Story of IFS Vishvesh Kumar : अफसर बनने के लिए छोड़ा घर-बार , IFS बनने के लिए की कड़ी मेहनत….पढ़िये सफलता की कहानी

Story of IFS Vishvesh Kumar : अफसर बनने के लिए छोड़ा घर-बार , IFS बनने के लिए की कड़ी मेहनत....पढ़िये सफलता की कहानी

Story of IFS Vishvesh Kumar : अफसर बनने के लिए छोड़ा घर-बार , IFS बनने के लिए की कड़ी मेहनत….पढ़िये सफलता की कहानी

आज की खास मुलाकात मे हम आपको मिलवाने जा रहे हैं रायपुर के तेज -तर्रार DFO Vishvesh Kumar से । इनका मुख्तसर तारूफ बस इतना सा ही है कि इनका नाम ही काफी है।

Also read  :T20 World Cup : क्या वर्ल्ड कप में ओपनिंग कर सकते हैं विराट कोहली? जानिए राहुल और उनके बीच टी20 में कौन है बेस्ट?

Who is IFS Vishvesh Kumar

डीएफओ विश्वेश कुमार 2007 के भारतीय वन सेवा के अफसर हैं। इन्होंने अपनी सेवाओं की शुरूआत बस्तर जैसे दुर्गम इलाके से की थी। उसके बाद आपने कवर्धा और बलौदाबाजार में भी अपनी सेवाएं दीं। इनसे खास मुलाकात की है हमारे विशेष संवाददाता मनोज सिंह ने, पेश है उनसे हुई मुलाकात के खास अंश-

सवाल- आप कहां के रहने वाले हैं और अपनी शुरूआती शिक्षा के बारे में बताइए।

जवाब – IFS Vishvesh Kumar : मैं बिहार के दरभंगा जिले से आता हूं। वहीं से पढ़ाई शुरू हुई ।

Story of IFS Vishvesh Kumar : अफसर बनने के लिए छोड़ा घर-बार , IFS बनने के लिए की कड़ी मेहनत....पढ़िये सफलता की कहानी
Story of IFS Vishvesh Kumar : अफसर बनने के लिए छोड़ा घर-बार , IFS बनने के लिए की कड़ी मेहनत….पढ़िये सफलता की कहानी

मेरे पिताजी अधिवक्ता थे ।

दसवीं तक की शिक्षा गवर्नमेंट स्कूल में हुई।

दसवीं के बाद 12वीं की शिक्षा सीएम साइंस कॉलेज से हुई ।

Also read  :https://jandhara24.com/news/116238/hsld-new-weapon-of-indian-air-force-just-1-bomb-and-enemy-base-finished-know-how/

उसके बाद आईसीआर के माध्यम से जो ऑल इंडिया काउंसिल के तहत

एग्जाम कंप्लीट करने के बाद मेरी टॉप हंड्रेड में रैंकिंग हुई।

सोलन हिमाचल प्रदेश से मैंने अपनी ग्रेजुएशन पूरी पूरी की ।

सवाल – आपने बस्तर में भी नौकरी की बलौदा बाजार में भी नौकरी की ?आपको सबसे अच्छा कहां लगा ?

जवाब- मुझे सबसे अच्छा बस्तर में लगा। वह घना जंगल का इलाका है।

जहां तमाम तरह की चुनौतियां थीं।

उनकी भाषाएं उनका रहन-सहन बिल्कुल अलग है।

Story of IFS Vishvesh Kumar : अफसर बनने के लिए छोड़ा घर-बार , IFS बनने के लिए की कड़ी मेहनत....पढ़िये सफलता की कहानी
Story of IFS Vishvesh Kumar : अफसर बनने के लिए छोड़ा घर-बार , IFS बनने के लिए की कड़ी मेहनत….पढ़िये सफलता की कहानी

इसके अलावा उस समय में ट्रेनिंग पीरियड में था।

ट्रेनिंग पीरियड में आपकी जिम्मेदारी कम होती है।

इस समय में आसपास की चीजों को एक्सप्लोर करने का मौका ज्यादा मिलता है ।

उनको समझने का ज्यादा मौका मिलता है।

बस्तर से जब आप शुरुआत करते हैं, तो छत्तीसगढ़ के किसी भी इलाके में आप कॉन्फिडेंटली वर्क कर सकते हैं ।

मैं समझता हूं कि वह मेरा बेस्ट पीरियड था।

सवाल – घर से आप प्रतिज्ञा करके निकले थे कि मुझे आईएएस अफसर बनना ही है। तो इस रास्ते में बहुत सारी चुनौतियां आईं। आपने उन चुनौतियों का सामना आपने कैसे किया ?

IFS-Vishvesh-Kumar-with-Manoj-Singh
IFS-Vishvesh-Kumar-with-Manoj-Singh

जवाब – IFS Vishvesh Kumar : जब आप घर से 1200 किलोमीटर दूर अगर आप किसी जंगल में रहते हैं तो वहां चुनौतियां तो अपने आप ही शुरू हो जाती हैं।

जब मैं देहरादून यूनिवर्सिटी में था, तो 4 वर्ष तक हमने खुद को जंगल के हिसाब से ढाला ।

वहां तमाम चुनौतियों का सामना किया । जंगल में कैसे चल सकते हैं ?

आप में क्या ताकत है ? इन सारी चुनौतियों का सामना करना मैंने सीखा ।

वहां यह भी होता था कि जब लंबे समय की छुट्टियां मिलती है तभी आप घर नहीं आ पाते थे ं।

उस समय ट्रेन से जो 2 दिन की जर्नी होती थी ।

उसके बाद भी हम लोग नहीं आ पाते थे ।

प्रिपरेशन के मामले में बताया कि यह एक अलग तरह का चैलेंज था

जिसमें पोस्ट ग्रेजुएशन करते हुए आप अगर आप कंपटीशन की तैयारी करते हैं। यह दोहरा चैलेंज होता है।

Story of IFS Vishvesh Kumar : अफसर बनने के लिए छोड़ा घर-बार , IFS बनने के लिए की कड़ी मेहनत....पढ़िये सफलता की कहानी
Story of IFS Vishvesh Kumar : अफसर बनने के लिए छोड़ा घर-बार , IFS बनने के लिए की कड़ी मेहनत….पढ़िये सफलता की कहानी

सवाल – आप वन विभाग के साथ -साथ जिला प्रशासन में भी काम किए । यहां की वर्किंग और वहां की वर्किंग में क्या अंतर है ?

जवाब -IFS Vishvesh Kumar : वन विभाग एक नया कंप्लीट एडमिनिस्ट्रेशन है ।

जहां वन विभाग का लॉ है एक्ट हैं । उनके आधार पर काम करते हैं।

तो आप एक पार्टिकुलर क्षेत्र में बंधे होते हैं, लेकिन जब आप एडमिनिस्ट्रेशन में जाते हैं तो वहां क्योंकि रूरल डेवलपमेंट होता है।

वहां शिक्षा में जरूरी है। हेल्थ भी इंपोर्टेंट है ।

आपका लैंड भी इंपोर्टेंट है ।

इन सब का समावेश करके आपको चलना पड़ता है।

सभी विभागों का कोआर्डिनेशन करवाना पड़ता है ।

तो यह एक बड़ा चैलेंज था। इसके जो रूल रेगुलेशन हंै।

उनको समझना उनके बारे में जानना यह सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट रहा मेरे लिए।

उनको समझ कर काम करना मेरे लिए वह सबसे बड़ा चैलेंज था।

सवाल – अपने छत्तीसगढ़ में भी काम किया है ।और विदेशों की भी वर्किंग स्टाइल को नजदीक से देखा है । दोनों में क्या अंतर है ?

जवाब – IFS Vishvesh Kumar: मुझे एक बार अमेरिका और दूसरी बार सिडनीं जाने का मौका मिला।

वहां से दूसरे कंटिनेंस के लोगों से भी मिला।

वहां की वर्किंग स्टाइल को समझने का मौका मिला।

मुझे लगता है कि इंडियन कंडीशन के साथ काम करना ज्यादा चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि यहां पापुलेशन बहुत ज्यादा है ।

यहां के लोगों की जरूरतें बहुत ज्यादा जंगलों पर निर्भर होती हैं।

लोगों की बेसिक नीड्स हैं वह वनों के ऊपर डिपेंड करती हैं।

हमारे वाइल्ड लाइफ को बचाए रखना, फॉरेस्ट को बचाए रखना,

यहां मॉब मैनेजमेंट को कंट्रोल करना भी एक बड़ी चुनौती है ।

यहां अगर कोई एक वन्यजीव आ जाए तो यहां लोगों की भीड़ इकट्ठी हो जाती है।

उसे कंट्रोल करना भी एक बड़ी चुनौती होती है।

सवाल – राज्य बनने के बाद राजधानी बनी और यह तेजी से विकास कार्य भी हुए। इस दौरान तमाम वृक्ष काटे गए। इसको लेकर आपने किस तरह का कार्य किया?

जवाब -IFS Vishvesh Kumar : राजधानी हमेशा से आपके लिए चैलेंजिंग होती है, क्योंकि यहां पर कैपिटल होने कारण जो विकास हुआ।

उससे सबसे ज्यादा नुकसान हमारी वनसंपदा का होता है । पेड़ पौधों को होता है । इसके लिए विशेष प्रयास में दो तरह की चीजें हम लोग करते हैं। एक हमारे पास जो आउटर्स में जितनी लैंड है।

जो रिवर के किनारे या और कहीं खाली जमीन पड़ी है।

उसको टारगेट करके वहां पर पौधरोपण करवाते हैं ।

दूसरा सिटी एरियाज में छोटे-छोटे गार्डन के रूप में डिवेलप करते हैं।

कहीं-कहीं पर हर्बल गार्डन लगवाते हैं।

कुछ ऐसे इलाके हैं जैसे सोनडोंगरी है जिसे डेवलप किया जा रहा है।

हमारे पास राजीव स्मृति वन है ।

नया रायपुर में बाॅटैनिकल गार्डन अभी दिख रहा है ।

जंगल सफारी के पास में इनमें बायोडायवर्सिटी का खास ख्याल रखा जाता है ।

लैंडस्केप के रूप में भी हम लोग कुछ एरियाज को टारगेट करके रखेंगे।

सवाल – राजधानी बनने के बाद रायपुर में अक्सर वन तस्कर खाल के साथ पकड़े जाते हैं। दूसरे राज्यों के वन तस्कर छत्तीसगढ़ के रास्तों का उपयोग करते हैं। इसे रोकने के लिए आप क्या करेंगे?

जवाब -IFS Vishvesh Kumar : हमारे पास बड़ा हार्ड फाॅरेस्ट प्रोटेक्शन ला है ।

हमारे पास जितने वैरियर्स हैं हम उनको चेक करते रहते हैं ।

उन्हें चिन्हित करके रखते हैं ।

वहां पर हम ऐसे लोगों को चिन्हित करके रखते हैं जो रूरल फाॅरेस्ट कमेटी के मेंबर होते हैं ।

जो अच्छे जानकार होते हैं ।

वह अच्छे से बता सकते हैं कौन व्यक्ति गलत प्रवेश कर रहा है ?

फॉरेस्ट एरिया इतना बड़ा है कि कौन कहां क्या कर रहा है ?

इसका पता नहीं चल सकता । इसे लोकल लोग ही जानते हैं ।

हम ऐसे लोग लोगों से संपर्क करते हैं और उन्हें इंसेंटिव्स देते हैं ताकि वे हमें अच्छी इंफॉर्मेशन दे सकें ।

आसपास के जो भी एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन या फिर बस अड्डे हैं।

जहां से माल ट्रांसपोर्ट होता है ।

यहां हम वहां पर औचक निरीक्षण करते हैं ।

कुछ एरियाज में हम लोग मुखबिरों को भी सक्रिय करके रखते हैं कि

ऐसा कोई कंसाइनमेंट अगर मिलता है

तो हम उससे तत्काल रिकवर करने की कोशिश करते हैं ।

इसके अलावा हम वाइल्ड लाइफ क्राइम ब्यूरो के साथ भी संपर्क बनाकर रखते हैं।

सवाल – अभी हर्बल उत्पादों का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया है। अभी उसकी रायपुर में क्या स्थिति है ? 

जवाब -IFS Vishvesh Kumar : वन्य उत्पादों की प्रोसेसिंग वहां के गांव में ही हो जाया करती है।

एक बार वहां उसकी प्राइमरी प्रोसेसिंग हो जाती है ।

उसके बाद उसकी पैकेजिंग करके उसे राजधानी लाया जाता है ।

अभी हमारे 3000 से अधिक प्रोडक्ट आ चुके हैं ।

भविष्य में सी मार्ट और संजीवनी के माध्यम से इनकी बिक्री की जाएगी ।

इनके सर्टिफिकेशन पर भी ध्यान दिया जाए।

सवाल – कभी-कभी वन्य जीवों के साथ मारपीट भी की जाती है । तो इसको लेकर के वन्य जीव अधिनियम में क्या प्रावधान है?

जवाब -IFS Vishvesh Kumar : देखिए वन्यजीव अधिनियम काफी बड़ा अधिनियम है।

उसमें कई तरह के प्रावधान हैं।

उसमें सेंचुरी बनाने ,नेशनल पार्क बनाने का प्रावधान और जो आपका जो प्रश्न है वह वन्यजीव के संबंध में कुछ इंपॉर्टेंट प्रावधान हैं ।

अगर वन्यजीव को किसी ने मारने की कोशिश की या मारते हैं ।

या फिर मारने का इंटेंशन भी व्यक्त करते हैं ।

तो यह अपराध की श्रेणी में आता है । इसमें कई  धाराएं हैं जो नॉनवेलेबल हैं।

इसमें अधिकतम 7 वर्ष की सजा का प्रावधान भी है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

MENU