हिंगोरा सिंह
अम्बिकापुर। शासकीय नवीन महाविद्यालय कमलेश्वरपुर मैनपाट में जनजातीय गौरवशाली अतीत विषय पर सामाजिक, आध्यात्मिक व ऐतिहासिक विषय पर कार्यशाला रखा गया। इस कार्यक्रम के संयोजक डॉक्टर शैहून एक्का अध्यक्षता संस्था के प्रभारी प्राचार्य विनय कुमार सन्मानी सहसंयोजक विकास भगत और मुख्य प्रवक्ता निलेश तिर्की शाखा प्रबंधक स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया कमलेश्वरपुर मैनपाट के उपस्थिति में किया गया।
कार्यक्रम के शुभारंभ में महापुरुषों बिरसा मुंडा, रानी दुर्गावती, भारत माता, राजमोहिनी देवी संत गहिरा गुरु पर एवं छत्तीसगढ़ महतारी की गायन कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। कार्यक्रम के अगली कड़ी में संयोजक के द्वारा मुख्य प्रवक्ता को पुष्प गुछ व श्रीफल तथा आदिवासी गमछा प्रदान किया गया । अगले पड़ाव में रैना तिर्की द्वारा आदिवासियों की प्राचीन सभ्यता संस्कृति ऋषि रिवाज रहन-सहन और उनकी बलिदानी विषय पर व्याख्यान दिया गया । उन्होंने कहा कि आज से कई वर्ष पूर्व यह जनजाति समाज अपने जल, जंगल और जमीन के लिए सदैव संघर्ष करता आ रहा है। लेकिन धीरे-धीरे यह संघर्ष उनमें अपने संस्कृति की पहचान दिला दी उन्होंने यह भी कहा कि आज से 200, 300 साल पहले जब हमारे देश पर अंग्रेजी हुकूमत थी ,जमींदारी प्रथा थी उसे मुक्त कराने के लिए आदिवासी बिना हथियार के तीर धनुष भाला से युद्ध किया संघर्ष किया और दांतों तले उंगली चबाने पर विवश कर दिए जो किसी परिचय की मोहताज नहीं है। जिसमें पूरा सभाकाज तालिया की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा इसके पश्चात गरिमा तिर्की द्वारा कहा गया कि बिरसा मुंडा महान क्रांतिकारी महापुरुष रहे हैं। जिसकी अभी 15 नवंबर को उनका जन्म दिवस भी है हम ऐसे क्रांतिकारी वीर सपूतों को नहीं भूल सकते जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी जान दे दिया इसी क्रम में डॉक्टर लीमा तिर्की ने कहा कि हमारी ऐसी संस्कृति है ऐसी सभ्यता है कि हम किसी दूसरी सभ्यता के नकल नहीं कर सकते।
हमने तो सर्वप्रथम जंगलों में रहना सीखा जंगलों से औषधि बनाना सिखा कृषि उत्पादन सीखा यह कोई आसान बात नहीं है कि कोई जंगल की हरे-भरे पेड़ पौधों से जड़ी बूटी निकाल दें। कार्यक्रम के संयोजक डॉक्टर शेहून एका ने रानी दुर्गावती की विशाल गाथा का वर्णन किया कि किस प्रकार उन्होंने अपने अल्प आयु में ही अपने पिता अपने पति के स्वर्गवास होने पर भी उन्होंने अपने पुत्र के साथ युद्ध स्थल पर अंग्रेजों से लोहा लिया। अपनी जान गवा दिए उन्होंने बच्चों में वीर रस की भावना जगा दी अंत में प्रवक्ता शाखा प्रबंधक निलेश तिर्की ने कहा कि मुझे तो बहुत खुशी की बात है की यह छोटा संस्था में इतने सारे बच्चे उपस्थित हैं। जो आदिवासी समाज से आते हैं आप सभी को आने वाले समय में आदिवासी समाज को उत्थान करना है इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि मैं आपके जैसे अभावशील जगह में अध्ययन किया लेकिन मैं अध्ययन में इतनी ईमानदारी रखी की आज मैं एक इस पद पर हूं और मुझे बहुत खुशी है कि आप लोगों ने मुझे आमंत्रित किया उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी महापुरुष तो और भी हैं लेकिन हम उन्हें गुमनाम अंधेरों में चले गए हैं। फिर भी हमें उनको याद करना है इसकी अतिरिक्त उन्होंने यह भी कहा कि आप सभी छात्र-छात्राएं अवश्य ही बैंक में अपना खाता खुलवाएं। कार्यक्रम के अंतिम पड़ाव कुछ बच्चों ने कहा कि हम भी इन महान पुरुषों जैसे अपना नाम रोशन करेंगे। एक स्वर में कहा जय वीरसा मुंडा तथा समस्त छात्र-छात्राओं को सल्पाहार वितरण कर कार्यक्रम की समाप्ति की गई इस कार्यक्रम में संस्था के समस्त अधिकारी कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।