Supreme Court का बड़ा फैसला: सभी राज्यों को आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में रखने और नसबंदी करने का आदेश

रायपुर/लखनऊ। – देश के सर्वोच्च न्यायालय ने आवारा कुत्तों के मुद्दे पर अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया है कि वे आवारा कुत्तों का नसबंदी कर शेल्टर होम में रखें और सुनिश्चित करें कि सड़क पर एक भी कुत्ता न दिखे। कोर्ट ने स्कूल-कॉलेज, अस्पताल, रेलवे स्टेशन, बस अड्डा, खेल परिसर और हाईवे जैसी सार्वजनिक जगहों से भी आवारा कुत्तों को हटाने का निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच – जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया – ने यह आदेश सुनाया। कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को इन निर्देशों का पालन सख्ती से करवाने का जिम्मा सौंपा और 3 हफ्ते के भीतर स्टेटस रिपोर्ट और हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई 13 जनवरी 2026 को होगी।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की मुख्य बातें:

  1. सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को दो सप्ताह में जिला अस्पताल, सार्वजनिक खेल परिसर, रेलवे स्टेशन और सरकारी संस्थानों की पहचान करनी होगी और वहां बाड़ लगाकर आवारा कुत्तों के प्रवेश को रोकना होगा।
  2. यह कार्य आठ सप्ताह के भीतर पूरा करना होगा। संस्थानों के प्रबंधन को नोडल अधिकारी नियुक्त करना होगा।
  3. स्थानीय नगरपालिका आवारा कुत्तों के निरीक्षण और नियमित निगरानी की जिम्मेदारी संभालेंगे। सभी आवारा कुत्तों को नसबंदी और वैक्सिनेशन के बाद शेल्टर होम में स्थानांतरित किया जाएगा। उन्हें उसी क्षेत्र में वापस नहीं छोड़ा जाएगा।
  4. कोर्ट ने हेल्पलाइन नंबर जारी करने और नगर निगम पेट्रोलिंग टीम बनाने के भी निर्देश दिए।

पीछे की कहानी:

11 अगस्त को दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में रखने का आदेश दिया गया था। एनिमल लवर्स ने सुप्रीम कोर्ट में आपत्ति दर्ज कराई, जिसके बाद मामला तीन जजों की बेंच को भेजा गया। कोर्ट ने पुराने आदेश को बदलते हुए, कुत्तों को पकड़कर नसबंदी और वैक्सिनेशन के बाद अपने इलाके में छोड़ने का निर्देश दिया।

हालांकि, दो महीने में अधिकांश राज्यों ने हलफनामा नहीं दाखिल किया। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों की ढीली रवैये पर कड़ी टिप्पणी की और कहा कि यह भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि पर भी असर डाल रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने आठ सप्ताह के भीतर अपने आदेश को लागू करने का स्पष्ट निर्देश देते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को चेताया है कि वे इस मामले में तुरंत कार्रवाई करें।

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