0 सड्डू, जनमंच में उपस्थित हुए सभी रंगकर्मी
जनधारा समाचार
रायपुर। छत्तीसगढ़ फि़ल्म एंड विजुअल आर्ट सोसाइटी से जुड़े युवा रंगकर्मी गौरव मुजेवार की गुरुवार की रात एम्स हास्पिटल में मस्तिष्क की बीमारी के चलते निधन हो गया था। आज सड्डू, जनमंच में सभी रंगमंच व छत्तीसगढ़ फि़ल्म एंड विजुअल आर्ट सोसाइटी के सदस्यों ने स्व. गौरव को श्रद्घांजलि दी। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ फि़ल्म एंड विजुअल आर्ट सोसाइटी के अध्यक्ष व आज की जनधारा के प्रधान संपादक सुभाष मिश्र ने स्व. गौरव को श्रद्घांजलि देते हुए कहा कि गौरव के भीतर कुछ करने की लालसा थी। वह बहुत सारे चरित्र को जीना चाहता था। कई चीजों को व्यक्त करना चाहता था और उसको लगता था कि रंगमंच से बेहतर माध्यम कोई हो नहीं सकता। गौरव के अंदर लिखने-पढऩे का शौक था। मैंने भी कई पुस्तकें गौरव को दी थी।
हम लोगों ने जब कविताओं का मंचन किया तो वह डॉ. सुयोग पाठक के साथ बैठकर कविताओं को संगीत में ढालने में मदद करता था। उन्होंने कहा कि जो थिएटर का जब हमारा कोई साथी या कला साहित्य की दुनिया का कोई साथी जाता है तो वह सामान्य व्यक्ति की तरह नहीं जाता है। एक सामान्य व्यक्ति अपने ही दुख दर्द में रहता है पर एक कलाकार एक लेखक के कवि जो है वह कहीं ना कहीं यदि वह समाज से जुड़ा है तो उसकी संवेदना पूरे समाज के प्रति दुनिया के प्रति होती है। ऐसी ही संवेदनाओं को लेकर गौरव हमारे बीच से चला गया। गौरव सबका दोस्त था और सबके बीच में कुछ करने का उसका जज्बा भी था।
डॉ. सुयोग पाठक ने श्रद्घांजलि देते हुए कहा कि नाटक के सभी कामों से गौरव का सीधा जुड़ाव था। गौरव के साथ सबसे अच्छी बात यह थी उसमें लिखने पढऩे की जो समझ थी एक अलग तरीके की थी। वह सभी लोगों को साथ में लेकर कुछ न कुछ कंपोजिशन करता था। हमने साथ मिलकर विनोद कुमार शुक्ला और बहुत सारे कवियों की कविताओं को कंपोस्ट किया।गौरव सभी कामों में हमेशा आगे रहता था। गौरव में यह चीज अच्छी थी कि वह पढऩे वाला था क्योंकि वह लिखता भी था और कविताओं को समझता भी था। गौरव काफी सुरीला भी था।
रंगकर्मी हेमंत यादव ने कहा कि गौरव मेरे साथ थिएटर में नया-नया जुड़ा था। वह फिल्म फेस्टिवल में भी मेरे साथ रहा। मैंने एक बार उससे कहा कि मेरे को एक डायलॉग बोलते नहीं बनता तो उसने सलाह दी कि अपना समय पढऩे में लगाओ। मैं जितना थिएटर में किसी के साथ नहीं रहा उसके साथ रहा।
रंगकर्मी शकील साजिद ने कहा कि गौरव सबसे अलग था। उसका मेरे साथ गहरा जुड़ाव था। आजकल के हालात हम लोगों को मुद्दे से भटकाकर हमारे विचारों को बरगला कर लोग अपने विचार थोप रहे हैं। ऐसे समय में गौरव जैसे लोग मुझे हमेशा याद आते हैं। गौरव पढऩे-लिखने वाला एक युवा रंगकर्मी था। पढ़ाई-लिखाई के कारण ही उसकी एक अलग सोच थी। आज के सभी युवाओं को गौरव से सीखने की जरुरत है। यूट्यूबर रवि शर्मा ने गौरव के साथ बिताए अपने समय को याद किया और उसे अपना जिगरी दोस्त बताया।
प्रोफेसर आनंद पांडे ने कहा कि गौरव मेरे साथ मृत्युंजय नाटक से जुड़ा हुआ था। वह एक अद्भुत अभिनेता पूरे ग्रुप में था। जब भी रायपुर आता तो हेमंत गौरव और नाटक से जुड़े हुए सभी लोग बैठकर विचार करते थे कि आगे क्या करना है। रायपुर का रंग मंच किस तरह का होना चाहिए, उसे किस तरह आगे बढ़ाएं और कैसे सभी लोगों को एकजुट करें। हर मामले में गौरव की सलाह जरुरी रहती थी।
छत्तीसगढ़ फि़ल्म एंड विजुअल आर्ट सोसाइटी की डायरेक्टर श्रीमती रचना मिश्रा ने कहा कि गौरव काफी मूडी किस्म का लड़का था। हमारे लिए नाटकों से जुड़े सभी लड़के व्यक्तिगत रुप से भी जुड़े रहते हैं। गौरव भी उनमें से एक था। गौरव अपनी जिंदगी में बहुत कुछ करना चाहता था। नाटक के सभी कामों में उसका सीधा जुड़ाव था। नाटक में चाहे अभिनय करना हो, गाना गाना हो या सामान ही उठाना हो गौरव हर समय एक कदम आगे रहता था। कभी वह एकदम से चुप हो जाता था। तो कभी उत्साह में कुछ करने की बात करता था। उसके साथ एक अलग जुड़ाव था।
अंत में श्रद्घांजलि सभा में उपस्थित सभी लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर युवा रंगकर्मी गौरव मुजेवार को अपनी श्रद्घांजलि अर्पित की। इस कार्यक्रम में शहर के सभी रंगकर्मी, पत्रकार और परिजन उपस्थित थे।