जनधारा गपशप कॉलम में आप को हर हफ़्ते पढ़ने मिलेगी वो बातें जो सत्ता के गलियारों में बिटविन द लाइन है इस बार पढ़िए वंदे मातरम के जरिये सत्ता की राजनीति के अंदर खाने की बातें
राहुल मंडराई की कलम से
रायपुर । छत्तीसगढ़ में रजत महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी ने इसे और भव्य बना दिया। बड़े नेता, कलाकार और जनसमूह की उपस्थिति वाले इस आयोजन के बाद अब एक राजनीतिक विवाद ने सुर्खियां बटोर ली हैं। आज सुबह लगभग सभी समाचार पत्रों में छपे एक फुल-पेज विज्ञापन ने राज्य की BJP इकाई में चल रही अंदरूनी खींचतान को उजागर कर दिया।
राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने पर हर अखबार में फुल-पेज विज्ञापन जारी किया गया। इसमें प्रदेश के तमाम दिग्गज नेताओं की तस्वीरें तो थीं, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का चेहरा नदारद था। राज्योत्सव के मंच से प्रधानमंत्री मोदी ने रमन सिंह की तारीफ की और उन्हें अपना ‘मित्र’ बताया। इससे उन अफवाहों पर करारा प्रहार हुआ जो रमन को राजनीति के हाशिए पर धकेलने की बात कर रही थीं। फिर भी, 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे अनुभवी नेता का यह ‘बहिष्कार’ कुछ शक्तिशाली धड़ों की बेचैनी को दर्शाता है।
विज्ञापन में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, किरण सिंह देव, नंदन जैन और OP चौधरी की बड़ी तस्वीरें प्रमुखता से छपीं। इसे ‘समस्त कार्यकर्ता छत्तीसगढ़’ की ओर से जारी बताया गया। राजनीतिक पंडित जानते हैं कि ऐसे विज्ञापनों का खर्च कौन उठाता है और ‘कार्यकर्ता’ किस गुट के इशारे पर काम करते हैं। सवाल यह है कि इस विज्ञापन का भुगतान किस मालदार नेता ने किया जिसकी महत्वकांछा छत्तीसगढ़ पर राज करने की है।
वंदे मातरम विज्ञापन में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, किरण सिंहदेव, नंदन जैन और ओपी चौधरी के बड़े फोटो छपे है और यह विज्ञापन समस्त कार्यकर्ता छत्तीसगढ़ की ओर से जारी किया गया है जो लोग विज्ञापन के खेल को समझते हैं वह जानते हैं कि इसका पैसा किसने दिया है और ये कार्यकर्ता कौन है इस विज्ञापन के सबसे ऊपर में कुछ फोटो है जिसमें रायपुर के विधायक मोतीलाल साहू, पुरंदर मिश्रा, सुनील सोनी, राजेश मुणत और उसके बाद उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा और अरुण साव का फोटो है फिर बीच में बड़ा फोटो नरेंद्र मोदी का है उसके बाद दूसरे क्रम में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, तोखन साहू, बृजमोहन अग्रवाल, केदार कश्यप, महापौर चौबे और रायपुर जिला शहर अध्यक्ष रमेश सिंह ठाकुर हैं लेकिन डॉ रमन सिंह का फोटो तो क्या नाम तक गायब है। 7 नवंबर को रायपुर के बलवीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम में ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पर गायन कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस विज्ञापन से रमन सिंह की अनुपस्थिति को कुछ लोग विधानसभा अध्यक्ष पद से जोड़कर सफाई दे रहे हैं कि वे ‘पार्टी से ऊपर’ हैं। लेकिन हकीकत इससे परे है। यदि ये विज्ञापन संगठन की ओर से हौ तो भाजपा संगठन मंत्री पवन सा की तस्वीर कहां है।
पिछले संकेत और OBC कार्ड का खेल
प्रधानमंत्री के पिछले दौरे पर उनकी गाड़ी में सवार नेताओं में OBC चेहरे के तौर पर अरुण साव को प्रमुखता दी गई। उस काफिले में मुख्यमंत्री साय, अरुण साव, विजय शर्मा और किरण सिंह देव शामिल थे। कहीं ये छत्तीसगढ़ की राजनीति में OBC चेहरा बनाने की कवायद तो नहीं है। छत्तीसगढ़ की राजनीति को करीब से देखने वाले जानते हैं कि यह संयोग नहीं, रणनीति है।
आंतरिक उबाल के संकेत
कुछ प्रभावशाली नेता मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की साफ-सुथरी छवि और सुशासन की कोशिशों से असहज हैं। वे खुद को उनसे ‘बुद्धिमान’ मानते हुए पर्दे के पीछे से खेल खेल रहे हैं। बिलासपुर और रायगढ़ से चल रही दो ‘ट्रेनें’ 15 साल पुराने इंजन को साथ लेकर चलने से कतरा रही हैं। यह BJP की राज्य इकाई में आने वाले उबाल का पूर्वसंकेत है।
रमन सिंह का अनुभव और जनाधार अभी भी पार्टी के लिए मजबूत स्तंभ है। ऐसे में उनका जानबूझकर किनारे करना न केवल गुटबाजी को उजागर करता है, बल्कि 2028 के विधानसभा चुनावों से पहले आंतरिक एकता पर सवाल खड़े करता है। क्या यह विज्ञापन महज चूक था या सत्ता के नए दावेदारों की साजिश? छत्तीसगढ़ की BJP को जल्द ही इस सवाल का जवाब देना होगा, वरना ‘वंदे मातरम’ का जश्न गुटों की जंग में बदल जाएगा।