कांग्रेस का हंगामा, काला झंडा फहाराया, कुकी समुदाय के दो मंत्री और 8 विधायक नहीं आए
इंफाल। मणिपुर में 3 मई से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है। 120 दिनों से जारी हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। इस बीच राज्य सरकार की मांग पर आज विधानसभा का एक दिन का सेशन होना था। इसमें राज्य में शांति बहाली को लेकर चर्चा की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन सत्र अनिश्चित-काल के लिए स्थगित हो गया।
एजेंसी के मुताबिक, कांग्रेस विधायकों के हंगामे के चलते ये सत्र स्थगित हुआ। विधायकों की मांग थी कि इस सत्र को कम से कम पांच दिन के लिए बढ़ा देना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह की अगुवाई में विपक्ष ने कहा कि राज्य के हालात पर चर्चा के लिए एक दिन काफी नहीं है। वहीं, दो मंत्रियों समेत 10 विधायकों ने सुरक्षा का हवाला देते हुए सत्र में शामिल होने से इनकार कर दिया। मणिपुर कांग्रेस ने सत्र को असंवैधानिक बताया और इसके विरोध में इंफाल के कांग्रेस भवन में काला झंडा फहराया।
दो मंत्रियों समेत 10 विधायकों ने सेशन का बहिष्कार किया
सदन का बहिष्कार करने वाले सभी 10 विधायक आदिवासी कुकी समुदाय से आते हैं। इनमें एलएम खौटे, नगुर्सांगलुर सनाटे, लेटपाओ हाओकिप, लेटजमंग हाओकिप, पाओलीनलाल हाओकिप, वुंगजागिन वाल्टे, हाओखोलेट किपगेन (निर्दलीय), किम्नेओ हाओकिप हैंगशिंग, चिनलुंगथांग के विधायक हैं। हालांकि, सीएम बीरेन सिंह ने उन्हें पूरी सिक्योरिटी मुहैया कराने का आश्वासन दिया था।
6 महीने के अंदर बुलाया गया था सत्र
सीएम एन बीरेन सिंह ने 21 अगस्त को राज्यपाल अनुसुइया उइके को सत्र शुरू करने की सिफारिश की थी। 22 अगस्त को राजभवन ने अधिसूचना जारी कर दी। संविधान के आर्टिकल 174 (1) के मुताबिक, किसी भी सदन में दो सत्रों में छह महीने से ज्यादा का गैप नहीं होना चाहिए। मणिपुर में पिछला सत्र मार्च में हुआ था। ऐसे में छह महीने की डेडलाइन सितंबर में खत्म हो रही थी।