नई दिल्ली। पत्नी ने बिना उचित कारण वैवाहिक जीवन से दूरी बनाई, जिसे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पति के प्रति मानसिक क्रूरता माना। कोर्ट ने पति को तलाक की मंजूरी दे दी है। पत्नी पिछले 10 साल से मायके में रह रही थी। जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की बेंच ने कहा, पत्नी और बेटी पूरी तरह पति पर आश्रित हैं, इसलिए उसे 6 महीने में पत्नी को 15 लाख रुपये स्थायी गुजारा भत्ता देना होगा।
पूरा मामला:
कोरबा निवासी SECL अधिकारी की शादी 2010 में हुई। पति का आरोप था कि पत्नी ने वैवाहिक कर्तव्यों से इनकार कर दिया और संयुक्त परिवार से अलग रहने का दबाव बनाया। वह 2011 से मायके में रह रही है। पति ने कई बार उसे वापस लाने की कोशिश की, पर पत्नी नहीं मानी।
पत्नी के आरोप:
पत्नी ने पति और उसके परिवार पर दहेज के लिए प्रताड़ना, मारपीट और ₹5 लाख मांगने का आरोप लगाया। उसने 498A, घरेलू हिंसा और भरण-पोषण के केस भी दर्ज कराए। मगर 2021 में कोर्ट ने पति और उसके परिवार को आरोपों से बरी कर दिया।
फैमिली कोर्ट का फैसला:
2017 में कोरबा की फैमिली कोर्ट ने पति की तलाक याचिका खारिज कर दी थी। लेकिन हाईकोर्ट ने दस्तावेजी और मौखिक साक्ष्यों के आधार पर कहा कि पत्नी ने बिना ठोस वजह के दूरी बनाई, जो मानसिक व शारीरिक क्रूरता है।