The Story of PM Modi’s Mother’s Struggle : पड़ोसी के घर बर्तन मांजने से लेकर मजदूरी तक की, PM मोदी ने खुद सुनाई मां के संघर्ष की कहानी

The Story of PM Modi's Mother's Struggle : पड़ोसी के घर बर्तन मांजने से लेकर मजदूरी तक की, PM मोदी ने खुद सुनाई मां के संघर्ष की कहानी

The Story of PM Modi’s Mother’s Struggle : पड़ोसी के घर बर्तन मांजने से लेकर मजदूरी तक की, PM मोदी ने खुद सुनाई मां के संघर्ष की कहानी

 

The Story of PM Modi’s Mother’s Struggle : नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माता हीरा बा का निधन आज यानी शुक्रवार तड़के अहमदाबाद के अस्पताल में हो गया है। आप सभी को बता दें कि हीरा बा ने 100 साल की उम्र में यूएन मेहता अस्पताल में अंतिम सांस ली। जी हाँ,

The Story of PM Modi's Mother's Struggle : पड़ोसी के घर बर्तन मांजने से लेकर मजदूरी तक की, PM मोदी ने खुद सुनाई मां के संघर्ष की कहानी
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The Story of PM Modi’s Mother’s Struggle : वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी मां हीरा बा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम। आप सभी को पता ही होगा हीरा बा ने भले ही 100 साल की जिंदगी जी हो, लेकिन प्रधानमंत्री ने अपनी मां को छोटी सी उम्र में खो दिया था।

जी दरअसल PM मोदी की मां का जीवन काफी संघर्ष भरा रहा है, लेकिन वह जिंदगी के हर कदम पर अनुशासित रही हैं। इस बारे में खुद PM मोदी कई बार बता चुके हैं।

आज पीएम मोदी ने अपनी मां के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम।।। मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है।

‘ आपको बता दें कि पीएम मोदी को अपनी मां से खास लगाव था। पीएम मोदी ने अपनी मां के 100वें जन्मदिन पर एक ब्लॉग लिखा था, जिसमें अपनी मां के बलिदानों और जीवन के कई पहलुओं का जिक्र किया था।

उस दौरान पीएम मोदी ने अपने ब्लॉग में जानकारी देते हुए कहा था कि उनकी मां हीरा बा का जन्म गुजरात के मेहसाणा के विसनगर के पालनपुर में हुआ था, जो वडनगर के काफी करीब है। छोटी सी उम्र में,

उन्होंने अपनी मां को स्पेनिश फ्लू महामारी में खो दिया। हीरा बा को अपनी मां का चेहरा या उनकी गोद का आराम भी याद नहीं था। उन्होंने अपना पूरा बचपन अपनी मां के बिना बिताया। वह अपनी मां की गोद में हम सब की तरह आराम नहीं कर सकी थीं। वह स्कूल भी नहीं जा सकती थी और न ही पढ़ना-लिखना सीख सकती थी।

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उनका बचपन गरीबी और अभावों में बीता था। इसी के साथ उन्होंने उल्लेख किया था कि कैसे उनकी मां न केवल घर के सभी काम खुद करती थीं बल्कि घर की मामूली आय को पूरा करने के लिए बाहर भी काम करती थीं। वह कुछ घरों में बर्तन धोती थीं और घर के खर्चों को पूरा करने के लिए चरखा चलाने के लिए भी समय निकालती थीं।

उन्होंने वडनगर के उस छोटे से घर को याद किया जिसकी छत के लिए मिट्टी की दीवारें और मिट्टी की टाइलें थीं, जहां वे अपने माता-पिता और भाई-बहनों के साथ रहते थे। इसी के साथ पीएम मोदी ने उन असंख्य रोजमर्रा की प्रतिकूलताओं का उल्लेख किया था जिनका सामना उनकी मां हीरा बा ने किया और सफलतापूर्वक उन पर विजय प्राप्त की।

उन्होंने लिखा था कि, ‘घर की आर्थिक और पारिवारिक स्थिति कमजोर होने के चलते उन्हें पढ़ने का मौका भले ही नहीं मिला, लेकिन वह अपने बच्चों को शिक्षा देने के लिए दूसरे के घरों में भी काम करने के लिए तैयार हो गईं। उन्होंने फीस भरने के लिए कभी किसी से उधार पैसे नहीं लिए। हीरा बा चाहती थीं कि उनके सभी बच्चे पढ़ लिखकर शिक्षित बनें।’

इसी के साथ पीएम मोदी ने कहा था, ‘मां।।। यह सिर्फ एक शब्द नहीं है, यह जीवन की वह भावना है, जिसमें स्नेह, धैर्य, विश्वास, कितना कुछ समाया हुआ है। दुनिया का कोई भी कोना हो, कोई भी देश हो, हर संतान के मन में सबसे अनमोल स्नेह मां के लिए होता है। मां, सिर्फ हमारा शरीर ही नहीं गढ़ती बल्कि हमारा मन, हमारा व्यक्तित्व, हमारा

आत्मविश्वास भी गढ़ती है और अपनी संतान के लिए ऐसा करते हुए वो खुद को खपा देती है, खुद को भुला देती है। मेरी मां जितनी सामान्य हैं, उतनी ही असाधारण भी। ठीक वैसे ही, जैसे हर मां होती है।’

आगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा था कि, ‘मेरी मां की एक और अच्छी आदत रही है जो मुझे हमेशा याद रही। जीव पर दया करना उनके संस्कारों में झलकता रहा। गर्मी के दिनों में पक्षियों के लिए वो मिट्टी के बर्तनों में दाना और पानी जरूर रखा करती थीं। जो हमारे घर के आसपास स्ट्रीट डॉग्स रहते थे, वो भूखे ना रहें, मां इसका भी खयाल रखती थीं।’

इसी के साथ पीएम मोदी ने कहा था कि ‘ईश्वर पर मां की अगाध आस्था है, लेकिन वो अंधविश्वास से कोसों दूर रहती हैं। हमारे घर को उन्होंने हमेशा अंधविश्वास से बचाकर रखा। वो शुरु से कबीरपंथी रही हैं और आज भी उसी परंपरा से अपना पूजा-पाठ करती हैं।

हां, माला जपने की आदत सी पड़ गई है उन्हें। दिन भर भजन और माला जपना इतना ज्यादा हो जाता है कि नींद भी भूल जाती हैं। घर के लोगों को माला छिपानी पड़ती है, तब जाकर वो सोती हैं और उन्हें नींद आती है।’ इसी के साथ पीएम मोदी ने कहा था, ‘मेरी मां ने हमेशा मुझे अपने सिद्धांत पर डटे रहने, गरीब के लिए काम करते रहने के लिए प्रेरित किया है।’

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