Modi’s bet on Gujarati identity गुजराती अस्मिता का मोदी का दांव

Modi's bet on Gujarati identity

Modi’s bet on Gujarati identity गुजराती अस्मिता का मोदी का दांव

Modi’s bet on Gujarati identity प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भी गुजरात में चुनाव प्रचार के लिए जाते हैं तब वे उसी प्रदेश के प्रधानमंत्री की तरह बरताव करते हैं। वे देश के प्रधानमंत्री की तरह वोट नहीं मांगते हैं, बल्कि गुजरात के प्रधानमंत्री की तरह वोट मांगते हैं। उनका पूरा प्रचार गुजराती अस्मिता के ऊपर होता है, जिसके एकमात्र प्रतीक वे खुद होते हैं।

Modi’s bet on Gujarati identity गुजरात में चुनाव की घोषणा से पहले वे राज्य के लगातार दौरे कर रहे हैं और चुनाव प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने अपने ताजा दौरे में बुधवार को दो जगह गुजराती अस्मिता को ललकारा। प्रधानमंत्री ने एक कार्यक्रम में कहा कि गुजरात को गाली देने वालों को सबक सिखाना है। इसके बाद जूनागढ़ में यह भी कहा कि कुछ लोगों को गुजरात की सफलता रास नहीं आती। पिछले दौरों में भी उनको कई बार कहा कि गुजरात का विकास रोकने के प्रयास हुए और गुजरात को बदनाम किया गया।

Modi’s bet on Gujarati identity इस तरह की अस्मिता की बात वे दूसरे राज्यों में नहीं करते हैं। देश के किसान जब दिल्ली की सीमा पर धरने पर बैठे तो उनको खालिस्तानी और आतंकवादी कहा गया लेकिन पंजाब की सभाओं में प्रधानमंत्री ने कभी नहीं कहा कि पंजाब को बदनाम करने वालों को सबक सिखाना है, क्योंकि बदनाम करने वाले भाजपा के ही लोग थे।

Modi’s bet on Gujarati identity इसी तरह बिहार और यूपी यानी पूर्वांचल के लोगों के साथ देश भर में भेदभाव होता है, उन्हें अपमानित किया जाता है लेकिन उनकी अस्मिता का मुद्दा पीएम कभी नहीं उठाते हैं। राजधानी दिल्ली सहित देश के अनेक राज्यों में पूर्वोत्तर के लोगों को चिढ़ाया जाता है और दक्षिण भारतीयों को भी मजाक उड़ाया जाता है लेकिन उनके स्वाभिमान को लेकर प्रधानमंत्री कुछ नहीं कहते हैं।

 

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