‘द सूत्र’ के दो पत्रकार गिरफ्तार: राजस्थान पुलिस ने लगाया ब्लैकमेलिंग का आरोप, मीडिया में विरोध के स्वर

जयपुर/भोपाल। राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी के खिलाफ झूठी खबरें चलाकर ब्लैकमेलिंग करने के आरोप में वेब पोर्टल ‘द सूत्र’ के दो प्रमुख पत्रकार आनंद पांडे और हरीश दिवेकर को राजस्थान पुलिस ने भोपाल से गिरफ्तार किया है। द सूत्र वेब पोर्टल मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान तीन जगह की खबरें सक्रियता से देता है आनंद पांडे पूर्व में बहुत सारे मीडिया समूह से जुड़े रहे हैं जुड़े रहे हैं अब उन्होंने अपना स्वतंत्र न्यूज़ पोर्टल का सूत्र प्रारंभ किया है आनंद और हेमंत दोनों पर आरोप है कि उन्होंने दीया कुमारी से संबंधित निराधार खबरें चलाकर, बाद में उन्हें हटाने के एवज में करोड़ों रुपये की मांग की।

पुलिस के अनुसार, ‘द सूत्र’ और इसके सहयोगी पोर्टल ‘द केपीटल’ पर पिछले एक महीने के दौरान उपमुख्यमंत्री से जुड़ी लगभग एक दर्जन खबरें प्रकाशित की गईं, जिनमें “#दीयातलेअंधेरा”, “सरकारी जमीन हड़पने का खेल”, और “दीया कुमारी की नई करतूत” जैसे शीर्षक शामिल थे। जांच में पाया गया कि इन खबरों में कोई ठोस तथ्यात्मक आधार नहीं था।

पुलिस का कहना है कि जब उपमुख्यमंत्री की ओर से खबरों का विरोध किया गया तो आरोपियों ने झूठी खबरें हटाने और भविष्य में ऐसी खबरें न चलाने के लिए 5 करोड़ रुपये की मांग की। आरोप है कि राशि नहीं देने पर दोनों ने ‘डिस्ट्रॉय दीया’ नामक अभियान चलाने की धमकी दी।

जयपुर पुलिस कमिश्नर कार्यालय से जारी बयान के अनुसार, आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 503 (धमकी देना), धारा 506 (आपराधिक धमकी), तथा आईटी एक्ट की धारा 66D और 67 (इंटरनेट के माध्यम से धोखाधड़ी व भ्रामक सूचना प्रसारित करना) के तहत मामला दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है।

जांच एजेंसियों ने द सूत्र और द केपीटल के डिजिटल डेटा, तकनीकी रिपोर्ट और गवाहों के बयान एकत्र किए हैं। अधिकारियों के अनुसार, मामले में अन्य संबंधित लोगों की भूमिका की भी जांच जारी है।

विरोध के स्वर और समर्थन में बयान

गिरफ्तारी के बाद कुछ राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने इसका विरोध किया है। लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के संरक्षक रघु ठाकुर ने एक पत्र जारी कर कहा कि यदि गिरफ्तारी केवल सरकार के खिलाफ खबरें चलाने के कारण हुई है, तो यह “सरकारी आतंक का रूप” है। उन्होंने कहा कि “अगर यह केवल विरोध के कारण हुई गिरफ्तारी है तो यह अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला है, और ऐसी कार्रवाई की निंदा की जानी चाहिए।” वहीं द सूत्र की ओर से भी इस गिरफ्तारी का विरोध किया गया। उनके आधिकारिक पोर्टल पर जारी बयान में कहा गया कि “हम न दबे हैं, न झुके हैं — करते रहेंगे जनपक्ष की पत्रकारिता।” पोर्टल ने दावा किया कि गिरफ्तारी बिना सार्वजनिक जानकारी के की गई और यह स्वतंत्र पत्रकारिता पर हमला है।

पत्रकारिता बनाम ब्लैकमेलिंग, एक व्यापक चिंता

यह मामला केवल एक गिरफ्तारी का नहीं बल्कि पत्रकारिता की साख से जुड़ा व्यापक सवाल खड़ा करता है। पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के विस्तार के साथ “खबर” और “ब्लैकमेलिंग” की रेखा धुंधली होती जा रही है। यदि कोई पत्रकार या संस्था खबर के नाम पर वसूली करती है, तो यह पत्रकारिता के मूल्यों के लिए गंभीर खतरा है। वहीं, यदि कोई पत्रकार सच सामने लाने के कारण गिरफ्तार होता है, तो यह लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए चिंताजनक संकेत है।

राजस्थान पुलिस की कार्रवाई और पत्रकार समाज के विरोध दोनों ने इस मामले को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया है। फिलहाल पुलिस जांच जारी है और आरोप सिद्ध या खारिज होना बाकी है। एक बात साफ है कि पत्रकारिता की विश्वसनीयता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, दोनों की रक्षा समान रूप से जरूरी है — ताकि न तो सच बोलने वाला पत्रकार डरे, और न खबर के नाम पर ब्लैकमेलिंग करने वालों को खुली छूट मिले।

देखिए पुलिस कमिश्नर ऑफिस से जारी लेटर के अनुसार..

दिनांक 28 सितम्बर 2025 को परिवादी द्वारा उपस्थित थाना होकर एक रिपोर्ट इस आशय की पेश की, कि द सूत्र, नामक वेब पोर्टल पर उपमुख्यमंत्री राजस्थान के विरूद्ध पिछले एक महीने से करीब एक दर्जन निराधार एवं तथ्यहीन झूठी खबरे प्रसारित कर चुका हैं। झूठी खबरे प्रसारित नहीं करने एवं प्रसारित झूठी खबरों के हटाने के नाम पर ‘द सूत्र वैब पोर्टल के मुखिया श्री आनन्द पाण्डे व श्री हरीश दिवेकर ने हमारे जानने वाले व्यक्तियों से सम्पर्क कर झूठी खबरों को हटाने और भविष्य में झूठी खबरें नहीं चलाने के लिए करोड़ों रूपयों की मांग की हैं। अगर यह खबरें हटवानी है तो उससे भी अधिक राशि देनी पड़ेगी। तब तक हम आपकी राजनैतिक एवं सामाजिक छवी को पूर्णतया धूमिल एवं नष्ट कर देगें। यह उपरोक्त लोग अब ‘द सूत्र’ में चलाई गई इन झूठी खबरों को इनके जानने वाले वेबपोर्टल ‘द केपीटल’ में भी चलवा चुके है। ये झूठी एवं भ्रामक जानकारियां उपलब्ध करा कर छवी धूमिल करने का काम कर रहे है।” आदि पर रिपोर्ट दर्ज कर अनुसंधान किया गया । संबंधित गवाहों के बयान लेखबद्ध कर तकनीकी डेटा प्राप्त किया गया।

तकनीकी एवं चैनल पर प्रसारित खबरों एवं मुद्दों के संबंध में जानकारी प्राप्त की गई। अनुसंधान से पाया कि प्रसारित खबरें तथ्यों पर आधारित नहीं थीं। अनुसंधान से मुल्जिमान द्वारा “द सूत्र” चैनल तथा वेब पेज ‘द केपीटल’ से झूठी खबरे हटाने तथा भविष्य में झूठी खबरे प्रसारित नहीं करने हेतु 5 करोड रूपये की राशि की अवैध मांग करना पाया गया तथा राशि नहीं देने पर उपमुख्यमंत्री राजस्थान के विरूद्ध डिस्ट्रॉय दिया” के नाम से ऑपरेशन चलाने की धमकी देना पाया गया। अनुसंधान एवं प्राप्त साक्ष्य के आधार पर मुल्जिमान आनन्द पाण्डे, हरिश दिवेकर व अन्य के विरूद्ध जुर्म प्रमाणित पाये जाने पर अनुसंधान अधिकारी द्वारा भोपाल, मध्यप्रदेश पहुंच मुल्जिमान उपरोक्त को डिटेन कर अनुसंधान हेतु जयपुर लाया जा रहा हैं। ताकि ‘द सूत्र’ के अन्य पदाधिकारियों के साथ इनसे अनुसंधान किया जा सकें।

वैसे तो द सूत्र का स्लोगन है भगवान से डरते हैं, लेकिन क्या वो सच में भगवान से डरते हैं…ऐसा तो लगता नहीं, जिस तरीके से लगातार वरिष्ठ लोगों को ब्लैकमेल कर उनकी झूठी खबरें प्रकाशित कर द सूत्र वेबसाइट पैसा वसूल रहा है। इसे देखकर लगता नहीं हैं, इनको भगवान से किसी तरह का डर भी है। द सूत्र की वेबसाइट पर जाकर जब आप राजस्थान पर सर्च करेंगे और उसमें दीया कुमारी के बारे में खबरें देखेंगे, जो राजकुमारी होने के साथ एक बड़ा राजनीतिक चेहरा भी है। उनके खिलाफ कई बड़ी खबरें आपको दिख जाएगी। शुरुआत में उनके एजुकेशन से हुआ है। फिर सिलसिला शुरु हुआ, जो आजतक खत्म नहीं हुआ है।

आनंद पांडे और हरीश दिवेकर की गिरफ्तारी के बाद उसके कुछ चेलेचपेटे में भी सामने आए हैं। जो गिरफ्तारी का विरोध कर रहे हैं। शायद दोनों पत्रकारों के बेहद प्रिय हो। संरक्षक लोकतांत्रिक पार्टी के रघु ठाकुर ने एक पत्र लिखकर साफ-साफ शब्दों में गिरफ्तारी का विरोध किया है।

उन्होंने लिखा कि..

जानकारी मिली है कि भोपाल के द सूत्र के वरिष्ठ पत्रकार श्री आनंद पांडे और श्री हरीश दिवेकर को राजस्थान पुलिस ने गिरफ्तार किया है । द सूत्र का उदघोष रहा है कि हम केवल भगवान से डरते हैं और दि सूत्र ने सदैव प्रमाणिक खबरों को ही उठाया है ।इनकी गिरफ्तारी के बारे में कोई सार्वजनिक जानकारी नहीं दी गई है और ऐसा बताया जा रहा है कि शायद यह गिरफ्तारी वहां की उप मुख्यमंत्री श्रीमती दिया कुमारी की खिलाफत के समाचार देने के कारण की गई है। अगर यह सच है तो यह एक प्रकार की सरकारी आतंकवादी घटना है तथा बहुत ही शर्मनाक है ।

आपसे अनूरोध करते हैं कि आप उन सारे तथ्यों को सार्वजनिक करें जिनके आधार पर इन पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया है। और अगर कोई अपराध नहीं है केवल विरोध के नाम पर गिरफ्तार किया गया है तो इन पत्रकारों को तत्काल रिहा कराएं तथा भारतीय संविधान में प्रदत्त अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा कर अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन करें।लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी इस गुपचुप गिरफ्तारी की निंदा करती है। लोकतंत्र में पत्रकारिता सबसे बड़ा हथियार है जो जनतांत्रिक अधिकारों को बचाता है और सच्चाई को सामने लाता है।

आपने गौर किया गुपचुप गिरफ्तारी, आखिर कैसे हुई दोनों की गुपचुप गिरफ्तारी। thesootr न दबा है न झुका है- करते रहेंगे जनपक्ष की पत्रकारिता। इस तरीके की हेंडिग डालकर वे वेबसाइट में खबरों को प्रकाशित कर रहे हैं।

देखिए गिरफ्तारी के विरोध में द सूत्र ने क्या लिखा….

पूरे देश का मीडिया दोनों वरिष्ठ पत्रकारों की खैर-खबर लेने के लिए दिनभर बैचेन रहा। हजारों की संख्या में पत्रकारों ने thesootr के ऑफिस फोन लगाकर सच्चाई को जानना चाहा और चिंता जताई। thesootr आप सभी शुभचिंतकों का आभारी है। हमें पूरा भरोसा है कि अभिव्यक्ति की आजादी के लिए आपका साथ आगे भी मिलता रहेगा।

चार साल पहले जब thesootr की शुरुआत हुई, तब एक ही लक्ष्य था- रीडर फर्स्ट, तभी तो thesootr ने अपनी टैग लाइन रखी थी- “हम सिर्फ भगवान से डरते हैं”
पाठकों के भरोसे द सूत्र ने हमेशा उत्कृष्ट स्तर की पत्रकारिता की है। हमने हमेशा सवाल उठाए हैं, पालकी नहीं। मगर सरकारों को चाटुकारिता पसंद आती है, सवाल नहीं…

राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी के खिलाफ झूठी खबरें फैलाने और ब्लैकमेलिंग करने के आरोप में ‘द सूत्र’ के पत्रकार आनंद पांडे और हरीश दिवेकर पर भारतीय न्याय संहिता और आईटी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी। पुलिस और साइबर टीम के अनुसार, दोनों आरोपियों ने झूठी खबरें हटवाने और भविष्य में ऐसी खबरें न चलाने के लिए करोड़ों रुपये की मांग की। यदि राशि नहीं दी जाती, तो उन्होंने उपमुख्यमंत्री की राजनीतिक और सामाजिक छवि को नुकसान पहुँचाने की धमकी दी।

इस मामले में लागू होने वाली प्रमुख धाराएं इस प्रकार हैं:

धारा 503 IPC – किसी को भयभीत करने के लिए धमकी देना। आरोप है कि यदि पैसे नहीं दिए गए तो उपमुख्यमंत्री की छवि को नुकसान पहुँचाने की धमकी दी गई।

धारा 506 IPC – आपराधिक धमकी, जिसमें किसी के जीवन या प्रतिष्ठा को खतरा बताया जाए। आरोपीयों ने ‘डिस्ट्रॉय दिया’ ऑपरेशन चलाने की धमकी दी।

धारा 66D IT Act, 2000 – इंटरनेट या डिजिटल प्लेटफॉर्म पर धोखाधड़ी/ब्लैकमेलिंग। यूट्यूब चैनल और वेब पोर्टल के माध्यम से ब्लैकमेलिंग के लिए लागू।

धारा 67 IT Act – इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने वाली झूठी या भ्रामक जानकारी प्रसारित करना।

पुलिस ने बताया कि मामले में अनुसंधान जारी है और अन्य सहयोगियों और ‘द सूत्र’ के अन्य पदाधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। अधिकारियों ने कहा कि झूठी खबरें फैलाने और ब्लैकमेलिंग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी के खिलाफ झूठी खबरें फैलाने और ब्लैकमेलिंग करने के आरोप में ‘द सूत्र’ के पत्रकार आनंद पांडे और हरीश दिवेकर की गिरफ्तारी इस मामले की गंभीरता को दर्शाती है। जांच में सामने आया कि दोनों आरोपी ‘द सूत्र’ और इसके सहयोगी पोर्टल ‘द केपीटल’ के माध्यम से लगातार झूठी खबरें प्रकाशित कर उपमुख्यमंत्री की राजनीतिक और सामाजिक छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे।

रिपोर्ट और तकनीकी जांच के अनुसार, आरोपियों ने झूठी खबरें हटवाने और भविष्य में ऐसी खबरें न चलाने के लिए परिवादी और उनके जानकारों से 5 करोड़ रुपये की अवैध मांग की और यदि राशि नहीं दी जाती, तो धमकी दी कि ‘द सूत्र’ और ‘द केपीटल’ के माध्यम से छवि पूरी तरह धूमिल कर दी जाएगी। इसके अलावा, आरोपियों ने उपमुख्यमंत्री के खिलाफ ‘डिस्ट्रॉय दिया’ ऑपरेशन चलाने की धमकी भी दी।

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