Munshi Premchand

Munshi Premchand :

Munshi Premchand : वृद्ध बुढ़िया की दर्द भरी कहानी है नाटक “बूढ़ी काकी”

Munshi Premchand मेरी तो किस्मत ही सोई है, मेरे पेट काटकर क्या धनवान हो जाएंगे  नाटक बूढ़ी काकी देख भाव विभोर हुए दर्शक     Munshi Premchand रायपुर ।  मुंशी प्रेमचंद एक बार फिर अपनी कृति ‘बूढ़ी काकी’ के माध्यम से मंच पर जिंदा हो गए। मौका था प्रेमचंद की जयंती पर आयोजित नाट्य मंचन […]

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Margins :

Margins : हाशिये पर हैं मुंशी प्रेमचन्द और किसान

Margins : चेहरा बदल गया है मगर किसानों का भला नहीं हुआ Margins :  गोरखपुर .एक सदी पूर्व भारतीय ग्राम समाज को विषय वस्तु बनाकर कथा जगत में अपनी लेखनी से आन्दोलन पैदा करने वाले मुंशी प्रेमचन्द और उनका प्रिय किसान दोनों आज हाशिए पर है। किसान कभी आन्दोलनजीवी नहीं था वह श्रमजीवी था। also

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