मानव सभ्यता को दिशा देकर मोक्ष की ओर मोड़ने का सशक्त मार्ग है श्रीमद्भागवत कथा :जन्मजय

वनांचल ग्राम बेलमुंडी में हुआ भाव आयोजन

सरायपाली – समीपस्थ ग्राम बेलमुंडी में स्व.जगदीश प्रसाद पटेल की स्मृति में तथा यज्ञकर्ता वेदमोती पटेल,श्रीकृष्ण पटेल बिरेन्द्र-वंदना,राजेन्द्र-चन्द्रकांती पटेल तथा समस्त ग्रामवासी द्वारा सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया।कथा व्यास देवराज मिश्रा के मुखारवृन्द से आस-पास,दूरस्थ अंचल के सैकड़ो श्रद्धालु श्रीमद्भागवत कथा का आनंद उठाया ।कथा समापन के सप्तम दिवस वंदेमातरम् सेवा संस्थान छत्तीसगढ़ के उपाध्यक्ष,साहित्य साधक शिक्षक जन्मजय नायक भी शामिल हुए।इस अवसर पर श्री नायक ने व्यासपीठ मंच से संबोधित करते हुए कहा इस भवसागर से मुक्ति पानी है तो भक्ति भजन में मन को लगाना चाहिए।भक्ति भजन ही वह नाव है जो भवसागर से पार लगा सकती है।और इसका सशक्त माध्यम है श्रीमद्भागवत कथा।मन,वचन,और कर्म से भगवान को स्मरण करना चाहिए। और प्रभु की भक्ति और उनके नाम का भजन (जप) यही वस्तुतः सार हैऔर सब बातें अपार दुःख है। नायक ने आगे कहा सात दिन भागवत कथा श्रवण करोगे और मांस-मदिरा का सेवन करोगे तो कथा सुनने की प्रभावशीलता का कोई महत्व नहीं रह जाता है।भागवत कथा हमें प्राणी मात्र के प्रति दया भाव सिखाती है।और जीओ और जीने दो के भाव को सार्थक करती है।वहीं शराब का सेवन आपराधिक गतिविधियों को जन्म देती है।मांस-मदिरा के सेवन से छुटकारा पाना है तो ‘लालच को दूर करना होगाऔर संकल्प को मजबूत करना होगा। नायक ने आगे कहा समाज में अनेक कुरीतियां बढ़ रही हैं,जिससे मानव मूल्यों की रक्षा नहीं हो पा रही है।इसकी रक्षा के लिए सदैव अच्छे कर्म करते रहना चाहिए जिससे मानव जाति का कल्याण हो सके।भागवत कथा इंसान के जीवन के बेहद करीब है।मानव सभ्यता को एक दिशा देकर मोक्ष की ओर मोड़ने का सशक्त मार्ग श्रीमद्भागवत कथा में बताया गया है।श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण मनुष्य जीवन को सार्थक बनाती है।जन्म तो हर प्राणी एवं मनुष्य लेता है लेकिन उसे अपने जीवन का अर्थ बोध नहीं होता है।बाल्यावस्था से लेकर मृत्यु तक वह सांसारिक गतिविधियों में ही लिप्त होकर इस अमूल्य जीवन को नश्वर बना देता है।संसार में फँसे हुए जो लोग इस घोर अज्ञान रूपी अंधकार से पार पाना चाहते हैं उनके लिए श्रीमद्भागवत कथा ही है जो जीवन के उद्देश्य एवं दिशा को दर्शाती है तथा आध्यात्मिक तत्वों को प्रकाशित करने वाला यह एक अद्वितीय दीपक है। नायक ने आगे कहा श्रीमद्भागवत कथा ही एक ऐसा ग्रन्थ है जिसमें भक्ति-ज्ञान एवं वैराग्य की पवित्र मंदाकिनी प्रवाहित हो रही है।यह कथा जीवन का उद्धार करने वाली तथा मोक्ष प्रदान करने वाली है।सम्पूर्ण वेदान्तों के सार रूप में श्रीमद्भागवत के रस के अमृत रस से तृप्त हुए पुरूष की अन्यत्र प्रीती नहीं होती है।इस कथा को जो भक्तजन पढ़कर-सुनकर शुद्ध मन से विचरता है वह मनुष्य भवसागर से पार उतर कर परमधाम को जाता है। सात दिन के इस कथा से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया था तथा कथा पंडाल खचाखच भरा हुआ था।नायक ने अंत में कहा मैं आभारी हूँ आप सबका कि इस पावन समारोह में आमंत्रित कर पुण्य का भागी बनने का सुअवसर प्रदान किया।