UNESCO
यूनेस्को ने भारत की दो प्राचीन और महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहरों— भगवद गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को अपने मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर (MoW) में शामिल किया है. इस निर्णय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुशी जताते हुए इसे “दुनिया भर में हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण” बताया.

यूनेस्को का पत्र
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया में पोस्ट कर कहा, *”भगवद गीता और नाट्यशास्त्र का यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होना भारत की ज्ञान परंपरा की गहराई को दर्शाता है। यह हमारी संस्कृति की समृद्धि को वैश्विक मान्यता देने वाला ऐतिहासिक कदम है.”

पीएम मोदी का पोस्ट
वहीं, केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि यह भारत के प्राचीन ग्रंथों के सार्वभौमिक महत्व को रेखांकित करता है.
https://x.com/gssjodhpur/status/1913072671144690045
भगवद गीता और नाट्यशास्त्र का महत्व
भगवद गीता: महाभारत का अंश, जिसमें श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया जीवन दर्शन समाहित है. यह दर्शन, नैतिकता और आध्यात्मिकता का प्रतीक माना जाता है.
नाट्यशास्त्र: भरत मुनि द्वारा रचित यह ग्रंथ विश्व का प्राचीनतम नाट्य सिद्धांत ग्रंथ है, जो नृत्य, संगीत और रंगमंच की बारीकियों को समझाता है.