नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तीसरी कैवलरी रेजिमेंट के पूर्व लेफ्टिनेंट सैमुअल कमलेसन की याचिका खारिज कर दी। कमलेसन को सीनियर अधिकारी के आदेश के बावजूद गुरुद्वारे में पूजा करने से इनकार करने पर अनुशासनहीनता के आरोप में भारतीय सेना से बर्खास्त कर दिया गया था।
चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि कमलेसन भले ही शानदार अधिकारी रहे हों, लेकिन वे भारतीय सेना के लिए अनुपयुक्त हैं। पीठ ने टिप्पणी की, “इस तरह के झगड़ालू व्यक्ति सेना में रहने के लायक नहीं हैं। मौजूदा जिम्मेदारियों को देखते हुए ऐसे मामलों में कोई रियायत नहीं दी जा सकती।”
कमलेसन ने तर्क दिया था कि एकेश्वरवादी ईसाई होने के नाते गुरुद्वारा पूजा उनकी धार्मिक मान्यताओं के विरुद्ध है। उन्होंने होली-दीवाली जैसे अन्य धर्मों के त्योहारों में भाग लेने का उदाहरण दिया। उनकी ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने संविधान के अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) का हवाला दिया।
हालांकि पीठ ने सेना में अनुशासन को सर्वोपरि मानते हुए याचिका खारिज कर दी। मई में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी सेना के बर्खास्तगी आदेश को सही ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला अंतिम है।