स्टील-सम्राट लक्ष्मी मित्तल ब्रिटेन छोड़ेंगे

स्टील-सम्राट लक्ष्मी मित्तल ब्रिटेन छोड़ेंगे

डॉ. सुधीर सक्सेना
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इस्पात कंपनी आर्सेलर मित्तल के मालिक और ब्रिटेन के अव्वल दस अरबपतियों में शुमार स्टील सम्राट लक्ष्मी मित्तल ने यूके-सरकार के टैक्स-सुधारों से असंतोष के चलते ब्रिटेन छोडऩे का फैसला किया है। उन्होंने भावी कराधान से बचने के लिये अपना टैक्स-रेजीडेंस स्विट्जरलैंड में स्थानांतरित कर लिया है और अब वह अपना ज्यादातर समय दुबई में बितायेंगे, जहां पहले से ही उनकी संपत्ति मौजूद है और हाल ही में उन्होंने एक लक्जरी रियल स्टेट में परियोजना में निवेश भी किया है। इन दो ठिकानों के चयन का प्रमुख कारण यह है कि वह अपनी अरबों की बेशकीमती संपदा को टैक्स-फ्री तरीके से अगली पीढ़ी यानि अपने उत्तराधिकारियों को निरापद हस्तांतरित कर सकें। गौरतलब है कि लक्ष्मी मित्तल 15.4 अरब पाउंड की अनुमानित संपत्ति के स्वामी हैं। उन्होंने ब्रिटिश वित्तमंत्री रेचल रीव्ज़ के उस बजट के पेश्तर यूके छोडऩे का निर्णय लिया है, जिसमें धनाढ्य वर्ग पर अधिक कराधान की संभावना है। इस कराधान में 20 प्रतिशत तक एग्जिट टैक्स, मेशन टैक्स और 40 फीसद तक बढ़ाया गया इनहेरिटेंस यानि विरासत कर शामिल है।

सन 2008 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा देश के दूसरे सर्वोच्च सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित लक्ष्मी मित्तल मूल रूप से राजस्थान में चुरू के रहने वाले हैं। 15 जून, सन् 1950 को जनमे लक्ष्मी मित्तल की आयु 75 वर्ष हो गयी है। अपने अमृतवर्ष में उनके इस निर्णय को ब्रिटिश अर्थ व्यवस्था के लिये अप्रत्याशित आघात माना जा रहा है। सन 1960 की दहाई में मितल परिवार कलकत्ते चला गया था, जहां पिता स्टील मिल चलाते थे। युवा लक्ष्मी ने सेंट जेवियर्स कॉलेज में विज्ञान की पढ़ाई करते हुए मिल में काम भी किया। बताते हैं कि स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद वह वहां ट्रेनी भी रहे। सन् 1976 में वह इंडोनेशिया चले गये, जहां उन्होंने एक छोटी स्टील कंपनी स्थापित की। इसी इस्पात कंपनी ने आगे चलकर आर्सेलर मित्तल का रूप ले लिया! आर्सेलर मित्तल संप्रति इस्पात उत्पादन में विश्व में दूसरी पायदान पर है। सन 2004 में इस्पात इंटरनेशनल और एलएनएम होल्डिंग्स के विलय तथा इंटरनेशनल स्टील ग्रुप के एक संग अधिग्रहण के उपरांत मित्तल स्टील की स्थापना हुई। उसके तुरंत बाद सन 2006 में मित्तल स्टील ने आर्सेलर के साथ विलय के लिए बोली लगाई, फलत: आर्सेलर मित्तल का गठन हुआ।

लक्ष्मी मित्तल के ब्रिटेन को अलविदा कहने की खबर को लंदन से प्रकाशित द पुरवाई ने ब्रेक किया। पुरवाई के संपादक एवं हिन्दी के यशस्वी कथाकार तेजेंद्र शर्मा ने टेलीफोनिक चर्चा में बताया कि लक्ष्मी मित्तल अकेले कुबेर उद्योगपति नहीं हैं, जिन्होंने नयी वित्तीय व्यवस्था से क्षुब्ध होकर यूके को सायोनारा कहा है। उन्होंने बताया कि यहां नान-डोमीसाइल्ड-व्यवस्था, जो दो सौ से भी अधिक वर्षों से लागू थी, विदेश में मूल घर रखने वाले निवासियों को उनकी विदेशी-आय पर कर से छूट देती थी। इस विशेषाधिकार की समाप्ति से मित्तल सरीखे उद्योगपतियों को अपनी वैश्विक आय पर भारी कर चुकाना पड़ता। ब्रिटेन के अनेक राजनेता मानते हैं कि अरबपतियों का ब्रिटेन छोडऩा चिंता का विषय है। बजट की एक उल्लेखनीय बात यह भी है कि बीस लाख पाउंड से अधिक कीमत के घरों पर अतिरिक्त टैक्स का प्रावधान है। लक्ष्मी मित्तल के ही घर की बात करें तो उनका घर लंदन के सबसे महंगे इलाके में है। उनका घर किसी आलीशान महल से कम नहीं है। उनका घर भारतीय उच्चायोग के ऐन सामने है। जहां भारतीय उच्चायुक्त के आवास का पता 9 केनसिंगटन, पैलेस गार्डस है, वहीं लक्ष्मी मित्तल के घर का पता है : 18-19, केनसिंगटन, पैलेस गार्डस। ऐसा ऐश्वर्यपूर्ण शाही जीवन जीने वाले मित्तल अब बर्तानिया छोडक़र, स्विट्जरलैंड और दुबई में अपना ठिकाना बनायेंगे।

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