यह 1990 का दशक था। तब मेरी उम्र तेरह साल थी। पिताजी देश के नेता प्रतिपक्ष अटल बिहारी वाजपेयी का भाषण सुनने के लिए जा रहे थे। उन्होंने मुझे साथ चलने को कहा तो अनिच्छा के बावजूद चला गया। मैदान में पहुंचकर देखा तो इतनी भीड़ कि सिर ही सिर नजर आ रहे थे। कुछ ग्रामीण अपने बच्चों को सिर पर बिठाए सभा में खड़े थे और सैकड़ों का रेला पैदल चला आ रहा था। मैं हतप्रभ था कि इतने लोग किसे सुनने आए हैं। इस पर पिताजी ने बताया कि अटलजी को। कुछ ही देर में वाजपेयीजी आए और उन्होंने ऐतिहासिक भाषण दिया। प्रत्येक वर्ग के श्रोता ने उन्हें गंभीरता के साथ सुना। ठीक दस साल बाद अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बन चुके थे।
भाजपा के पहले प्रधानमंत्री रहे अटलजी ने स्वयं को पार्टी के सर्वाधिक करिश्माई नेता के रूप में स्थापित किया। देश के लोकतंत्र में जब कांग्रेस कांग्रेस पार्टी की सत्ता उफान पर थी तब अटलजी उसके सामने अपनी व्यक्तित्व क्षमता के दम पर लड़े-खड़े रहे। इससे भाजपा का जनाधार बहुत तेजी से बढ़ा। अटलजी का भाषण सुनने के लिए जनता कोसों दूर से पैदल चलकर पहुंचती थी। दूसरी अनेक राजनीतिक और गैर राजनीतिक उपलब्धियां के अतिरिक्त एक बड़ी विशेषता उनका करिश्माई भाषण था। उनके प्रधानमंत्री पद तक की यात्रा में उनके इस करिश्माई भाषण का बड़ा योगदान है। उन्हें लेकर यह नारा बेहद लोकप्रिय हुआ कि अंधेरे में एक चिंगारी, अटल बिहारी-अटल बिहारी।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमनसिंह कहते हैं कि अटलजी एक बार सड़क मार्ग से भोपाल जाते हुए कवर्धा पहुंचे तो हम स्वागत करने पहुंचे। उनके साथ स्व. सिकंदर बख्त भी थे। सर्किट हाउस में हमने अटलजी से आग्रह किया कि कल सुबह आप रैली को संबोधित कर निकलें तो श्रेयस्कर होगा। अटलजी ने कहा कि ह्यछोटा सा शहर है, समय कम है, रैली में लोग कहां से आएंगे! अटलजी ने स्पष्ट कर दिया कि अगर भीड़ नही आई तो भाषण नही होंगा। इस पर रमनसिंह ने कहा कि हम व्यवस्था कर लेंगे, आपको निराशा नही होगी। अटलजी ने हां कर दी। रमनसिंह कहते हैं कि हमने रातभर संपर्क साधा और कड़ी मेहनत करके भीड़ जुटा ली। वाजपेयी और सिकंदर बख्त दोनों ने ऐतिहासिक भाषण दिया। रैली की सफलता की वजह यह थी कि वाजपेयीजी का जादू जनता के सिर चढ़कर बोलता था इसलिए लोग काफी संख्या में पहुंचे।
भाजपा के पहले प्रधानमंत्री वाजपेयी की जयंती को देश सुशासन दिवस के रूप में मनाता है। छत्तीसगढ़ राज्य अटलजी की देन थी बदले में उनकी इच्छानुसार राज्य ने उन्हें नौ सांसद जिताकर दिये थे। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ को जो अप्रतिम विकास हुआ, उसी के भरोसे आज हमारा राज्य विकास के मामले में देश में दूसरे स्थान पर आ खड़ा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में देश की नदियों को जोडऩे का महाअभियान की शुरूआत की है। पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश ने नर्मदा नदी में एक छोटा सा प्रयोग करके इसे साबित किया है। छत्तीसगढ़ सरकार भी इस राह पर चल सकती है ताकि प्राकृतिक जल का पूरा सदुपयोग हो सके।
राष्ट्रवादी राजनीति के प्रणेता, प्रखर वक्ता, दूरदर्शी, साहसिक एवं सादगी, सौम्यता एवं त्याग की प्रतिमूर्ति के रूप में अटलजी ने भारतीय मानस पटल पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। कुशल संगठनकर्ता के रुप में विचारधारा और सिद्धांतों पर आधारित अटलजी का जीवन राष्ट्र के प्रति सदैव समर्पित था। उनका विचारधारा के प्रति समर्पण और मूल्य-आधारित राजनीति के माध्यम से विकास, सुशासन और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को नई पहचान देना, उन्हें इतिहास पुरूष बनाता है। उन्होंने देश की सुरक्षा और जनकल्याण को सर्वोपरि रखा। लोक हृदय कवि अटलजी भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। एक ऐसे राजनेता जिन्होंने सिद्धांतों और विचारधारा से कभी समझौता नहीं किया, भले ही इसके लिए उन्हें अपनी सरकार क्यों ना गंवानी पड़ी। उनके नेतृत्व में भारत ने पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण किया और कारगिल युद्ध में दुश्मनों को करारा जवाब दिया। वे राजनीति में शुचिता एवं आदर्श के प्रणेता तथा संवाद में सौम्यता और संयम के प्रतीक थे। उनके विचार और कृतित्व सदैव राष्ट्रपथ को आलोकित करते रहेंगे।
बतौर प्रधानमंत्री उनकी सरकार में लिए गए महत्वपूर्ण फैसले जैसे पोखरण परमाणु परीक्षण, आगरा में वाजपेयी-मुशर्रफ शिखर वार्ता, गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा और राजधर्म निभाने का आग्रह, भविष्य के लिए असम-पूर्व को सुरक्षित करने की रणनीति, जम्मू कश्मीर मुददा, कारगिल विजय, राम मंदिर आंदोलन, राजग की सत्ता में वापसी, आरक्षण को आगे बढ़ाना इत्यादि ने अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल को हमेशा के लिए अमर कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने हैं, इसके बाद लोकमन के बीच यह बहस छिड़ गई है कि क्या वे अगले राष्ट्रपति भी हो सकते हैं, हालांकि ऐसा देश के इतिहास में कभी नही घटा लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के समक्ष राष्ट्रपति बनने का प्रस्ताव आया था लेकिन उन्होंने हां या ना कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं दी थी। इसका खुलासा करते हुए पूर्व उपप्रधानमंत्री और अटलजी के सालों तक सहयोगी रहे लालकृष्ण आडवाणी कहते हैं कि जब अटलजी को घुटनों में ज्यादा तकलीफ होने लगी तब आरएसएस के पूर्व सरसंघचालक स्वर्गीय रज्जू भैया ने अटलजी के साथ भोजन के दौरान उन्हें राष्ट्रपति बनने का सुझाव दिया था। रज्जू भैया ने अटलजी से कहा आप ही क्यों नही राष्ट्रपति बनते। राष्ट्रपति भवन की जिम्मेदारी उठाने में उन्हें अधिक भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी। इसके अलावा लोग व्यक्तित्व तथा अनुभव की दृष्टि से उन्हें आदर्श रूप से स्वीकार भी कर लेंगे।
इस पर अटलजी चुप रहे। उन्होंने हां या ना कुछ नही कहा। कुछ दिनों बाद जब राष्ट्रपति का उम्मीदवार चुना गया तो अटलजी एपीजे अब्दुल कलाम का नाम सामने लाए जिसे सभी ने स्वीकार कर लिया और कलाम साहब राष्ट्रपति बन गए।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बार कहा था- पाकिस्तानियों, चिंगारी का खेल बहुत बुरा होता है! आपरेशन सिंदूर के बाद नापाक देश को यह संदेश समझ में आ रहा होगा। हालांकि अटलजी ने पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने का संदेश देते हुए लाहौर बस यात्रा प्रारंभ कर इतिहास रचा था लेकिन पाकिस्तानियों को यह रास नहीं आया। दूषित राजनीति के दौर में भी अपने आंचल को निष्कलंक रखने वाले भारतीय राजनीति के अजातशत्रु, राष्ट्र के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारतरत्न से विभूषित अटलजी ने अपनी पवित्रता और नजाकत से उज्ज्वल स्वरूप प्रदान किया। राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को चाहिए कि इन पाक, साफ और पवित्र सिद्धांतों का अनुसरण कर स्वच्छ
राजनीति, सहयोगात्मक राजनीति और व्यावहारिक राजनीति को प्रोत्साहित करें। मूल्यों और आदर्श आधारित अपनी राजनीति से भारत में विकास और सुशासन के युग की शुरुआत करने वाले, स्वतंत्र भारत की राजनीति के अजातशत्रु, ब्रह्मलीन अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीतिक दलों को संदेश दिया कि ह्यसरकारें आएंगी, सरकारें जाएंगी, पार्टियां बनेंगीं, बिगड़ेंगी, मगर ये देश रहना चाहिए। इस देश का लोकतंत्र रहना चाहिए।
अटलजी का यह संदेश हम सभी के लिए प्रेरणादायी है कि-
हम पड़ाव को समझे मंजिल, लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
वर्तमान के मोहजाल में, आने वाला कल न भुलाएं।
आओ फिर से दिया जलाएं।
डॉ. अनिल द्विवेदी
(लेखक वरिष्ठ राजनीतिक टिप्पणीकार हैं)