then reverse restrictions फिर उलटा पड़ता प्रतिबंध

then reverse restrictions

then reverse restrictions फिर उलटा पड़ता प्रतिबंध

then reverse restrictions रूस पर प्रतिबंधों के अनुभव से कोई सबक ना लेकर हाई टेक में क्षेत्र में चीन की बढ़त रोकने के लिए अमेरिका सख्त प्रतिबंधों की राह पर आगे बढ़ा है। लेकिन सेमीकंडक्टर क्षेत्र में उसका ये कदम बैकफायर करता दिख रहा है।

then reverse restrictions यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका और यूरोप ने रूस पर जो प्रतिबंध लगाए, उनका उलटा असर हुआ। उनसे रूस की अर्थव्यवस्था तो उतनी प्रभावित नहीं हुई, लेकिन यूरोप के लिए तबाही के रास्ते खुल गए। पश्चिम में यह अहसास तीन या चार महीनों के बाद जाकर हुआ। लेकिन तब तक पश्चिम के लिए कदम पीछे खींचने के विकल्प सीमित हो चुके थे।

बहरहाल, अमेरिका ने उससे कोई सबक नहीं लिया। हाई टेक में क्षेत्र में चीन की बढ़त रोकने के लिए वह सख्त प्रतिबंधों की राह पर आगे बढ़ा है। लेकिन सेमीकंडक्टर क्षेत्र में उसका ये कदम फिर बैकफायर करता दिख रहा है। द वॉल स्ट्रीट जर्नल से लेकर रिपोर्टो और विश्लेषणों में अमेरिकी चिप इंडस्ट्री के संकटग्रस्त होने की चर्चा खुल कर हुई है।

then reverse restrictions काबिल-ए-गौर बात इस उद्योग से जुड़े लोगों की सामने आई यह राय है कि अमेरिकी प्रतिबंधों से हाई टेक क्षेत्र में चीन की प्रगति की रफ्तार तो घटेगी, लेकिन अब वह इतना आगे बढ़ चुका है कि देर-सबेर सेमीकंडक्टर उत्पादन के मामले में आत्म निर्भर हो जाएगा। जबकि दुनिया का सबसे बड़ा बाजार- यानी चीन के हाथ से निकलने के बाद अमेरिका की प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां अपने पूंजीगत निवेश मे कटौती के लिए मजबूर हो जाएंगी।

इसका असर उनके रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर पड़ेगा। इससे संभव है कि भविष्य में जहां चीन इस क्षेत्र में अग्रणी बन जाए, वहीं अमेरिका का प्रभाव घट जाए। इस सिलसिले में इन तथ्यों का उल्लेख किया गया है कि 2021 में चीन ने न सिर्फ संख्या बल्कि गुणवत्ता वाले रिसर्च पेपर के प्रकाशन के मामले में भी अमेरिका को आगे छोड़ दिया। इसी वर्ष चीनी कंपनियों ने जहां 73 हजार से ज्यादा पेंटेट हासिल किए, वहीं अमेरिका के मामले में ये संख्या।

then reverse restrictions 56 हजार रही। हर साल पढ़ कर बाहर आने वाले इंजीनियर और टेककर्मियों के मामले में चीन काफी पहले आगे निकल चुका है। ऐसे में सेमीकंडक्टर क्षेत्र में उसका पिछड़ापन स्थायी रहेगा, यह मानने की कोई ठोस वजह नहीं है। इसलिए बेहतर होता अगर अमेरिका प्रतिबंधों की अप्रासंगकिता को समझता। लेकिन ऐसा होने के कोई संकेत नहीं हैं।

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