Supreme Court: चीतों की मौत पर सुप्रीम कोर्ट ने बंद की सुनवाई

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चीता प्रोजेक्ट पर केंद्र सरकार से सवाल पूछने की कोई वजह नहीं

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 9 चीतों की मौतों के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। केंद्र ने कोर्ट को बताया कि चीतों को देश में बसाने में कुछ समस्याएं जरूर हैं, लेकिन चिंता करने जैसा कुछ भी नहीं है। कोर्ट ने केंद्र की दलीलों को स्वीकार करते हुए सुनवाई बंद कर दी। कोर्ट ने यह भी कहा कि भारत में चीतों को बसाने के प्रोजेक्ट पर सरकार से सवाल पूछने का कोई कारण नहीं है।

कूनो में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 20 चीतों को लाया गया है। चार शावकों ने यहां जन्म लिया। इनमें से 6 चीतों और तीन शावकों की मौत हुई है। इसी मामले को लेकर याचिका दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि दुनिया में पहली बार चीते एक कॉन्टीनेंट से दूसरे कॉन्टीनेंट में शिफ्ट किए गए हैं। चीतों के बाड़े का तापमान ज्यादा होना भी उनके लिए मुश्किल होता है। नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के कम तापमान के मुकाबले यहां का तापमान ज्यादा रहता है। 1952 में देश में चीते विलुप्त घोषित कर दिए गए। चीतों को देश में फिर से बसाने की योजना के तहत विदेशों से चीतों को लाया गया है।

दुनिया के मुकाबले कम मृत्युदर

केंद्र सरकार ने कहा कि भारत में तमाम चुनौतियों के बाद चीतों की मृत्यु दर दुनिया के अन्य हिस्सों के मुकाबले काफी कम होना उपलब्धि है। अन्य जंगली जानवरों यानी बाघ, तेंदुओं और जंगली सुअरों से इन्हें बचाना बड़ी चुनौती है। इन्फेक्शन और डिहाइड्रेशन चीतों की मौत का बड़ा कारण है। इस मामले में इंटरनेशनल एक्सपर्ट्स से राय ली जा रही है।

हर साल 12 से 14 चीते भारत लाए जाएंगे

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हमारी योजना के मुताबिक हर साल औसतन 5 से आठ चीता शावक देश में पैदा होंगे। सरकार अगले पांच साल तक 12 से 14 चीते विदेशों से लाएगी। कूनो में अभी एक शावक सहित 15 चीते हैं।

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