रायगढ़। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के तमनार क्षेत्र में जिंदल कंपनी की गारे पेलमा सेक्टर-1 कोल परियोजना के खिलाफ ग्रामीणों का आक्रोश पिछले 24 घंटों से हिंसक संघर्ष में बदल गया है। भारी पथराव, आगजनी एवं पुलिस के साथ झड़प के बाद प्रशासन ने विवादित जनसुनवाई निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू करने का आश्वासन दिया है।
विवाद की शुरुआत 14 गांवों के ग्रामीणों द्वारा 8 दिसंबर को हुई जनसुनवाई को फर्जी करार देकर लिबरा गांव के CHP चौक पर धरने से हुई। शनिवार दोपहर पुलिस द्वारा वाहनों की आवाजाही शुरू कराने के प्रयास में एक ट्रेलर की चपेट में साइकिल सवार ग्रामीण के घायल होने के बाद स्थिति बेकाबू हो गई। आक्रोशित भीड़ ने पुलिस पर जमकर पथराव किया, जिसमें तमनार थाना प्रभारी कमला पुसाम, एसडीओपी अनिल विश्वकर्मा एवं कई महिला आरक्षक गंभीर रूप से घायल हो गए।
उपद्रवियों ने पुलिस बस, जीप, एंबुलेंस एवं ट्रेलर सहित आठ से अधिक वाहनों में आग लगा दी। भीड़ ने जिंदल कंपनी के परिसर में घुसकर कन्वेयर बेल्ट एवं कार्यालयों में तोड़फोड़ की। मौके पर पहुंचे कलेक्टर, एसपी एवं लैलूंगा विधायक विद्यावती सिदार को भी पथराव का सामना करना पड़ा।
दूसरे दिन भी तमनार क्षेत्र में तनावपूर्ण माहौल है तथा इलाका पुलिस छावनी में तब्दील हो चुका है। प्रशासन ने ग्रामीणों के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता कर आश्वासन दिया। घरघोड़ा एसडीएम दुर्गा प्रसाद ने कहा कि ग्रामीणों के साथ बैठक हुई है तथा जनसुनवाई निरस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। ग्रामीणों की मांगों का सम्मान किया जाएगा लेकिन क्षेत्र में शांति बनाए रखना प्राथमिकता है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने घटना का संज्ञान लेते हुए विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं तथा दोषियों, चाहे उपद्रवी हों या लापरवाही बरतने वाले, के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
ग्रामीणों का आरोप है कि जिंदल कंपनी के लिए लाइजनिंग करने वाले अधिकारी घटना के बाद से गायब हैं तथा वे वर्षों से कंपनी एवं ग्रामीणों के बीच फंड में हेरफेर कर रहे थे, जिससे असंतोष बढ़ा।