0 खिलाडिय़ों को सुविधा, रोजगार और लाइफ सेक्युरिटी देने से बढ़ेंगे प्रतिभागी
0 एशियन न्यूज का खास कार्यक्रम संतुलन का समीकरण का आयोजन
0 खेल, दुनिया में हम क्यों हो रहे हैं फेल, विषय पर परिचर्चा का आयोजन
रायपुर। अभी हाल ही में संपन्न हुए ओलम्पिक से भारत ने थोड़े से पदक जीते किन्तु एक भी गोल्ड पदक हमें नहीं मिला। हमसे बहुत छोटे-छोटे देशों का प्रदर्शन हमसे बहुत अच्छा रहा। पूरी दुनिया की सबसे बड़ी आबादी होने के बावजूद हम अंतर्राष्ट्रीय खेलों में अपनी धमक नहीं बना पा रहे हैं। क्या हमारे यहाँ खेलों के लिए अनुकूल वातावरण की कमी है या इच्छा शक्ति की। हम किन-किन खेलों में सिरमौर हो सकते हैं। हम ऐसा क्या करें कि हम भी अमेरिका, चीन, आस्ट्रेलिया, जापान, फ्रांस की ही तरह खेलों में अपनी जगह बनाएं। क्या हम खेल सुविधाओं, खेल नीति, सरकार और समाज में खेलों के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के लिए क्या ये कहने की स्थिति में हैं की थोड़ा है, थोड़े की ज़रूरत है। इसी को जानने के लिए खेल, दुनिया में हम क्यों है फेल, जैसे विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस विषय पर बात रखने के लिए खेल से जुड़े तमाम लोग शामिल हुए। इसमें खिलाड़ी, कोच संस्था के संस्थापक आदि शामिल हुए और अपनी बात रखीं।
एशियन न्यूज के प्रधान संपादक सुभाष मिश्र ने कहा कि एक कहावत बहुत मशहूर है पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे होगे खऱाब, लेकिन वर्तमान में ठीक इसके उलट हो रहा है जिस तरीके से खेल के प्रति लोगों में रुझान बढ़ा है इसे साफ जाहिर होता है कि लोग खेल की ओर मुतासिर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में कई ऐसे खेल हैं जिसको लोग तवज्जो दे रहे हैं इसमें क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल, कबड्डी इत्यादि शामिल हैं लेकिन क्या इसकी हकीकत जो दिख रही है वही है क्या आज खिलाडिय़ों के साथ न्याय हो पा रहा है क्या खिलाडिय़ों को जो सुविधाएं मिलनी चाहिए वह मिल पा रही है इन्ही सभी बिंदुओं पर चर्चा करने के लिए संतुलन का समीकरण यानी कि बैलेंस इक्वेशन का आयोजन किया गया है। जिसमें अलग-अलग वर्गों के लोगों ने अपनी बात रखी।
छत्तीसगढ़ स्टेट वालीबॉल एसोसिएशन के सचिव मो. अकरम खान ने कहा कि भारत में प्रतिभा की कमी नहीं है, लेकिन ओलंपिक की बात करें तो हमारे देश से अन्य कंट्री के खिलाड़ी ज्यादा भाग ले रहे हैं। इसमें चीन और अफ्री का और छोटे छोटे कंट्री के खिलाड़ी भारत जैसे बड़ी कंट्री के आगे हैं। वो हमसे ज्यादा मेडल जीत रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके जैसे हमारे देश में कोई ऐसा वातावरण नहीं है कि अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर जाकर अधिक से अधिक मेटल ला सके, आज जितनी भी खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जा रहे हैं वह खुद के दम पर जा रहे हैं। वह खुद अपने सपनों को साकार करने का काम कर रहे हैं इनको जिस प्रकार से सुविधाएं मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पा रही है।
अगर छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां और भी पिछड़ा है यहां वैसे कोई खिलाड़ी है ही नहीं को अंतराष्ट्रीय स्तर पर जाकर मेडल जीत सके। यहां कोई स्टेट या फिर नेशनल खेल लेता है उसके बाद वह आगे बढ़ नहीं पाता है। यहां ना तो खिलाडिय़ों के पास आगे बढ़ाने के लिए कोई सपोर्ट है और ना ही जॉब सिक्योरिटी, छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी जब तक अपनी जॉब और लाइफ सिक्योर नहीं देखेंगे तब तक खेल में नहीं आते हैं। खेल संघ की बात करें तो यहां वैसी सुविधा नहीं है जिस प्रकार की होनी चाहिए।
एक बात और है कि भारत में अगले ओलंपिक गेम्स की मेजबानी करने की बात कर रहा है। मुझे विश्वास है कि अगला ओलंपिक यहीं हो लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि अगले ओलंपिक में भारत के ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी हिस्सा लें। अभी जो ओलंपिक हुआ उसमे मात्रा 117 डेलीगेट्स ही शामिल हुए। जबकि इतने बड़ी आबादी वाले देश से इतने कम लोग खेलने के लिए जा रहे हैं यह चिंता का विषय है। इसको बढ़ाने की जरूरत है। आज जरूरी है कि सरकार बड़ी संस्था सामने आएं और ऐसे खिलाडिय़ों का सहयोग करें जो आगे खेलना चाहते हैं जो देश के लिए मैडल लाना चाहते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार जसवंत क्लॉडियस ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद बहुत सारी संभावनाएं उभर कर सामने आया। यहां पर खेल संघ की गठन भी हुआ। धीरे धीरे खेल गतिविधियां बढ़ी, तारीफ की बात यह है कि जब छत्तीसगढ़ का गठन हुआ उस समय खेल को लेकर किसी प्रकार का खेल संगठन छत्तीसगढ़ में नहीं था, बाद में खेल अधिकारी और राजनेताओं की कड़ी मेहनत किया और आगे बच्चों के भविष्य को संवारने में लग गए। उन्होंने कहा कि लगातार खिलाडिय़ों की प्रतिभा को पहचान कर उन्हें विभिन्न प्रतियोगिताओं में चयनित किया गया। आज नेशनल और अंतरराष्ट्रीय खेलों के लिए जिस प्रकार से छत्तीसगढ़ को खिलाड़ी देना चाहिए। वह अभी तक नहीं दे पाया है हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम अधिक से अधिक नेशनल और इंटरनेशनल खिलाड़ी दें।
दैनिक भास्कर के स्पोर्ट्स रिपोर्टर सुमय कर ने कहा कि छत्तीसगढ़ में स्कूल लेवल पर हमारी तैयारी तो अच्छी है लेकिन कॉलेज में आते-आते खेल खत्म हो जाता है। स्कूल लेवल पर हमारे पास ओलंपिक और नॉन ओलंपिक दोनों गेम है लेकिन कॉलेज आते-आते वह खेल आधे हो जाते हैं। कॉलेज में खिलाडिय़ों की तैयारी के लिए ट्रायल तक नहीं लिया जाता है और सीधे टीम भेज दी जाती है ऐसे में स्कूल कॉलेज के बाद जब ओपन में आते हैं तो सही न्याय नहीं मिल पाता है। तीन-चार दिन की ट्रायल एक दिन में ही निपटा दिया जाता है, ऐसे में अच्छे खिलाड़ी कैसे चयनित होंगे। उन्होंने कहा कि अगर जमीनी स्तर पर देखें तो ऐसी कोई चीज नहीं कर रहे हैं जिससे अच्छे खिलाड़ी तैयार किए जा सकते हैं। आज जरूरत है खिलाडिय़ों को परखने की उसे अच्छे कोच की और उस अवसर देने के तब जाकर अच्छे खिलाड़ी निकलेंगे और देश के लिए खेलेंगे।
चंद्रशेखर ने कहा कि आज छत्तीसगढ़ के खिलाडिय़ों की सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक चुनौतियों से गुजरना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिनमे प्रतिभा कूट कूट कर भरा हुआ है लेकिन आज खिलाडिय़ों को वैसी व्यवस्था और वैसी सुविधा नहीं मिल पा रही है।
शेख इब्राहिम ने कहा कि आज जरूरी है कि प्रतिभावान बच्चों को परखने और निखारने की। हमारी कोशिश है कि ऐसे बच्चे जो प्रतिभावान हैं और जो खेलना चाहते हैं उनको अवसर प्रदान कर रहे हैं ताकि वह आगे बढ़े और प्रदेश और देश के लिए मेडल जीते। मिलिंद गौतम ने कहा देश और पूरी दुनिया में क्रिकेट को लेकर जिस प्रकार की दीवानगी है। मेरा मानना है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार को क्रिकेट के अलावा सभी खेलों को प्रमोट करें क्योंकि खिलाड़ी सभी हैं और अपने अपने खेल के क्षेत्र में सभी महारथ रखते हैं।
खेल से जुड़े प्रमुख बिंदु
0 भारत और छत्तीसगढ़ में है प्रतिभावान खिलाड़ी, प्रतिभा की पहचान कर सुविधा देने की है जरूरत।
0 छत्तीसगढ़ में खेल संगठन और खिलाडिय़ों को मजबूत करने की जरूरत
0 खिलाडिय़ों को रोजगार और लाइफ सेक्युरिटी देने से बढ़ेंगे प्रतिभागी
0 खिलाडिय़ों के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं कहीं ग्राउंड तो कहीं कोच नहीं, आर्थिक सपोर्ट देने की भी है जरूरत
0 छत्तीसगढ़ सहित देश भर में अच्छे कोचों की है जरूर
0 खिलाडिय़ों को नहीं मिलते हैं अच्छे और पर्याप्त डाइट
0 विषम परिस्थितियों में खिलाड़ी करते हैं अपनी प्रतियोगिता की तैयारी इससे नहीं हो पाता है लक्ष्य पर फोकस
0 जमीनी स्तर पर खिलाडिय़ों को पहचानना और उनको तरासने की है जरूर
0 सुदूर क्षेत्रों के खिलाड़ी बस एक प्रतिभावान खिलाड़ी बनकर रह जाते हैं नहीं मिलती है अवसर
0 स्कूल से लेकर कॉलेज लेवल तक के खिलाडिय़ों को उनकी प्रतिभा का पहचान कर देना होगा मौका दिखेगा अच्छे रिजल्ट
0 प्रदेश सहित देशभर में सरकार और अच्छे संस्थानों को आना होगा आगे देश प्रदेश में प्रतिभावान खिलाडिय़ों की कमी नहीं
0 डाइट, ट्रेवलिंग से लेकर ग्राउंड तक खिलाडिय़ों को देने होंगे अच्छी सुविधा मिलेंगे अच्छे रिजल्ट
0 सभी खेलों को एक समान देखने की जरूरत कोई खेल छोटा या बड़ा नहीं
02036 में मेजबानी करने को हैं तैयार, लेकिन क्या व्यवस्था है प्रयाप्त?