौल में तैयार हो रहीं गणेश प्रतिमाएं

तिलक

 राजकुमार मल

प्रतिमाओं की ऊंचाई पर गाइडलाइन प्रभावी

भाटापारा– स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के बीच गणेश प्रतिमाएं आकार लेने लगीं हैं। संक्रमण के दौर में उंगलियों पर गिनी जाने वाली प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकार तिलक वर्मा इस बार संख्या बढ़ा रहे हैं लेकिन ध्यान रख रहे हैं कि निर्माण उतना ही हो, जितने को जगह मिल जाए।

31 अगस्त को होगी गणेश प्रतिमा की स्थापना। मूर्तिकारों ने प्रतिमा निर्माण का काम चालू कर दिया है। हो रही बारिश के बाद आकार देने के काम में कुछ रुकावट जरूर आ रही है लेकिन हाथ थमें नहीं हैं। पूजा-पंडालों का रुझान कैसा दिखाई दे रहा है ? जैसे सवाल के जवाब में तिलक का कहना था कि संभावना तो अच्छी बन रही है लेकिन मिट्टी, रंग-रोगन और पोशाक की कीमत बढ़ी हुई है। इसलिए आंशिक कमी के संकेत दिखाई देते हैं लेकिन इस बार प्रतिस्पर्धा काफी है। इसका फर्क तो पड़ेगा।

संक्रमण से मुक्त

कोरोना महामारी के दौर में पंडाल के लिए नियम थे। प्रतिमाओं की ऊंचाई पर गाइडलाइन प्रभावी थी। इस बार यह सब नहीं है। इसलिए एक से पांच फीट तक की ऊंचाई की प्रतिमा का निर्माण किया जा रहा है लेकिन मध्यम आकार वाली गणेश प्रतिमा पर ज्यादा ध्यान है। यह इसलिए क्योंकि पंडालों में ऐसी ही प्रतिमाएं विराजित की जाती हैं।

इसलिए बढ़ेंगे दाम

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तिलक का कहना है कि जरूरी सामग्रियों में मिट्टी की दरें काफी बढ़ चुकी हैं। इसके अलावा रंग- रोगन की कीमतों में 30 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। सहयोगी मूर्तिकारों को भी ज्यादा मजदूरी देनी पड़ रही है। इसका असर प्रतिमा निर्माण की कीमत पर पड़ रहा है लिहाजा गणेश भक्तों को बीते बरस की तुलना में 30 फ़ीसदी रकम ज्यादा देनी होगी। इसके बावजूद तिलक का प्रयास होगा कि आने वाले भक्त खाली हाथ ना लौटें।

प्रतिस्पर्धी माहौल

तरेंगा, रोहरा, खोलवा, अकलतरा, जरहागांव, सिंगारपुर, दतरेंगा।ये कुछ ऐसे गांव हैं, जहां के मूर्तिकार अपने-अपने गांव में गणेश प्रतिमा को आकार देने में लगे हुए हैं। इसके अलावा शहर में भी अनेक शिल्पकार काम चालू कर चुके हैं। इसलिए इस बार यह क्षेत्र भी प्रतिस्पर्धी माहौल में आ चला है। इसके बावजूद तिलक को विश्वास है कि गणेश पंडालों में एक बार फिर से सूरजपुरा का नाम होगा। जी हां, तिलकराम वर्मा इसी गांव के निवासी हैं।

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