आस्था, अध्यात्म और सुरक्षा का सूर्योदय: CM योगी के प्रयासों से 46 साल बाद फिर शुरू हुई पौराणिक 24 कोसी परिक्रमा, संभल लौटा अपने आध्यात्मिक स्वरूप में

संभल में एक बार फिर आस्था, अध्यात्म और परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। कभी दंगों, पलायन और अवैध कब्जों की वजह से सुर्खियों में रहा यह ऐतिहासिक शहर अब अपनी पौराणिक पहचान और धार्मिक गौरव को पुनः प्राप्त कर रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 46 वर्षों बाद यहां पौराणिक 24 कोसी परिक्रमा की शुरुआत हुई है। शुक्रवार रात 2 बजे बेनीपुरचक स्थित श्रीवंशगोपाल तीर्थ से लाखों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में इसका शुभारंभ हुआ।

शंखनाद, भजन और जयघोषों से गूंजते वातावरण में आरंभ हुई यह परिक्रमा धार्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। 1978 में सांप्रदायिक दंगों के बाद यह परंपरा बंद हो गई थी, लेकिन अब मुख्यमंत्री योगी के प्रयासों से संभल एक बार फिर अपने “भगवान कल्कि की नगरी” स्वरूप में लौट आया है।

यह परिक्रमा श्रीवंशगोपाल तीर्थ से प्रारंभ होकर भुवनेश्वर, क्षेमनाथ और चंदेश्वर तीर्थों से होते हुए पुनः श्रीवंशगोपाल तीर्थ पर समाप्त होती है। इसके मार्ग में 87 देवतीर्थ और 19 पौराणिक कूप आते हैं, जो संभल की समृद्ध धार्मिक विरासत के प्रतीक हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस परिक्रमा में भाग लेने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।


1978 के दंगों से लेकर 2025 की नई शुरुआत तक

1978 के दंगों ने संभल की सामाजिक संरचना को गहराई से प्रभावित किया था। भय और अविश्वास के माहौल में सैकड़ों हिंदू परिवारों ने पलायन किया, मंदिरों पर कब्जे हुए और धार्मिक गतिविधियाँ बंद हो गईं। लेकिन 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद संभल की तस्वीर बदलनी शुरू हुई। सरकार ने न केवल कानून व्यवस्था को सुदृढ़ किया, बल्कि धार्मिक परंपराओं को पुनर्जीवित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए।

योगी सरकार ने दंगों और अवैध कब्जों की जांच कराई। न्यायिक आयोग की रिपोर्ट के बाद कई साजिशकर्ताओं को जेल भेजा गया। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि आस्था से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।


अवैध कब्जों से मुक्ति और तीर्थ स्थलों का पुनरुद्धार

योगी सरकार ने संभल में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हटाने की ऐतिहासिक कार्रवाई की। राजस्व संहिता-2006 की धारा 67 के तहत 495 वाद दर्ज हुए, जिनमें से 243 मामलों का निस्तारण कर 1067 अतिक्रमण हटाए गए और 68.94 हेक्टेयर भूमि कब्जामुक्त कराई गई।

साथ ही धार्मिक स्थलों पर हुए अवैध कब्जों को भी हटाया गया। इस अभियान में 16 मस्जिदें, 12 मजारें, 7 कब्रिस्तान और 2 मदरसे खाली कराए गए, जिससे 2.623 हेक्टेयर भूमि पुनः मंदिर ट्रस्टों को मिली। अब यहां 68 तीर्थस्थलों और 19 प्राचीन कूपों का सौंदर्यीकरण और संरक्षण कार्य चल रहा है। कल्कि अवतार मंदिर, भुवनेश्वर और चंदेश्वर तीर्थों का पुनरुद्धार भी जारी है।


कानून का इकबाल और विकास की नई पहचान

योगी सरकार के कार्यकाल में संभल में अब कानून का इकबाल पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हुआ है। यहां 2 नए थाने और 45 पुलिस चौकियां स्थापित की गई हैं। संवेदनशील इलाकों में सीसीटीवी और ड्रोन निगरानी की व्यवस्था की गई है।

बिजली चोरी पर कार्रवाई के परिणामस्वरूप लाइन लॉस 82% से घटकर 18% पर आ गया है, जिससे राज्य को 84 करोड़ रुपये की बचत हुई है।

आर्थिक मोर्चे पर भी संभल तेजी से उभर रहा है। ₹2405 करोड़ के निर्यात के साथ यह प्रदेश का 10वां सबसे बड़ा निर्यातक जिला बन गया है। ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP)’ योजना के तहत यहां के मेटैलिक, वुडन और हैंडीक्राफ्ट उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहचान बना रहे हैं।


46 वर्षों बाद शुरू हुई यह परिक्रमा सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि संभल की सांस्कृतिक पुनर्स्थापना का प्रतीक है। आस्था और प्रशासन के संगम से यह शहर अब फिर से अपने आध्यात्मिक गौरव और सामाजिक सद्भावना के पथ पर अग्रसर है।

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