न भोजन की समुचित व्यवस्था, न रहने का ठिकाना, बदहाल हालात में गुजर रही बुजुर्गों की जिंदगी

बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर विकासखंड अंतर्गत ग्राम राजखेता में संचालित परख वृद्धाश्रम की स्थिति बेहद चिंताजनक सामने आई है। जिन बुजुर्गों के सहारे के लिए यह आश्रम बनाया गया था, वही आज अव्यवस्थाओं के बीच जीवन गुजारने को मजबूर हैं। महीनों से कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलने के कारण अधिकांश स्टाफ नौकरी छोड़ चुका है, जिससे वृद्धाश्रम लगभग एक कर्मचारी के भरोसे चल रहा है।

जानकारी सामने आने के बाद जब प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंचा तो हालात देखकर अधिकारी भी हैरान रह गए। आश्रम के कई कमरों में ताले लगे मिले, जिससे बुजुर्गों को ठंड के मौसम में गलियारे में दिन-रात बितानी पड़ रही थी। बिजली की व्यवस्था न होने के कारण वृद्ध महिलाएं अंधेरे में स्वयं भोजन बनाती नजर आईं। निरीक्षण के दौरान आश्रम में एक्सपायरी दवाइयों का भंडार भी मिला।

समाज कल्याण विभाग द्वारा एनजीओ के माध्यम से संचालित इस वृद्धाश्रम की बदहाली पर तहसीलदार गुरुदत्त पंचभावे ने तत्काल कमरों के ताले खुलवाने के निर्देश दिए, ताकि बुजुर्गों को सुरक्षित आवास मिल सके। साथ ही आश्रम संचालक को भोजन, बिजली, दवा और देखभाल की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के आदेश दिए गए।

तहसीलदार ने बताया कि आश्रम संचालक द्वारा पिछले 13 महीनों से भवन किराया नहीं दिया गया था, जिसके कारण मकान मालिक ने कमरे बंद कर दिए थे। कर्मचारियों के वेतन भुगतान में भी लापरवाही सामने आई है। संचालक ने लिखित में शीघ्र व्यवस्था सुधारने और कर्मचारियों को वेतन देने का आश्वासन दिया है। अब सवाल यह है कि प्रशासन की फटकार के बाद क्या वास्तव में वृद्धाश्रम की स्थिति सुधरेगी या बुजुर्गों को यूं ही उपेक्षा झेलनी पड़ेगी।

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