वैज्ञानिकों ने अल्बानिया और ग्रीस की सीमा पर स्थित व्रोमोनर कैनियन की सल्फर गुफा में दुनिया का सबसे बड़ा मकड़ी जाला खोजा है। यह जाला 106 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला है, जो लगभग आधे टेनिस कोर्ट के बराबर है। आश्चर्यजनक बात यह है कि इसमें दो अलग-अलग प्रजातियों की 1,11,000 से अधिक मकड़ियां एक साथ शांतिपूर्वक रह रही हैं, जबकि सामान्य परिस्थितियों में ये एक-दूसरे की दुश्मन मानी जाती हैं।
खोज 2022 में चेक स्पेलियोलॉजिकल सोसाइटी के सदस्यों द्वारा की गई थी। इसके बाद 2024 में रोमानिया की सैपिएंटिया हंगेरियन यूनिवर्सिटी ऑफ ट्रांसिल्वेनिया के जीवविज्ञानी इश्तवान उराक ने गुफा से नमूने एकत्र किए। डीएनए जांच से यह पुष्टि हुई कि जाला दो प्रजातियों का बना है। अध्ययन 17 अक्टूबर 2025 को सबटेरेनियन बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ।
सल्फर गुफा पूरी तरह अंधेरी और हाइड्रोजन सल्फाइड गैस से भरी हुई है, जिससे इसका वातावरण अत्यंत विषैला हो जाता है। इसी गुफा की दीवारों पर यह विशाल सामूहिक जाला फैला हुआ है। इसमें टेगेनेरिया डोमेस्टिका प्रजाति की लगभग 69 हजार और प्राइनरिगोन वागन्स प्रजाति की 42 हजार से अधिक मकड़ियां पाई गईं।
सामान्य परिस्थितियों में ये मकड़ियां अकेली रहती हैं और टेगेनेरिया प्राइनरिगोन को खा लेती है। लेकिन गुफा की अंधेरी और विशिष्ट परिस्थितियों में उनकी दृष्टि कमजोर हो जाती है, जिससे वे एक-दूसरे पर आक्रमण नहीं करतीं। दोनों प्रजातियां सहयोग करके जाला तैयार करती हैं, जो वैज्ञानिकों के लिए अब तक का पहला ऐसा उदाहरण है। यह संयुक्त बस्ती एक ‘मकड़ी मेगासिटी’ जैसी प्रतीत होती है।
गुफा का पूरा पारितंत्र सूर्य के प्रकाश के बिना केमोऑटोट्रॉफी पर आधारित है। सल्फर-युक्त धारा से निकलने वाली गैस पर सल्फर-ऑक्सीडाइजिंग बैक्टीरिया जीवित रहते हैं और सफेद बायोफिल्म बनाते हैं। इन्हें छोटे मिडज खा लेते हैं, जो गुफा के तालाबों में अंडे देते हैं। मकड़ियां इन्हीं मिडज पर निर्भर रहती हैं।
मकड़ियों के पेट के विश्लेषण और डीएनए जांच से पता चला कि ये गुफा की चरम परिस्थितियों के अनुरूप विकसित हो चुकी हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार यह खोज दर्शाती है कि प्राकृतिक दुनिया में अब भी अनेक अद्वितीय और अप्रत्याशित व्यवहार मौजूद हैं, जिन्हें खोजा जाना बाकी है।