रायपुर: छत्तीसगढ़ कर्मचारी फेडरेशन ने राज्य सरकार द्वारा कर्मचारियों की मांगों की लगातार अनदेखी और लंबित मुद्दों के निराकरण में देरी पर नाराज़गी जताई.
फेडरेशन के प्रांतीय संचालक कमल वर्मा ने बताया कि 15 जून को सभी घटक संगठनों की बैठक में एकमत से आंदोलन का निर्णय लिया गया है। बैठक में राज्य सरकार द्वारा कर्मचारियों की मांगों की लगातार अनदेखी और लंबित मुद्दों के निराकरण में देरी पर नाराज़गी जताई गई।
कर्मचारियों की प्रमुख मांगें:
केन्द्र के समान 2% महंगाई भत्ता देय तिथि से दिया जाए।
जुलाई 2019 से लंबित महंगाई भत्ते की एरियर्स राशि को GPF में समायोजित किया जाए।
पिंगुआ समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।
चार स्तरीय समयमान वेतनमान (8, 16, 24, 30 वर्ष) लागू हो।
सहायक शिक्षकों व पशु चिकित्सा अधिकारियों को तृतीय समयमान वेतनमान मिले।
कैशलेस चिकित्सा सुविधा शुरू की जाए।
अनुकंपा नियुक्ति पर लगी 10% सीमा समाप्त हो, सभी सीधी भर्ती पदों पर यह मिले।
300 दिन अर्जित अवकाश का नगदीकरण मप्र की तरह मिले।
NPS कटौती तिथि से सेवा गणना की जाए व पुरानी पेंशन की पात्रता नीति बने।
सेवानिवृत्त आयु 65 वर्ष की जाए।
संविदा, कार्यभारित व दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों का नियमितीकरण हो।
दो चरणों में आंदोलन की घोषणा:
16 जुलाई 2025: ब्लॉक व जिला स्तर पर रैली एवं ज्ञापन सौंपा जाएगा।
22 अगस्त 2025: सामूहिक अवकाश लेकर जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा।
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फेडरेशन ने इस आंदोलन को नाम दिया है—”मोदी की गारंटी लागू करने, कलम रखो मशाल उठाओ आंदोलन”फेडरेशन ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि उनकी मांगों को लेकर 16 जुलाई से पहले कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ, तो यह आंदोलन तेज किया जाएगा। इससे प्रदेशभर के शासकीय कामकाज पर असर पड़ सकता है।अब गेंद सरकार के पाले में है। देखना यह होगा कि सरकार कर्मचारी हितों को लेकर कोई कदम उठाती है या टकराव की स्थिति को और बढ़ने देती है.