उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अब केवल कृषि राज्य नहीं, बल्कि एक औद्योगिक प्रॉसेसिंग पावरहाउस के रूप में उभर रहा है। राज्य तेजी से भारत के फूड प्रोसेसिंग हब के रूप में पहचान बना रहा है, जहां खेत से लेकर फैक्ट्री तक विकास की नई परंपरा शुरू हो चुकी है।

हाल ही में जारी ग्लोबल ट्रेड रिसर्च की रिपोर्ट में गुजरात और उत्तर प्रदेश को देश के प्रमुख प्रसंस्करण केंद्रों के रूप में चिन्हित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, जहां गुजरात के मेहसाणा और बनासकांठा में आधुनिक डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) संयंत्र विकसित हो रहे हैं, वहीं उत्तर प्रदेश के आगरा, फर्रूखाबाद और बरेली जिलों में अत्याधुनिक प्रोसेसिंग प्लांट्स स्थापित किए जा रहे हैं।
इन प्लांट्स को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग, कोल्ड-चेन नेटवर्क और मार्केटिंग सपोर्ट का मजबूत ढांचा मिला है, जिससे किसानों को अपने उत्पादों का बेहतर मूल्य प्राप्त हो रहा है। योगी सरकार की यह नीति किसानों को आत्मनिर्भर बनाते हुए उत्तर प्रदेश को ‘कृषि से उद्योग परिवर्तन मॉडल’ के रूप में स्थापित कर रही है।
राज्य में 2.55 लाख युवाओं को रोजगार, 65,000 से अधिक यूनिट्स संचालित
राज्य में इस समय 65,000 से अधिक फूड प्रोसेसिंग इकाइयां संचालित हैं, जिनसे सीधे 2.55 लाख युवाओं को रोजगार मिला है। सरकार का लक्ष्य अगले दो वर्षों में प्रत्येक जिले में कम से कम 1,000 नई प्रोसेसिंग यूनिट्स स्थापित करने का है। इससे खेती को न केवल वैल्यू एडिशन का लाभ मिलेगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन भी होगा।
योगी सरकार अब तक 15 से अधिक एग्रो और फूड प्रोसेसिंग पार्क्स विकसित कर चुकी है। इनमें बरेली, बाराबंकी, वाराणसी और गोरखपुर प्रमुख हैं। बरेली में बीएल एग्रो द्वारा ₹1,660 करोड़ की लागत से एक इंटीग्रेटेड एग्रो प्रोसेसिंग हब स्थापित किया जा रहा है, जिसमें चावल मिलिंग, तेल निष्कर्षण और पैकेजिंग जैसी आधुनिक सुविधाएं होंगी।
निर्यात और नवाचार के नए आयाम — आलू, फल-सब्जी और हाई-वैल्यू क्रॉप्स पर फोकस
उत्तर प्रदेश सरकार का विशेष फोकस अब फल-सब्जी प्रसंस्करण, हाई-वैल्यू क्रॉप्स, और निर्यात-उन्मुख उद्योगों पर है। इसका उद्देश्य राज्य की कृषि उत्पादकता को वैश्विक बाजार से सीधे जोड़ना है।
इसी दिशा में आगरा में इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर (CIP) का दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र स्थापित करने की योजना है, जहां आलू और अन्य कंद फसलों पर उन्नत अनुसंधान होगा। यह कदम कानपुर, फर्रूखाबाद, लखनऊ और आगरा जैसे प्रमुख आलू उत्पादक जिलों के लिए वरदान साबित होगा।
वर्तमान में अमेरिका, यूएई, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देश भारत से बड़े पैमाने पर प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स का आयात कर रहे हैं। अनुमान है कि वर्ष 2030 तक भारत का उपभोक्ता व्यय $6 ट्रिलियन तक पहुंच जाएगा। इससे उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में निवेश, रोजगार और निर्यात के नए अवसर तेजी से बढ़ेंगे।
नीतिगत समर्थन से बढ़ी रफ्तार — उद्योग नीति 2023 बना गेमचेंजर
उत्तर प्रदेश की ‘खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति 2023’ राज्य के औद्योगिक विकास की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रही है। इस नीति के तहत 19 नई परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है। सरकार उद्यमियों को उत्पादन-आधारित सब्सिडी, ब्याज सहायता, भूमि उपयोग में छूट, स्टाम्प ड्यूटी व विकास शुल्क में रियायतें प्रदान कर रही है।
साथ ही, सौर ऊर्जा, कोल्ड-चेन सिस्टम, क्लस्टर मॉडल और टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन को विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है। नीति का मुख्य फोकस कच्चे माल की स्थानीय उपलब्धता पर है, जिससे किसान, प्रोसेसर और उद्यमी—तीनों के बीच एक मजबूत त्रिस्तरीय वैल्यू चेन बन सके।
निवेशकों की पहली पसंद बन रहा यूपी
सस्ती भूमि, सुलभ श्रम, विशाल उपभोक्ता बाजार और मजबूत नीति ढांचे के कारण उत्तर प्रदेश आज देश का सबसे आकर्षक फूड प्रोसेसिंग निवेश केंद्र बनता जा रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में कहा था —
“उत्तर प्रदेश अब किसानों की आय दोगुनी करने के साथ-साथ उन्हें उद्योग का साझेदार बनाने की दिशा में बढ़ रहा है। खेत से फैक्ट्री तक की यह यात्रा आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की असली आधारशिला बनेगी।”