नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कहा है कि भारत माइनिंग सेक्टर में सतत विकास का मजबूत आधार तैयार कर रहा है, जो व्यापक लाभों और समान सुरक्षा उपायों पर आधारित है। नए लेबर कोड के जरिए ऐसा फ्रेमवर्क निर्मित किया गया है, जो बेहतर कार्य घंटे, स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों, सामाजिक सुरक्षा तथा जेंडर-इंक्लूसिव व्यवस्था के माध्यम से खनन श्रमिकों को सशक्त बना रहा है।
माइनिंग सेक्टर देश के आर्थिक विकास का महत्वपूर्ण स्तंभ है। यह क्षेत्र सरकार को कच्चा माल, रोजगार, निर्यात को बढ़ावा देने के अवसर और महत्वपूर्ण राजस्व प्रदान करता है। अर्थव्यवस्था के निरंतर विस्तार के साथ मिनरल और माइनिंग रिसोर्सेज की मांग भी तेजी से बढ़ रही है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, नए लेबर कोड माइनिंग सेक्टर में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देते हैं और श्रमिकों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए कई परिवर्तनकारी सुधारों को लागू करते हैं। इन कोड के तहत श्रमिकों के लिए सप्ताह में 5 या 6 दिन कार्य और 1 या 2 दिन का साप्ताहिक अवकाश सुनिश्चित किया गया है। किसी भी श्रमिक से बिना 30 मिनट के विश्राम के लगातार पांच घंटे से अधिक काम नहीं कराया जा सकता।
नए प्रावधानों के तहत भूमिगत और सतही दोनों तरह के खनन कार्यों में दैनिक कार्य घंटे 8 और अधिकतम साप्ताहिक कार्य घंटे 48 निर्धारित किए गए हैं। ओवरटाइम की स्थिति में श्रमिकों को सामान्य वेतन दर से दोगुना भुगतान मिलेगा।
लेबर कोड के अनुसार अब सभी कर्मचारियों को एक योग्य चिकित्सक द्वारा हर वर्ष निःशुल्क स्वास्थ्य जांच का अधिकार होगा। पहले यह जांच तीन से पांच वर्ष में एक बार होती थी। इसके साथ ही माइन में नियुक्त हर कर्मचारी को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य किया गया है।
महिला श्रमिकों को भी बड़ी राहत दी गई है। अब उन्हें सभी प्रकार के खनन कार्यों, जिसमें भूमिगत खदानें शामिल हैं, में काम करने की अनुमति दी गई है। उनकी सहमति होने पर वे सुबह 6 बजे से पहले और शाम 7 बजे के बाद भी कार्य कर सकेंगी।
सरकार का कहना है कि नए लेबर कोड माइनिंग सेक्टर को अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और श्रमिक हितैषी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।